सरकारी घोषणाओं का बोझ लादे, दिल्ली से पैदल सफर करने को मजबूर प्रवासी मजदूर

Written by Sabrangindia Staff | Published on: March 28, 2020
लॉकडाउन के दौरान लोगों को खाने के सामान की कमी ना हो और कोई भूखा न रहे इसके लिए दिल्ली सरकार ने निम्नलिखित घोषणाएं की हैं.



- दिल्ली के 72 लाख लोगों को 7.5 किलो राशन मुफ़्त देगी सरकार.

- दिल्ली के नाइट शेल्टरों में मुफ़्त खाने की व्यवस्था. कोई भी व्यक्ति यहां जाकर खाना खा सकता है.

- दिल्ली सरकार ने लोगों से अपने घरों में करने वालों को पेड-लीव देने की भी अपील की है.

- दिल्ली सरकार अपने विभागों के कॉन्ट्रैक्ट और दैनिक मज़दूरी में काम करने वालों को भी बंद के दौरान पूरा वेतन देगी.

- बुज़ुर्गों, विधवाओं, दिव्यांगों की पेंशन दोगुनी की गई है.

- नाइट शेल्टर के साथ-साथ 325 स्कूलों में खाने की व्यवस्था की गई है. इन स्कूलों में करीब 500 लोगों को लंच और डिनर दिया जाएगा.

- मीडिया से बातचीत में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बताया कि अब तक दिल्ली सरकार रोज़ाना करीब 20 हज़ार लोगों के खाने की व्यवस्था कर रही थी. आज से यह व्यवस्था दो लाख लोगों के लिए की जाएगी.

ये व्यवस्थाएं सरकार ने तो गिना दीं लेकिन इंप्लीमेंटेशन कितना किया गया है यह बीते चार दिनों से सोशल मीडिया पर घूम रहीं सैकड़ों किमी पैदल यात्रा कर रहे प्रवासी मजदूरों की तस्वीरें पोल खोलने के लिए काफी हैं। ताजा जानकारी मिल रही है कि 27 मार्च की शाम दिल्ली नोएडा से हजारों लोग पैदल ही अपने घरों की तरफ निकले हैं। इनमें से अधिकांश मजदूरों को 100 किमी से ज्यादा सफर अपने परिवारों के साथ पैदल ही तय करना है।

पंकज चतुर्वेदी ने अपने फेसबुक अकाउंट पर जानकारी साझा करते हुए लिखा है- अभी आधे घण्टे पहले नोयडा से परी चौक जाने वाले रास्ते पर कम से कम 20 हज़ार लोग थे-छोटे बच्चे, औरतें अधेड़। सभी अलीगढ़ से टीकमगढ़, बलिया से समस्तीपुर पैदल ही चल दिये। एक अनुमान है कि नोयडा से आगरा के बीच एक्सप्रेस वे पर 30 हज़ार से ज्यादा लोग होंगे। और अभी बरसात शुरू हो गयी। काश मौसम विभाग की यह भविष्यवाणी असत्य हो कि ओले भी गिर सकते हैं।

यह हालात बड़ी तबाही के हैं। सारे एक्सप्रेस वे पर घने पेड़ नाममात्र के हैं। अन्य कोई शेड लगभग नहीं। एक तो बरसात में भीगने के बाद कफ जुखाम होगा। यदि ओले गिरे तो तबाही अकल्पनीय होगी।

कोई सरकार को समझाए, इतने लोगों को इतने दिनों तक आसरा देना तुम्हारे बस का है नहीं। बसें लगा कर इन्हें गन्तव्य तक भेजो। इनका मेडिकल करवाओ।

याद रहे कोविड19 का प्रारम्भ निमोनिया से ही होता है।अल्प आहार, बदलते मौसम में लगातार पैदल चलने से लोगों की इम्यून या प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और यही नोबल कोरोना के सहज शिकार होते हैं। फिलहाल हज़ारों लोग खुले में भीग रहे हैं और सरकार वायदों घोषणाओं में तरबतर।

(BBC से इनपुट्स साभार)

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