गुजरातः 5 साल में दलितों के खिलाफ 32% और अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ 55% बढ़ा अपराध

Written by Sabrangindia Staff | Published on: May 21, 2019
गुजरात की सरकार ने विधानसभा सत्र के दौरान स्वीकार किया है कि सूबे में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ आपराधिक मामले बढ़े हैं। गुजरात सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंंत्री ईश्वर परमार ने रिपोर्ट पेश कर बताया कि गुजरात में 2013 से 2017 के दौरान दलितों के खिलाफ 32% और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ क्राइम 55% बढ़ गया है। उन्होंने बताया कि 2013 से 2017 तक एससी और एसटी एक्ट के तहत कुल 6185 केस दर्ज किए गए। इन सभी मामलों में दलित पीड़ित थे।



रिपोर्ट के मुताबिक, 2013 में दलित उत्पीड़न के 1147 केस दर्ज हुए थे। वहीं, 2017 में दलित उत्पीड़न से संबंधित 1515 मामले दर्ज किए गए। वहीं, साल 2018 में मार्च तक दलित उत्पीड़न के 414 मामले सामने आए। इनमें से सबसे ज्यादा केस अहमदाबाद (49) दर्ज हुए। इनके बाद जूनागढ़ (34), भावनगर (25), सुरेंद्रनगर (24) और बनासकांठा (23) का नंबर आता है।

रिपोर्ट के मुताबिक साल 2013 से 2017 के दौरान अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ क्राइम के मामले 55 प्रतिशत बढ़कर 1310 तक पहुंच गए। इसके अलावा साल 2018 के पहले 3 महीनों में ही ऐसे 89 मामले दर्ज हुए, जिसमें अनुसूचित जनजाति के लोग पीड़ित थे। इनमें सबसे ज्यादा केस भरूच (14), वडोदरा (11) और पंचमहल (10) में दर्ज हुए।

मंत्री ईश्वर परमार ने बताया कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों के खिलाफ क्राइम के अब तक दर्ज 5863 मामलों में गुजरात सरकार पीड़ितों को करीब 50 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दे चुकी है। उन्होंने बताया कि मार्च 2018 तक सिर्फ 28 पीड़ितों को मुआवजा देना बाकी रह गया है।

बता दें कि 28 फरवरी को गांधीनगर में एक कार्यक्रम के दौरान दलितों को संबोधित करते हुए परमार ने कहा था कि 4,500 लाभार्थियों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम के माध्यम से 69 करोड़ रुपये की ऋण राशि बांटी गई है

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