दलित सरपंच के पति की पीट-पीटकर हत्या, पहले 8 बार हुआ था हमला, पुलिस ने नहीं दी सुरक्षा

Written by Sabrangindia Staff | Published on: June 20, 2019
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य में दलितों के खिलाफ हिंसा के एक के बाद एक मामले सामने आ रहे हैं। अब गुजरात के बोटाद जिले से सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां एक दलित सरपंच के पति की छह लोगों ने लाठियों और पाइपों से कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी। यही नहीं मृतक दलित सरपंच  के पति मांजीभाई सोलंकी के ऊपर आठ बार जानलेवा हमले हो चुके थे लेकिन पुलिस ने उन्हें सुरक्षा नहीं दी।



मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक घायल होने की वजह से आखिरी सांस लेने से पहले मृतक मांजीभाई सोलंकी ने अपने एक रिश्तेदार को फोन पर बयान दिया। बयान में उन्होंने दावा किया कि पहले उनकी बाइक में एक कार ने टक्कर मार दी और इसके बाद उस कार में सवार पांच से छह लोगों ने उनकी पिटाई की। सोलंकी के बेटे ने पुलिस एफआईआर में भागीरथ सिंह, किशनसिंह और हार्दिक सिंह को नामजद किया है। सोलंकी का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें वह लगभग बेहोशी की स्थिति में हैं।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, गांव में ऊंची जाति के कुछ लोगों के साथ सोलंकी की पुरानी दुश्मनी थी। शुरुआती जांच में पता चला है कि सोलंकी ने दलितों के खिलाफ अत्याचार के मामलों में लड़ने के लिए दलित समुदाय के कई सदस्यों की मदद की थी। इससे ऊंची जाति के कुछ लोग उनसे नाराज थे. उन्होंने बार-बार उसे जान से मारने की धमकी दी थी।

साल 2010 से 2018 के बीच सोलंकी पर आठ बार हमले हुए थे। लेकिन किस्मत से हर बार वो बच गए. यह बात भी सामने आई है कि पीड़ित और उनकी पत्नी ने कई बार पुलिस से सुरक्षा मांगी थी। लेकिन उनकी मांग पर ध्यान नहीं दिया गया। 8 नवंबर, 2018 को उन्होंने गांधीनगर में जूनियर गृह मंत्री प्रदीपसिंह जडेजा और राज्य के पुलिस महानिदेशक शिवानंद झा से मुलाकात की थी और पुलिस सुरक्षा की मांग की थी। लेकिन पुलिस ने उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं करवाई। 18 सितंबर 2016 को अंग्रेजी अखबार अहमदाबाद मिरर में छपी खबर के मुताबिक पीड़ित ने पुलिस स्टेशन के सामने अपनी पत्नी सहित आत्मदाह करने की कोशिश की थी।

मांजीभाई के बेटे तुषार ने बताया कि पिछली बार उन पर तीन मार्च 2018 को हमला किया गया था। उसके बाद उन्हें पुलिस सुरक्षा दी गई थी, जिसे तीन महीने बाद वापस ले लिया गया।

सोलंकी ने एक शस्त्र लाइसेंस के लिए भी आवेदन किया था जो बोटाद जिला कलेक्टर के पास लंबित है। बाद में, उन्होंने गृह मंत्री और डीजीपी से यह कहते हुए भी मदद मांगी थी कि उनकी जान को खतरा है. हालांकि, पुलिस की और से कोई कार्रवाई नहीं की गई।

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