नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में डीजल के दाम 80 रुपये प्रति लीटर को पार कर गए हैं। पहली बार डीजल 80 रुपये प्रति लीटर के पार हुआ है। पेट्रोलियम विपणन कंपनियों ने बृहस्पतिवार को डीजल की कीमतों में 14 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की। डीजल कीमतों में लगातार 19वें दिन बढ़ोतरी की गई है। इस तरह 19 दिन में डीजल 10।63 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है।

इसी तरह पेट्रोल के दाम 16 पैसे प्रति लीटर बढ़ाए गए हैं। हालांकि बुधवार को पेट्रोल कीमतों में वृद्धि नहीं हुई थी। इस तरह तीन सप्ताह से भी कम समय में पेट्रोल 8.66 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है।
अप्रैल 2002 में पेट्रोल और डीजल के दाम नियंत्रणमुक्त किए जाने के बाद किसी एक पखवाड़े में यह सबसे बड़ी वृद्धि है। तेल कंपनियों ने अप्रैल 2002 में पेट्रोल और डीजल के दाम में हर पखवाड़े बदलाव करने की शुरुआत की थी। ये दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव के अनुरूप किए जाते हैं।
पेट्रोलियम विपणन कंपनियों की मूल्य को लेकर अधिसूचना के अनुसार, दिल्ली में पेट्रोल का दाम 79.76 रुपये से बढ़कर 79.92 रुपये प्रति लीटर हो गया है। इसी तरह डीजल की कीमत 79।88 रुपये से 80.02 रुपये प्रति लीटर हो गई है। बुधवार को पहली बार दिल्ली में डीजल का दाम पेट्रोल से अधिक हुआ था।
मूल्यवर्धित कर (वैट) की वजह से विभिन्न राज्यों में वाहन ईंधन के दाम अलग-अलग होते हैं। हालांकि सिर्फ दिल्ली में ही डीजल का दाम पेट्रोल से अधिक है। राज्य सरकार ने पिछले महीने इस पर बिक्रीकर या वैट में बड़ी वृद्धि की थी।
उल्ल्लेखनीय है कि सात जून से पेट्रोलियम विपणन कंपनियों ने बृहस्पतिवार तक लगातार 19 दिन डीजल कीमतों में बढ़ोतरी की है। इससे पहले 82 दिन तक कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी। 19 दिन में डीजल कीमतों में 10।63 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है। वहीं 18 बार में पेट्रोल के दाम 8.66 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए गए हैं।
मौजूदा वृद्धि से पहले 16 अक्टूबर, 2018 को डीजल का दाम दिल्ली में 75.69 रुपये प्रति लीटर की ऊंचाई को छू चुका है वहीं, पेट्रोल के दाम इससे पहले 4 अक्टूबर, 2018 को 84 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुके हैं।
पेट्रोल के मौजूदा दाम में करीब दो तिहाई हिस्सा विभिन्न करों का शामिल है। पेट्रोल के दाम में 32.98 रुपये केंद्रीय उत्पाद शुल्क और 17.71 रुपये प्रति लीटर स्थानीय कर अथवा वैट शामिल है। इसी प्रकार डीजल के दाम में 63 प्रतिशत से अधिक करों का हिस्सा है। इसमें 31.83 रुपये प्रति लीटर केंद्रीय उत्पाद शुल्क और 17.60 रुपये प्रति लीटर वैट का हिस्सा है।
सरकार ने जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिर रहे थे, तब 14 मार्च को पेट्रोल और डीजल दोनों पर उत्पाद शुल्क में तीन रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की थी। इसके बाद पांच मई को फिर से पेट्रोल पर रिकॉर्ड 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया।
इससे सरकार को सालाना आधार पर दो लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। इस दौरान तेल कंपनियों ने उत्पाद शुल्क वृद्धि का बोझ हालांकि, उपभोक्ताओं पर नहीं डाला बल्कि बढ़े उत्पाद शुल्क को अंतरराष्ट्रीय बाजार में आई गिरावट के साथ समायोजित कर दिया।
उल्लेखनीय है कि अप्रैल-मई के दौरान जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन चल रहा था, कच्चे तेल के दाम दो दशक के निम्न स्तर तक गिर गए थे, लेकिन जून की शुरुआत से आर्थिक गतिविधियां शुरू होने के बाद मांग बढ़ने से कच्चे तेल के दाम धीरे-धीरे बढ़ने लगे हैं। यही वजह है कि तेल कंपनियां भी उसी वृद्धि के अनुरूप दाम बढ़ा रही हैं।

इसी तरह पेट्रोल के दाम 16 पैसे प्रति लीटर बढ़ाए गए हैं। हालांकि बुधवार को पेट्रोल कीमतों में वृद्धि नहीं हुई थी। इस तरह तीन सप्ताह से भी कम समय में पेट्रोल 8.66 रुपये प्रति लीटर महंगा हो चुका है।
अप्रैल 2002 में पेट्रोल और डीजल के दाम नियंत्रणमुक्त किए जाने के बाद किसी एक पखवाड़े में यह सबसे बड़ी वृद्धि है। तेल कंपनियों ने अप्रैल 2002 में पेट्रोल और डीजल के दाम में हर पखवाड़े बदलाव करने की शुरुआत की थी। ये दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव के अनुरूप किए जाते हैं।
पेट्रोलियम विपणन कंपनियों की मूल्य को लेकर अधिसूचना के अनुसार, दिल्ली में पेट्रोल का दाम 79.76 रुपये से बढ़कर 79.92 रुपये प्रति लीटर हो गया है। इसी तरह डीजल की कीमत 79।88 रुपये से 80.02 रुपये प्रति लीटर हो गई है। बुधवार को पहली बार दिल्ली में डीजल का दाम पेट्रोल से अधिक हुआ था।
मूल्यवर्धित कर (वैट) की वजह से विभिन्न राज्यों में वाहन ईंधन के दाम अलग-अलग होते हैं। हालांकि सिर्फ दिल्ली में ही डीजल का दाम पेट्रोल से अधिक है। राज्य सरकार ने पिछले महीने इस पर बिक्रीकर या वैट में बड़ी वृद्धि की थी।
उल्ल्लेखनीय है कि सात जून से पेट्रोलियम विपणन कंपनियों ने बृहस्पतिवार तक लगातार 19 दिन डीजल कीमतों में बढ़ोतरी की है। इससे पहले 82 दिन तक कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी। 19 दिन में डीजल कीमतों में 10।63 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई है। वहीं 18 बार में पेट्रोल के दाम 8.66 रुपये प्रति लीटर बढ़ाए गए हैं।
मौजूदा वृद्धि से पहले 16 अक्टूबर, 2018 को डीजल का दाम दिल्ली में 75.69 रुपये प्रति लीटर की ऊंचाई को छू चुका है वहीं, पेट्रोल के दाम इससे पहले 4 अक्टूबर, 2018 को 84 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुके हैं।
पेट्रोल के मौजूदा दाम में करीब दो तिहाई हिस्सा विभिन्न करों का शामिल है। पेट्रोल के दाम में 32.98 रुपये केंद्रीय उत्पाद शुल्क और 17.71 रुपये प्रति लीटर स्थानीय कर अथवा वैट शामिल है। इसी प्रकार डीजल के दाम में 63 प्रतिशत से अधिक करों का हिस्सा है। इसमें 31.83 रुपये प्रति लीटर केंद्रीय उत्पाद शुल्क और 17.60 रुपये प्रति लीटर वैट का हिस्सा है।
सरकार ने जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम गिर रहे थे, तब 14 मार्च को पेट्रोल और डीजल दोनों पर उत्पाद शुल्क में तीन रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की थी। इसके बाद पांच मई को फिर से पेट्रोल पर रिकॉर्ड 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया।
इससे सरकार को सालाना आधार पर दो लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व प्राप्त होगा। इस दौरान तेल कंपनियों ने उत्पाद शुल्क वृद्धि का बोझ हालांकि, उपभोक्ताओं पर नहीं डाला बल्कि बढ़े उत्पाद शुल्क को अंतरराष्ट्रीय बाजार में आई गिरावट के साथ समायोजित कर दिया।
उल्लेखनीय है कि अप्रैल-मई के दौरान जब पूरी दुनिया में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन चल रहा था, कच्चे तेल के दाम दो दशक के निम्न स्तर तक गिर गए थे, लेकिन जून की शुरुआत से आर्थिक गतिविधियां शुरू होने के बाद मांग बढ़ने से कच्चे तेल के दाम धीरे-धीरे बढ़ने लगे हैं। यही वजह है कि तेल कंपनियां भी उसी वृद्धि के अनुरूप दाम बढ़ा रही हैं।