गौतम गंभीर को भारी मात्रा में कोविड-19 की दवा कहां से मिली, दिल्ली HC ने DCGI को जांच का निर्देश दिया

Written by Sabrangindia Staff | Published on: May 25, 2021
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को दिल्ली औषधि नियंत्रक विभाग को निर्देश दिया कि वह कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल दवाओं की कमी के बीच नेताओं द्वारा बड़े पैमाने पर खरीदी गई दवाओं के मामले की जांच करे। अदालत ने टिप्पणी की कि भाजपा सांसद गौतम गंभीर अच्छी मंशा से दवाएं बांट रहे थे, लेकिन महामारी के बीच उनके द्वारा उठाए गए इस कदम को न्यायालय ‘जिम्मेदाराना व्यवहार’ नहीं मानती है।



दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली के औषधि नियंत्रक को इसी तरह की जांच आम आदमी पार्टी की विधायक प्रीति तोमर और प्रवीण कुमार द्वारा ऑक्सीजन खरीदने और जमा करने के आरोपों के मामले में करने के निर्देश दिए और स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा है। जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस जसमीत सिंह की पीठ ने कहा कि औषधि नियंत्रक को यह पता लगाना चाहिए कि कैसे किसी व्यक्ति के लिए फैबीफ्लू दवा की दो हजार पत्तियां खरीदना संभव हुआ, जब पहले से ही उस दवा की कमी थी और कैसे दुकानदार ने इतनी दवा दी।

अदालत ने कहा, ‘गौतम गंभीर ने इसे अच्छी मंशा के साथ किया। हमें उनकी मंशा पर कोई शक नहीं है। वह हमारे देश के राष्ट्रीय खिलाड़ी हैं लेकिन हमारा सवाल है कि क्या यह जिम्मेदाराना व्यवहार है जब आप जानते थे कि दवा की कमी है।’ पीठ ने कहा, ‘हम उनकी मंशा पर सवाल नहीं उठा रहे हैं लेकिन जिस तरह का काम उन्होंने किया, वास्तव में वह अपकार था, भले वह अनजाने में ही हुआ होगा। यह कोई तरीका नहीं है कि आप बाजार से इतनी दवाएं खरीदें, निश्चित तौर पर नहीं।’

उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की जिसमें उस समय नेताओं द्वारा बड़ी मात्रा में कोविड-19 की दवाएं खरीदने और वितरित करने के आरोपों को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने का निर्देश देने का अनुरोध अदालत से किया गया है, जब लोग दवाओं की कमी का सामना कर रहे थे। विधायक तोमर और कुमार पर लगे आरोपों के सिलसिले में लंबित याचिकाओं पर भी आवेदन दाखिल किया गया है।

इससे पहले इस मामले को लेकर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी कि नेताओं द्वारा कोविड-19 दवाओं की जमाखोरी लेकर हुई जांच में ‘लीपापोती’ की गई थी। कोर्ट ने कहा था कि ऐसा लगता है कि पुलिस की इच्छा नहीं है कि सच सामने आए। कोर्ट ने कहा था, ‘चूंकि इसमें कुछ राजनीतिक लोग शामिल हैं, इसका मतलब ये नहीं कि जांच न किया जाए।’

 

बाकी ख़बरें