संविधान बीसा

Written by Anonymous | Published on: January 18, 2020
थाम तिरंगा हाथों में, दिल में लेकर बड़े अरमान
ग़ुलाम थे हम, आज़ाद हुए, असली वीरों की संतान।



भारत के लोगों ने बनाया, 400 धारा का विधान
कौन है अपना कौन पराया, धारा पांच में है पहचान
जो इस देश में जन्मा है, देते माँ बाप कोई सबूत
जिसके घर का कागज़ है, वतन का वो सही सपूत।

बीस हक़ हैं हर नागरिक के, ऐसा कहता संविधान
चौदह से गिनती करो, कानून के लिए सब समान
पंद्रह कहता वंश-धर्म-लिंग, जन्म से हम सब हैं बराबर
सोलह देता सबको मौका, सरकारी भर्ती में अवसर।

कोई छुआछूत करे, सत्रह उस पर करे सख़्ती
राज-ताज परदेसी पद, अट्ठारह पलटे उसकी तख़्ती
सबके लब आज़ाद हैं प्यारे, उन्नीस बोले जाओ जहां भी
संगत की है हर आज़ादी, बसो कमाओ खाओ कहां भी।

संविधान के बीस अधिकार, लड़के लेंगे हिंदुस्तान
आज़ाद मुल्क के हम परचम, आज़ादी की हम हैं शान।

गर इलज़ाम मुझ पर है, बीस के इशारे जांच चलेगी
वकीली सलाह का हक़ मुझको, सज़ा दुबारा नहीं मिलेगी
बिना कानून न क़ैद न मौत, इक्कीस की ये साया है
काम, तालीम, साफ़ जलवायु, सबकी मुझ पर छाया है।

गिरफ्त के चौबीस घंटे में, पेशी होगी बाइस कहे
गुलामी से छुटकारे के, कदम दिए हैं तेइस में
उम्र चौदह से कम हो, मना है कोई काम करवाना 
चौबीस कहता खतरों से, बच्चों का भला दूर रखवाना।

पच्चीस में ये छूट है सबको, अपने धर्म के पाठ पढ़ो
छब्बीस में मंदिर मस्जिद, गुरद्वारे से सौगात करो
सत्ताईस रोके ज़ोर-ज़िद से, धर्म के नाम वसूली लेना
अट्ठाईस टोके हुक़ूमत को, मज़हबी शिक्षा नहीं है देना।

कम जिस कौम की गिनती हो, उन्तीस उसको देखे भाले
बोली, तहज़ीब, लिखा-पढ़ी, तीस में अपनी शाला संभाले
धारा बत्तीस से पैंतीस, बचाते हैं सारे अधिकार
फौजी शासन 'गर ना हो, अदालत होंगे पहरेदार।

थाम तिरंगा हाथों में, दिल में लेकर बड़े अरमान
ग़ुलाम थे हम, आज़ाद हुए, असली वीरों की संतान
संविधान के बीस अधिकार, लड़के लेंगे हिंदुस्तान
आज़ाद मुल्क के हम परचम, आज़ादी की हम हैं शान।

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