छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार के खिलाफ जन असंतोष लगातार बढ़ रहा है और सरकार के दमन के लाख प्रयासों के बावजूद ये जन असंतोष लगातार फूट भी रहा है। पुलिस परिवारों के पूरे प्रदेश को हिला देने वाले आंदोलन के बाद अब सरकारी कर्मचारी और अधिकारी हड़ताल पर उतर आए हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के बैनर तले बुधवार को राज्य के सारे जिलों में कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेकर हड़ताल पर रहे।राजधानी रायपुर में भी सरकारी कार्यालय बंद रहे। संचालनालय भी बंद रहा। हालांकि मंत्रालय के कर्मचारी काम पर आए क्योंकि विधानसभा के मॉनसून सत्र की तैयारियां चल रही हैं। मॉनसून सत्र 2 जुलाई से शुरू हो रहा है।
नईदुनिया की खबर के मुताबिक, सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों ने ताले लगा दिए। कई जिलों में अधिकारियों-कर्मचारियों ने रैलियां निकालीं और धरना प्रदर्शन किए। कार्यालयों में कामकाज न होने से आम लोगों को वापस लौटना पड़ा।
अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन में शामिल 27 कर्मचारी संगठनों से जुड़े कर्मचारियों ने राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब पर धरना दिया।कर्मचारियों ने भाजपा सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया और मांग की 2013 के विधानसभा चुनावों के समय अधिकारियों और कर्मचारियों से संबंधित जो वादे उसने किए थे, उन्हें पूरा किया जाए।
फेडरेशन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की भी चेतावनी दी। फेडरेशन की मांगों में सातवें वेतनमान का 18 महीने का एरियर, महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी, बकाया डीए का भुगतान और पेंशन की योग्यता 33 की जगह 25 साल करना शामिल है।
फेडरेशन के नेताओं का कहना है कि विकास यात्रा को देखते हुए ये आंदोलन स्थगित कर दिया गया था, लेकिन अब लड़ाई एक बार शुरू होगी तो फिर बंद नहीं होगी और सरकार को अपने वादे पूरे करने पड़ेंगे। इसके पहले अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर भी जिला स्तरीय धरना प्रदर्शन किया गया था। 12 जून को कर्मचारियों ने बूढ़ा तालाब पर ही धरना दिया था और मुख्यमंत्री के नाम 36 मांगों का ज्ञापन दिया था।

छत्तीसगढ़ राज्य अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के बैनर तले बुधवार को राज्य के सारे जिलों में कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेकर हड़ताल पर रहे।राजधानी रायपुर में भी सरकारी कार्यालय बंद रहे। संचालनालय भी बंद रहा। हालांकि मंत्रालय के कर्मचारी काम पर आए क्योंकि विधानसभा के मॉनसून सत्र की तैयारियां चल रही हैं। मॉनसून सत्र 2 जुलाई से शुरू हो रहा है।
नईदुनिया की खबर के मुताबिक, सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों ने ताले लगा दिए। कई जिलों में अधिकारियों-कर्मचारियों ने रैलियां निकालीं और धरना प्रदर्शन किए। कार्यालयों में कामकाज न होने से आम लोगों को वापस लौटना पड़ा।
अधिकारी-कर्मचारी फेडरेशन में शामिल 27 कर्मचारी संगठनों से जुड़े कर्मचारियों ने राजधानी रायपुर के बूढ़ा तालाब पर धरना दिया।कर्मचारियों ने भाजपा सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया और मांग की 2013 के विधानसभा चुनावों के समय अधिकारियों और कर्मचारियों से संबंधित जो वादे उसने किए थे, उन्हें पूरा किया जाए।
फेडरेशन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की भी चेतावनी दी। फेडरेशन की मांगों में सातवें वेतनमान का 18 महीने का एरियर, महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी, बकाया डीए का भुगतान और पेंशन की योग्यता 33 की जगह 25 साल करना शामिल है।
फेडरेशन के नेताओं का कहना है कि विकास यात्रा को देखते हुए ये आंदोलन स्थगित कर दिया गया था, लेकिन अब लड़ाई एक बार शुरू होगी तो फिर बंद नहीं होगी और सरकार को अपने वादे पूरे करने पड़ेंगे। इसके पहले अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर भी जिला स्तरीय धरना प्रदर्शन किया गया था। 12 जून को कर्मचारियों ने बूढ़ा तालाब पर ही धरना दिया था और मुख्यमंत्री के नाम 36 मांगों का ज्ञापन दिया था।