नई दिल्ली। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की आलोचना की है। कहा है कि वो इस मंत्रालय की सुस्ती को देखकर हैरान है। 8 मई को IMA ने एक बयान जारी किया। इसमें बताया कि उसने, केंद्र सरकार से पूर्ण लॉकडाउन की मांग की थी। लेकिन सरकार ने उनके प्रस्ताव को कूड़ेदान में डाल दिया। IMA ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखा था कि वह नींद से जागे और चुनौतियों का सामना करे। IMA ने आरोप लगाया है कि उनके सदस्यों और चिकित्सा क्षेत्र के विद्वानों की सलाह को भारत सरकार ने दरकिनार कर दिया।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, भारत में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों का सबसे बड़ा संगठन है। IMA ने अपने एक बयान में कहा है कि कोरोना के कारण जो संकट पैदा हुआ है, उससे निपटने में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ‘सुस्त’ रहा है।
संगठन ने कहा कि वो लगातार पूर्ण लॉकडाउन की मांग कर रहा है, ताकि स्वास्थ्य सुविधाओं को संभलने का वक्त मिल सके। साथ ही लॉकडाउन से ही संक्रमण के फैलने की चेन को तोड़ा जा सकेगा। IMA ने कहा कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन लगाने की सलाह को नहीं माना और नतीजा ये है कि रोजाना करीब 4 लाख नए केस सामने आ रहे हैं, इसके अलावा मॉडरेट से गंभीर मामलों की तादाद करीब 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है। कुछ राज्यों ने 10 से 15 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की है लेकिन पूरे देश में लॉकडाउन जरूरी है ताकि संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सके।
IMA ने कहा कि कोरोना को लेकर जो भी फैसले लिए जा रहे हैं उनका जमीनी हकीकत से कोई लेना देना नहीं है। ऊपर जो लोग बैठे हैं वह जमीनी हकीकत को समझने के लिए तैयार ही नहीं हैं और इन बातों को ध्यान में लिए बगैर ही फैसले किए जा रहे हैं।
ऑक्सीजन की कमी को लेकर IMA ने कहा कि ऑक्सीजन का हर दिन संकट गहरा हो रहा है और लोगों की मौत हो रही है। इस बात से डॉक्टरों और और मरीजों में पैनिक भी हो रहा है। देश में ऑक्सीजन का प्रोडक्शन पर्याप्त है लेकिन डिस्ट्रीब्यूशन में दिक्कतें सामने आ रही हैं। इसके अलावा संगठन ने आंकडों में पारदर्शिता रखने को कहा है। IMA ने कहा कि पहली वेव में हमने 756 डॉक्टर खो दिए और इस वेव में अभी तक 146 डॉक्टरों की मौत हो गई है। वहीं अस्पतालों में हो रही सैकड़ों मौतों को गैर कोविड मौत बताया जा रहा है।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, भारत में डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों का सबसे बड़ा संगठन है। IMA ने अपने एक बयान में कहा है कि कोरोना के कारण जो संकट पैदा हुआ है, उससे निपटने में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ‘सुस्त’ रहा है।
संगठन ने कहा कि वो लगातार पूर्ण लॉकडाउन की मांग कर रहा है, ताकि स्वास्थ्य सुविधाओं को संभलने का वक्त मिल सके। साथ ही लॉकडाउन से ही संक्रमण के फैलने की चेन को तोड़ा जा सकेगा। IMA ने कहा कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन लगाने की सलाह को नहीं माना और नतीजा ये है कि रोजाना करीब 4 लाख नए केस सामने आ रहे हैं, इसके अलावा मॉडरेट से गंभीर मामलों की तादाद करीब 40 प्रतिशत तक बढ़ गई है। कुछ राज्यों ने 10 से 15 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की है लेकिन पूरे देश में लॉकडाउन जरूरी है ताकि संक्रमण की चेन को तोड़ा जा सके।
IMA ने कहा कि कोरोना को लेकर जो भी फैसले लिए जा रहे हैं उनका जमीनी हकीकत से कोई लेना देना नहीं है। ऊपर जो लोग बैठे हैं वह जमीनी हकीकत को समझने के लिए तैयार ही नहीं हैं और इन बातों को ध्यान में लिए बगैर ही फैसले किए जा रहे हैं।
ऑक्सीजन की कमी को लेकर IMA ने कहा कि ऑक्सीजन का हर दिन संकट गहरा हो रहा है और लोगों की मौत हो रही है। इस बात से डॉक्टरों और और मरीजों में पैनिक भी हो रहा है। देश में ऑक्सीजन का प्रोडक्शन पर्याप्त है लेकिन डिस्ट्रीब्यूशन में दिक्कतें सामने आ रही हैं। इसके अलावा संगठन ने आंकडों में पारदर्शिता रखने को कहा है। IMA ने कहा कि पहली वेव में हमने 756 डॉक्टर खो दिए और इस वेव में अभी तक 146 डॉक्टरों की मौत हो गई है। वहीं अस्पतालों में हो रही सैकड़ों मौतों को गैर कोविड मौत बताया जा रहा है।