नई दिल्ली। 31 जनवरी को केरल में देश का पहला कोरोना का मरीज सामने आया था। राहुल गांधी ट्वीट के जरिए बार-बार मोदी सरकार को आगाह कर रहे थे कि यह महामारी बहुत घातक है। लेकिन मोदी सरकार डोनाल्ड ट्रंप के फरवरी में आगमन के स्वागत की तैयारियों में जुटी थीं। मार्च के महीने में मध्यप्रदेश में कांग्रेस सरकार को गिराकर भाजपा सरकार बनाने में जुटी थी। उसके दो दिन बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन के जनता कर्फ्यू की अपील की। इसके बाद फिर तीन सप्ताह राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई। फिर सामने आया तब्लीगी जमात का। मीडिया ने तब्लीगी जमात को इस तरह से प्रचारित किया कि जैसे भारत में कोरोना की मुस्लिम समुदाय द्वारा ही लायी गई हो। मीडिया अपने सांप्रदायिक एजेंडे पर काम करते करते इस कदर सफल नजर आ रहा है कि अब मरीजों के उपचार में भी धर्म ढूंढा जाने लगा है।
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला अहमदाबाद के सिविल अस्पताल का है। यहां कोरोना के मरीजों और संदिग्धों को धर्म के आधार पर बेड अलॉट किए जा रहे हैं। इस अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए 1200 बेड का इंतजाम है। इसे अब हिंदू-मुसलमान मरीजों में बांट दिया गया है। यानी 600 बेड हिंदू मरीजों के लिए और बाकी 600 मुस्लिम कोरोना मरीजों के लिए रखे गए हैं।
इस अस्पताल में 186 कोरोना संदिग्ध भर्ती कराए गए हैं। अब तक इनमें से 150 लोग कोरोना टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनमें 40 मुसलमान हैं।
एक मरीज ने जानकारी दी, 'रविवार रात को फर्स्ट वार्ड (A-4) में भर्ती 28 मरीजों को दूसरे वार्ड C-4 में शिफ्ट कर दिया गया। हमें ये नहीं बताया गया कि क्यों शिफ्ट किया जा रहा है। जितने भी मरीज शिफ्ट किए गए, वे सभी एक ही समुदाय के थे। हमने अपने वार्ड में ड्यूटी कर रहे एक स्टाफ से इस बारे में जानने की कोशिश की। उसने बस इतना कहा कि दोनों धर्मों के मरीजों की सुविधा के लिए ये कदम उठाया गया है।'
अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ। गुणवंत राठौड़ ने इस बारे में बताया, 'अस्पताल में कोविड-19 के हिुंदू-मुस्लिम मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड की व्यवस्था की गई है। ये काम राज्य सरकार के आदेश पर ही किया गया है।'
भले ही मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ। गुणवंत राठौड़ राज्य सरकार के आदेश पर ऐसा करने की बात कर रहे हों, लेकिन डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल ने इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया है। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने मामले की छानबीन कराने की बात कही। वहीं, अहमदाबाद के कलेक्टर ने भी इसकी जानकारी होने से साफ इनकार कर दिया
'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के मुताबिक, मामला अहमदाबाद के सिविल अस्पताल का है। यहां कोरोना के मरीजों और संदिग्धों को धर्म के आधार पर बेड अलॉट किए जा रहे हैं। इस अस्पताल में कोरोना मरीजों के लिए 1200 बेड का इंतजाम है। इसे अब हिंदू-मुसलमान मरीजों में बांट दिया गया है। यानी 600 बेड हिंदू मरीजों के लिए और बाकी 600 मुस्लिम कोरोना मरीजों के लिए रखे गए हैं।
इस अस्पताल में 186 कोरोना संदिग्ध भर्ती कराए गए हैं। अब तक इनमें से 150 लोग कोरोना टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनमें 40 मुसलमान हैं।
एक मरीज ने जानकारी दी, 'रविवार रात को फर्स्ट वार्ड (A-4) में भर्ती 28 मरीजों को दूसरे वार्ड C-4 में शिफ्ट कर दिया गया। हमें ये नहीं बताया गया कि क्यों शिफ्ट किया जा रहा है। जितने भी मरीज शिफ्ट किए गए, वे सभी एक ही समुदाय के थे। हमने अपने वार्ड में ड्यूटी कर रहे एक स्टाफ से इस बारे में जानने की कोशिश की। उसने बस इतना कहा कि दोनों धर्मों के मरीजों की सुविधा के लिए ये कदम उठाया गया है।'
अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ। गुणवंत राठौड़ ने इस बारे में बताया, 'अस्पताल में कोविड-19 के हिुंदू-मुस्लिम मरीजों के लिए अलग-अलग वार्ड की व्यवस्था की गई है। ये काम राज्य सरकार के आदेश पर ही किया गया है।'
भले ही मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ। गुणवंत राठौड़ राज्य सरकार के आदेश पर ऐसा करने की बात कर रहे हों, लेकिन डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल ने इस पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया है। जब उनसे पूछा गया तो उन्होंने मामले की छानबीन कराने की बात कही। वहीं, अहमदाबाद के कलेक्टर ने भी इसकी जानकारी होने से साफ इनकार कर दिया