CJP Against Hunger: असम टीम ने क्वारंटीन किए गए परिवारों और जरूरतमंदों की मदद को बढ़ाए हाथ

Written by sabrang india | Published on: April 10, 2020
कोरोना वायरस को लेकर देशव्यापी लॉकडाउन के बीच असम में सीजेपी (सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस) के अभियान की कोशिशें रंग ला रही हैं। मुम्बई में सीजेपी टीम के प्रयासों के चलते पिछले दिनों जरूरतमंदों को राहत सामग्री प्रदान की गई थी जिसमें मजदूर, दैनिक वेतन भोगी, यौनकर्मी, कम आय वाले लोग और प्रवासी श्रमिक आदि शामिल हैं। इसी तरह असम सीजेपी टीम ने भी जरूरतमंदों तक राहत सामग्री पहुंचाई। असम सीजेपी टीम पहले से ही एनआरसी प्रक्रिया से प्रभावित परिवारों की मदद में लगी हुई थी। 



राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन ने दैनिक वेतन भोगी (दिहाड़ी मजदूर आदि) और कम आय की नौकरी वाले लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। कोरोना वायरस (Covid 19) संकट से निपटने के लिए इस समय टैक्सी और रिक्शा चालक, ठेला लगाने वाले, डिलीवरी बॉय, वेटर, दूसरों के घर पर मदद करने वाले लोग, एचआईवी पीड़ित, ट्रांसजेंडर्स, सेक्सवर्कर्स, अनया और निराश्रित लोगों को तत्काल हमारी मदद की आवश्यकता है। सीजेपी ने मुंबई महानगर क्षेत्र में 5,000 से अधिक ऐसे परिवारों को राशन और आवश्यक आपूर्ति प्रदान करने के लिए इसी तरह के कई संगठनों के साथ भागीदारी की है। हम आपसे विनम्रता से दान करने के लिए आग्रह करते हैं ताकि कोई भी भूखा न सोए। 

इस अभियान के बारे में जो अलग बात है वो ये है कि टीम के प्रयास केवल एनआरसी प्रभावित परिवारों को राहत और मदद पहुंचाने तक सीमित नहीं हैं बल्कि इसमें  कम आय वर्ग वाले इस तरह के सभी वर्गों के जरूरतमंद भी शामिल हैं। इस काम को समुदायों को साथ लेकर पूरा किया जा रहा है और समुदायों को साथ लेकर सुदूर इलाकों में भी पहुंचा जा रहा है। जब सीजेपी का एनआरसी अभियान चल रहा था, असम का इलाका एक चुनौती भी साबित हुआ। जिला स्वयंसेवक प्रेरक (डीवीएम) सहायता प्रदान करने के लिए असम के दूर दराज के क्षेत्रों में जा रहा थे। अभी के 'भूख के खिलाफ सीजेपी' अभियान में भी जिला स्वयंसेवक प्रेरकों का समर्पण इससे देखा जा सकता है कि उन्होंने असम के दुर्गम क्षेत्रों में किस तरह राहत सामग्री को प्रदान किया। 

चिरांग जिले के जिला स्वयंसेवक प्रेरक नंदा घोष और प्रणॉय तराफदार ने चिरांग जिले में काम किया और 200 से ज्यादा लोगों को राशन प्रदान की। राहत सामग्री में चावल, सरसों का तेल, दाल, नमक, प्याज, सोयाबीन, आलू शामिल हैं। ये राशन के पैकेट एक हफ्ते तक की जीविका के लिए प्रर्याप्त हैं।

मोरीगांव जिले में फारुक अहमद ने बंगलाबोरी गांव के करीब 100 परिवारों को राहत सामग्री प्रदान की जिसमें एक तबलीगी जमात का परिवार भी शामिल है जिसे सुविधा के लिए एक क्वारंटीन में रखा गया है। यह परिवार विशेष रूप से परेशानियों का सामना कर रहा था क्योंकि वह पुलिस के निर्देशों के अनुसार अपने घर में आइसोलेट (अलग-थलग) थे। इसलिए उन्हें खिलाना मुश्किल था। मोरीगांव जिले के कुआडोल और गुरिपत्थर गाँव तक भी मदद पहुँच रही है।

चिरांग जिले में हमारे जिला स्वयंसेवक प्रेरक अबुल कलाम आजाद ने हाटिपोटा, सतीपुर, बंदुगुरी, हसरूबरी, बारिगारा, बिलाशपुर, पद्मपुर के इलाकों में जरूरतमंदों के लिए राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं। 

गोलपारा जिले में हमारे जिला स्वयंसेवक प्रचारक जस्मीन सुल्ताना ने रोसमीनरा बेगम के साथ खड़ामनिकपुर गांव में कुछ परिवारों को राशन वितरित किया। 

चिरांग, बोंगाईगांव और कोकराझार के कुछ इलाकों में मुख्य रुप से विधवाओं, अनाथों, बंदियों के परिवारों और कम आय वाले परिवारों को राहत पहुंच रही है। हमारे जिला स्वयंसेवक प्रेरक (डीवीएम) नंदा घोष ने बताया कि चिरांग, बोंगाईगांव में 89 विधवाओं और कोकराझार के कुछ हिस्सों में सामूहिक रूप से पहुंची है। इसके अतिरिक्त, बिजनी में बंदियों के 5 परिवारों, बोंगाईगाँव में एक अनाथालय में 17 बच्चे और दैनिक मजदूरी कमाने वाले दो परिवारों को राशन मिला है।

चिरांग जिले के कावाटिका में सीजेपी ने कावाटिका युवा समाज और समुदाय के कुछ सदस्यों की मदद से अब तक 240 परिवारों को राशन सामग्री वितरित की है। डारंग जिले में हमारे जिला स्वयंसेवक प्रेरक जॉयनल आबेदीन  ढालपुर और किरकारा गांव में कुछ कम आय वाले परिवारों को राशन देने में कामयाब रहे।

सीजेपी की असम टीम निम्न आय वर्ग वाले उन परिवारों को राहत सामग्री प्रदान कर रही है जिनके पास लॉकडाउन के कारण आय का कोई साधन नहीं है या जिन परिवारों के पास राशन कार्ड नहीं हैं या ऐसे परिवार जो किसी भी कारण से अपने राशन कार्ड से लाभ प्राप्त करने में असर्थ हैं। यह टीम उन सभी लोगों के परिवारों तक पहुंच रही है जो वर्तमान में असम के डिटेंशन सेंटरों में बंद हैं, क्योंकि एनरआरसी की सूची में नाम न आने के कारण इन परिवारों का राशन कार्ड रद्द किया गया है। 

इसके अलावा मोरीगांव में भी उन करीब 200 लोगों को राहत सामग्री पहुंचाने के लिए बोरबारी युवा समाज के सदस्यों को जुटाया गया। इन लोगों में कोरोना वायरस के संदेह में क्वारंटीन में रहने वाले परिवार भी शामिल थे। फारुक अहमद ने मोरीगांव के बोंगलबाड़ी गांव में क्वारंटीन में ऐसे परिवारों की मदद की है जिनके पास पानी का नल नहीं है। उन लोगों को पास के गांव से लगभग 250 लीटर पानी उपलब्ध कराया और क्वारंटीन में रह रहे इन परिवारों को 15 दिन का राशन भी प्रदान किया। 

असम में कई जिला स्वयंसेवक प्रेरक इस समय भी आर्थिक रूप से योगदान दे रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस समय जरूरतमंदों को राहत सामग्री पहुंचाने में देरी न हो। 

इसके अलावा सीजेपी के राज्य समन्वयक जमसेर अली, कल्याणी बोरुहा के साथ लगातार राज्य प्रशासन तक पहुंच बना रहे हैं ताकि पीड़ित परिवारों को सरकार से राहत सामग्री मिल सके। वे इस तरह के एक प्रयास में सफल रहे जब 5 अप्रैल को, यह उनके संज्ञान में आया कि जलुकबारी क्षेत्र में, कई मजदूरों को 2 दिनों से भोजन नहीं मिल रहा था। उन्होंने जिला प्रशासन से संपर्क किया और इस हस्तक्षेप के कारण लगभग 70 परिवारों को राज्य सरकार से लगभग 750 किलोग्राम राशन मिला है।

इस तरीके से सीजेपी असम टीम के सामुदायिक और सामाजिक समूहों को जुटाने के सामूहिक प्रयास के कारण दूरदराज के इलाकों में तक राहत पहुंची है जिससे निराश्रित, अनाथ, क्वारंटीन में रह रहे परिवार, डिटेंशन सेंटर के बंदियों के परिवार और अन्य निम्न-आय वाले परिवारों की मदद हो रही है। सीजेपी ने अपनी समर्पित टीम के जरिए असम में अपने व्यापक प्रयासों को जारी रखने की कोशिश की।

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