आज़मगढ़ में दलित छात्राओं ने प्रिंसिपल पर लगाया भेदभाव का आरोप, भीम आर्मी ने दी चेतावनी

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 1, 2019
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में दलित समुदाय के लोगों और छात्र-छात्राओं के साथ जातिगत भेदभाव कम होने का नाम नहीं  ले रह है. ताजा मामला आजमगढ़ के एक  गर्ल्स बोर्डिंग स्कूल का है जहां दलित छात्राओं ने प्रिंसिपल पर भेदभाव औऱ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है.



अंग्रेजी समाचार पत्र द इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट मुताबिक, राज्य के समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित जिले के मेहनगर के गौर गांव के राजकीय आश्रम पद्धति बालिका इंटर कॉलेज में छात्राओं के लिए एक हॉस्टल भी है.

पांच दलित छात्राओं द्वारा लिखी गई शिकायत में कहा गया है कि प्रिंसिपल भद्दी भाषा में हमारे साथ बात करती हैं. वे हमारे परिजनों को भी गाली देती हैं और उनके लिए जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करती हैं. प्रिंसिपल के ऑफिस से डॉ बीआर अंबेडकर की तस्वीर भी हटा दी गई है. हमें स्कूल से निकालने की धमकी दी गई है और स्कूल आने वाले किसी भी अधिकारी से इसके बारे में बात करने पर खामियाजा भुगतने की धमकी दी गई है.’ इन पांचों छात्राओं में से एक ने फोन पर बताया कि प्रिंसिपल खाना बांटते समय भी भेदभाव करती हैं.



एक छात्रा ने कहा, ‘ऊंची जाति के बच्चों के लिए विशेष भोजन परोसा जाता है.’प्रिंसिपल रागिनी नायक ने इन सभी आरोपों से इनकार करते हुए इस पर कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

रिपोर्ट के मुताबिक मेहनगर तहसील के एसडीएम दुष्यंत कुमार मौर्य ने कहा कि यदि प्रिंसिपल दोषी पाई जाती हैं तो जिला प्रशासन उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा.

मौर्य ने कहा कहा कि कक्षा नौंवी की दो छात्राओं के बीच बुधवार को कुछ विवाद हुआ था. इस पर दोनों लड़कियां प्रिंसिपल के पास गईं, इनमें से एक दलित समुदाय से थी. दलित छात्रा ने आरोप लगाया कि प्रिंसिपल रागिनी सिंह ने उसके साथ बुरा व्यवहार किया और उसका पक्ष नहीं सुना. पांच दलित छात्राओं ने मुझे लिखित शिकायत दी है, जिनका कहना है कि वे स्कूल में भेदभाव का सामना कर रही हैं. उनका कहना है कि उन्हें सुबह की प्रार्थना के दौरान पीछे की कतारों में खड़ा करने और कक्षा में पीछे बैठने को मजबूर किया जाता है.

उन्होंने कहा कि गुरुवार को वह स्कूल गए थे और जरूरत पड़ने पर छात्राओं को उचित कार्रवाई का भरोसा दिया है. मामले की जांच की जा रही है.

वहीं आज़मगढ़ के समाज कल्याण विभाग के उपनिदेशक सुरेश चंद्र पाल ने कहा, ‘अगर आरोप सच साबित होते हैं तो हम कार्रवाई करेंगे. मैंने बुधवार को छात्राओं से बात की थी.’


पाल ने कहा कि स्कूल में 303 छात्राएं हैं, जिनमें से 183 दलित समुदाय से हैं. 87 अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और 33 सामान्य वर्ग से हैं. एक आवासीय स्कूल हैं, जिसमें पिछड़े वर्ग के छात्रों के लिए आरक्षण है.

इस बीच दलित संगठन भीम आर्मी के कुछ कार्यकर्ताओं प्रिंसिपल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया.

भीम आर्मी के प्रवक्ता मंजीत सिंह नौटियाल का कहना है कि दलित छात्रों को नियमित पढ़ाई से दूर रखा जाता है. उनके साथ भेदभाव किया जाता है. छात्रों ने हमारे प्रतिनिधियों को बताया कि स्वर्ण जाति की छात्राओं के लिए अलग कमरे हैं. हमने एक टीम गुरुवार को स्कूल भेजी थी और वे शुक्रवार को रिपोर्ट जमा करेंगे. अगर जिला प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करती है तो हम आंदोलन शुरू करेंगे.

छात्राओं की लिखित शिकायत में दलित छात्राओं के साथ समान व्यवहार और प्रिंसिपल के निलंबन की मांग की गई है.

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