छत्तीसगढ़: अडानी को दिए परसा कोल ब्लॉक के विरोध में अनिश्चितकालीन धरने पर ग्रामीण

Written by Anuj Shrivastava | Published on: October 15, 2019
सूरजपुर ज़िले के ग्राम तारा में सोमवार से सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण इकठ्ठा हैं. ये ग्रामीण हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले अडानी को आवंटित की गई परसा कोल ब्लॉक खनन परियोजना का विरोध करने के लिए अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.



ग्रामीणों का आरोप है कि अडानी की परसा कोल खनन परियोजना के लिए नियमविरुद्ध ग्रामसभा की सहमति के बिना ही भूमि अधिग्रहण किया गया है और वन स्वीकृति भी फर्जी ग्रामसभा प्रस्ताव बनाकर हासिल की गई है.

ग्रामीणों की मांग
पेसा कानून 1996 एवं भूमि अधिग्रहण कानून 2013 की धारा (41) के तहत ग्रामसभा की सहमती लिए बिना परसा कोल ब्लॉक हेतु किए गए जमीन अधिग्रहण को निरस्त किया जाए.

वनाधिकार मान्यता कानून 2006 के तहत ग्रामसभा की सहमती पूर्व एवं वनाधिकारों की मान्यता की प्रक्रिया ख़त्म किए बिना दी गई वन स्वीकृति को निरस्त किया जाए.

हसदेव अरण्य क्षेत्र में परसा, पतुरिया गिदमुड़ी, मदनपुर साऊथ कोल खनन परियोजनाओं को निरस्त किया जाए एवं परसा ईस्ट केते बासन के विस्तार पर रोक लगाई जाए. 

हसदेव अरण्य के जंगल से जुड़ी आदिवासी एवं अन्य ग्रामीण समुदाय की आजीविका व संस्कृति वन क्षेत्र में उपलब्ध जैव विविधता, हसदेव नदी एवं बांगो बांध के केचमेंट, हाथियों का रहवास क्षेत्र एवं छत्तीसगढ़ व दुनिया के पर्यावरण महत्ता के कारण इस सम्पूर्ण क्षेत्र को खनन से मुक्त रखते हुए किसी भी नए कोल ब्लॉक का आवंटन न किया जाए.

वनाधिकार मान्यता कानून के तहत व्यक्तिगत और सामुदायिक वन संसाधन के अधिकारों को मान्यता देकर वनों का प्रबंधन ग्रामसभाओं को सौंपा जाए.



छत्तीसगढ़ बचाओ आन्दोलन के आलोक शुक्ला ने कहा कि "पूरे सरगुज़ा इलाके में वनाधिकर के हालात बेहद ख़राब हैं. मनमाने तरीके से नियम कायदों का उल्लंघन चल रहा है. तीनों अभयारण्यों में विस्थापन की तलवार लटकी है. खनन परयोजनाओं से लोग परेशान हैं. आन्दोलन ही इस समय की ज़रुरत है."

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