नई दिल्ली। दिल्ली के लोधी रोड स्थित भारतीय इस्लामिक सांस्कृतिक केंद्र (India Islamic Cultural Centre) के एक साइनबोर्ड पर कथित दक्षिणपंथी समूह हिन्दू सेना ने रविवार को आपत्तिजनक पोस्टर लगा दिया। हालांकि इन पोस्टरों को तुरंत हटा लिया गया और इस सिलसिले में पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
हिंदू सेना ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए दावा किया कि उसके कार्यकर्ता दुनिया में खासकर फ्रांस में 'कट्टरपंथी आतंकवादी गतिविधियों' का जवाब दे रहे थे।
पुलिस ने कहा कि पोस्टरों को तुरंत हटा दिया गया और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद से जानकारी मिलने के बाद तुगलक रोड थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई है।
पोस्टर में 'जिहादी आतंकवादी इस्लामिक सेंटर' लिखा हुआ था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि दिल्ली संपत्ति संरक्षण अधिनियम के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
उन्होंने कहा कि आसपास के क्षेत्र में और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की मदद ली जा रही है। एक एनडीएमसी अधिकारी ने कहा कि पुलिस को नियमों के अनुसार कार्रवाई करने के लिए सूचित किया गया था। हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने कहा कि उन्हें पता चला है कि उनके समूह के कुछ कार्यकर्ता इसके पीछे थे।
हिंदू सेना के इस कृत्य को लेकर एक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
बता दें कि फ्रांस में सर काटने की घटना की शनिवार को 100 से अधिक भारतीयों द्वारा बयान जारी कर निंदा की गयी थी। मुस्लिम व राजनीतिक नेताओं के भड़काऊ बयानों पर खेद जताया।
विविध पृष्ठभूमियों से आये 100 से अधिक भारतीयों ने फ़्रांस में सर काटने की घटना को लेकर आज अपना बयान जारी किया है। इस बयान में उन्होंने घटना की ना सिर्फ निंदा की बल्कि इस मुद्दे पर आये सभी मुस्लिम व राजनीतिक नेताओं के भड़काऊ बयानों पर खेद भी जताया। बयान में एक जगह पर यह भी कहा गया है कि: "कोई भी भगवान, देवी-देवताओं, पैगंबर या संतो के नाम का इस्तेमाल हत्या और/या लोगों में आतंक फैलाने के लिए नहीं किया जा सकता है।"
पूरा बयान नीचे दिया गया है:
फ्रांस में हाल ही में दो कट्टरपंथियों द्वारा की गयी हत्याओं की हम साफ़ तौर पर कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।
हम इस बात से भी बेहद दुखी हैं, कि कुछ स्वयं-नियुक्त हिंदुस्तानी मुस्लिमों के ठेकेदारों ने इन निर्मम हत्याओं के पीछे की वजह पर तर्क देना शुरू कर दिया है। आज ये एक तरह का चलन भी बन बैठा है, खासतौर पर धार्मिक संगठनों में, कि जब भी उनके मानने वालों द्वारा कोई जघन्य घटना को अंजाम दिया जाता है, तो मुद्दे से हटकर बात करने लगो। किसी भी अपराध को दूसरे अपराध से तुलना करना और उसको सही ठहराने के लिए तर्क दिया जाना, उस अपराध को माफ़ नहीं कर सकता है। यह एक बेहूदा तर्क है।
किसी भी धर्म के नाम पर किये गए जघन्य जुर्म पर सारे 'अगर' 'मगर' वाली बहस का हम विरोध करते हैं।
कोई भी भगवान, देवी-देवताओं, पैगंबर या संतो के नाम का इस्तेमाल हत्या और/या लोगों में आतंक फैलाने के लिए नहीं किया जा सकता है।
हम हत्याओं के खिलाफ 'फ्रेंच कौंसिल फॉर दी मुस्लिम फेथ' (मुस्लिम धर्म के फ़्रांसीसी परिषद) के साथ एकजुटता में खड़े हैं, और फ्रांस के मुस्लिमों से अपील करते हैं कि "पीड़ितों के प्रति शोक जताने के लिए और उनके प्रियजनों के प्रति एकजुटता दर्शाने के प्रतीक के तौर पर वे पैगंबर साहब के जन्मदिन पर होने वाले सारे उत्सवों को रद्द कर दें।"
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हिंदू सेना ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए दावा किया कि उसके कार्यकर्ता दुनिया में खासकर फ्रांस में 'कट्टरपंथी आतंकवादी गतिविधियों' का जवाब दे रहे थे।
पुलिस ने कहा कि पोस्टरों को तुरंत हटा दिया गया और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद से जानकारी मिलने के बाद तुगलक रोड थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई है।
पोस्टर में 'जिहादी आतंकवादी इस्लामिक सेंटर' लिखा हुआ था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि दिल्ली संपत्ति संरक्षण अधिनियम के तहत अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
उन्होंने कहा कि आसपास के क्षेत्र में और आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की मदद ली जा रही है। एक एनडीएमसी अधिकारी ने कहा कि पुलिस को नियमों के अनुसार कार्रवाई करने के लिए सूचित किया गया था। हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने कहा कि उन्हें पता चला है कि उनके समूह के कुछ कार्यकर्ता इसके पीछे थे।
हिंदू सेना के इस कृत्य को लेकर एक पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
बता दें कि फ्रांस में सर काटने की घटना की शनिवार को 100 से अधिक भारतीयों द्वारा बयान जारी कर निंदा की गयी थी। मुस्लिम व राजनीतिक नेताओं के भड़काऊ बयानों पर खेद जताया।
विविध पृष्ठभूमियों से आये 100 से अधिक भारतीयों ने फ़्रांस में सर काटने की घटना को लेकर आज अपना बयान जारी किया है। इस बयान में उन्होंने घटना की ना सिर्फ निंदा की बल्कि इस मुद्दे पर आये सभी मुस्लिम व राजनीतिक नेताओं के भड़काऊ बयानों पर खेद भी जताया। बयान में एक जगह पर यह भी कहा गया है कि: "कोई भी भगवान, देवी-देवताओं, पैगंबर या संतो के नाम का इस्तेमाल हत्या और/या लोगों में आतंक फैलाने के लिए नहीं किया जा सकता है।"
पूरा बयान नीचे दिया गया है:
फ्रांस में हाल ही में दो कट्टरपंथियों द्वारा की गयी हत्याओं की हम साफ़ तौर पर कड़े शब्दों में निंदा करते हैं।
हम इस बात से भी बेहद दुखी हैं, कि कुछ स्वयं-नियुक्त हिंदुस्तानी मुस्लिमों के ठेकेदारों ने इन निर्मम हत्याओं के पीछे की वजह पर तर्क देना शुरू कर दिया है। आज ये एक तरह का चलन भी बन बैठा है, खासतौर पर धार्मिक संगठनों में, कि जब भी उनके मानने वालों द्वारा कोई जघन्य घटना को अंजाम दिया जाता है, तो मुद्दे से हटकर बात करने लगो। किसी भी अपराध को दूसरे अपराध से तुलना करना और उसको सही ठहराने के लिए तर्क दिया जाना, उस अपराध को माफ़ नहीं कर सकता है। यह एक बेहूदा तर्क है।
किसी भी धर्म के नाम पर किये गए जघन्य जुर्म पर सारे 'अगर' 'मगर' वाली बहस का हम विरोध करते हैं।
कोई भी भगवान, देवी-देवताओं, पैगंबर या संतो के नाम का इस्तेमाल हत्या और/या लोगों में आतंक फैलाने के लिए नहीं किया जा सकता है।
हम हत्याओं के खिलाफ 'फ्रेंच कौंसिल फॉर दी मुस्लिम फेथ' (मुस्लिम धर्म के फ़्रांसीसी परिषद) के साथ एकजुटता में खड़े हैं, और फ्रांस के मुस्लिमों से अपील करते हैं कि "पीड़ितों के प्रति शोक जताने के लिए और उनके प्रियजनों के प्रति एकजुटता दर्शाने के प्रतीक के तौर पर वे पैगंबर साहब के जन्मदिन पर होने वाले सारे उत्सवों को रद्द कर दें।"
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