दिल्ली सरकार करीब 100 दलित छात्रों को विदेश में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप देने की योजना ला रही है। प्रतिभाशाली छात्र जो कला, कृषि, कानून, चिकित्सा और इंजीनियरिंग आदि के क्षेत्र में एमफिल और पीएचडी की पढ़ाई करना चाहते हैं, वे इस योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं।
दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि जल्द ही इस प्रस्ताव को कैबिनेट के समक्ष लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार करीब 100 अभ्यर्थियों को दो साल के पाठ्यक्रम के लिए 10 लाख रुपए और चार साल के पाठ्यक्रम के लिए 20 लाख रुपए की वित्तीय मदद मुहैया कराएगी। गौतम ने बताया कि योजना का लाभ उठाने के लिए वार्षिक आय की सीमा छह लाख रुपए रखी जा सकती है।
मंत्री ने कहा कि विदेश में उच्च शिक्षा हासिल करना महंगा है। हमारे पास ऐसे प्रतिभाशाली लोगों की कोई कमी नहीं है जिन्हें बराबर का मौका दिया जाए तो वे कुछ भी हासिल कर सकते हैं। ‘आप’ सरकार ने उनका हाथ थामने का फैसला किया है।
उन्होंने आगे कहा कि बड़ौदा रियासत के शासक सयाजी राव गायकवाड ने भीमराव आम्बेडकर की विदेश में पढ़ाई का खर्च उठाया था और उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया था। शेष आज इतिहास है।
गौरतलब है कि केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भी हर साल अनुसूचित जातियों के 100 छात्रों को विदेशी विश्वविद्यालयों में विज्ञान, इंजीनियरिंग, वाणिज्य, कला और समाज विज्ञान में परास्रातक और पीएचडी की पढ़ाई के लिए ‘राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति योजना’ के तहत वित्तीय मदद करता है। यह मदद 15,400 डॉलर या करीब 10 लाख रुपये की होती है।
दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि जल्द ही इस प्रस्ताव को कैबिनेट के समक्ष लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार करीब 100 अभ्यर्थियों को दो साल के पाठ्यक्रम के लिए 10 लाख रुपए और चार साल के पाठ्यक्रम के लिए 20 लाख रुपए की वित्तीय मदद मुहैया कराएगी। गौतम ने बताया कि योजना का लाभ उठाने के लिए वार्षिक आय की सीमा छह लाख रुपए रखी जा सकती है।
मंत्री ने कहा कि विदेश में उच्च शिक्षा हासिल करना महंगा है। हमारे पास ऐसे प्रतिभाशाली लोगों की कोई कमी नहीं है जिन्हें बराबर का मौका दिया जाए तो वे कुछ भी हासिल कर सकते हैं। ‘आप’ सरकार ने उनका हाथ थामने का फैसला किया है।
उन्होंने आगे कहा कि बड़ौदा रियासत के शासक सयाजी राव गायकवाड ने भीमराव आम्बेडकर की विदेश में पढ़ाई का खर्च उठाया था और उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका दिया था। शेष आज इतिहास है।
गौरतलब है कि केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भी हर साल अनुसूचित जातियों के 100 छात्रों को विदेशी विश्वविद्यालयों में विज्ञान, इंजीनियरिंग, वाणिज्य, कला और समाज विज्ञान में परास्रातक और पीएचडी की पढ़ाई के लिए ‘राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति योजना’ के तहत वित्तीय मदद करता है। यह मदद 15,400 डॉलर या करीब 10 लाख रुपये की होती है।