इलाहाबाद में एलएलबी कर रहे दलित छात्र दिलीप सरोज की पीट-पीट कर निर्मम हत्या कर दी गयी है क्योंकि एक दबंग व्यक्ति के पैर से उसका पैर टकरा गया। यदि आप दलित हैं,वंचित और उपेक्षित हैं तो आपको संभल कर चलना पड़ेगा क्योंकि अभी देश मे रामराज कायम हो चुका है।
रामराज?? रामराज का आशय जरूर समझ रहे होंगे आपलोग! रामराज मतलब मनुवाद, मनुवाद मतलब सवर्णवाद, सवर्णवाद मतलब शोषण वाद, शोषणवाद मतलब शूद्र का अधिकार विहीन होना।
देश रामराज के लिए लालायित था। सबरी, जामवंत, सुग्रीव और हनुमान के वंशज रामराज के बिना आकुल-ब्याकुल थे। इन्हें रावण के समाजवादी राज और बालि के समतावादी राज की तरह ही देश व प्रदेश की दूसरी सेक्युलर सरकारों से परेशानी थी क्योंकि इन्हें रामराज चाहिए था जिसमें गर्भवती सीता को जंगल में छोड़ दिया गया, अकेली स्त्री सूर्पनखा द्वारा शादी की याचना पर नाक-कान काट दिया गया, छुप करके धोखे से बालि को मार डाला गया, अमीर-गरीब सबका समान रूप से लंका में बना सोने का घर जला दिया गया, भाई को अपने पक्ष में करके रावण को मार दिया गया और निर्दोष शम्बूक का गर्दन उतार लिया गया।
जब रामराज है तो शम्बूक की परम्परा के लोग मारे जाएंगे ही। इलाहाबाद में लॉ के छात्र दिलीप सरोज को महज इसलिए मार डाला गया है कि उसके पैर श्रेष्ठ हिन्दू से कैसे टकरा गए? दलित दिलीप सरोज ने अनुसूचित जाति में जन्म ले इतना न गुनाह कर दिया कि उसके पैर मान्यवर से टकरा करके उसकी जान पर आ गए।
यह कमबख्त जाति भी अजीब है जो कभी जितेंद्र यादव के यादव होने के नाते उसके जान पर आ जाती है और दारोगा जाति पूछ निरपराध होने के बावजूद गोली मार देता है तो इलाहाबाद में दिलीप सरोज को अनुसूचित होने के नाते पैर से पैर टकरा जाने से जान अर्पित कर देना पड़ता है।
भारत अभी भी कितने आदिम काल मे जी रहा है जहां दलित का गैर दलित से शरीर छू जाना गुनाह है,शादी-विवाह में बैंड बाजा बजाना अपराध है।मन्दिर में जाना,घोड़ी पर चढ़ना, पूड़ी बेलना, भोजन बनाना, चारपाई पर बैठना, कूड़े की टोकरी छू जाना, स्कूल में साथ बैठना आदि कार्य अभी भी दलित के लिए नापाक है।
दलित/वंचित समाज कल भी त्रासदीपूर्ण जिंदगी जीने को अभिशप्त था और आज भी है। सामाजिक चेतना आज भी न के बराबर है। जाति का दंश पल-पल सता रहा है और लोग इसे भोगने को विवश हैं।
मन अत्यंत आहत है इस वीडियो को देखकर क्योंकि जान बेमतलब और जाति महत्वपूर्ण कारक है। हमारे देश के मनुवादी विधान में वंचितों की स्थिति कीड़े-मकोड़ो की जैसी है। जैसे जब मन चाहा पशु बलि चढ़ाने की अनुमति ले ली और निर्दोष जानवर बलिवेदी पर चढ़ स्वर्गारोहण को चले गए वैसे ही जब मन चाहा तब दलित/शोषित को पीट दिया या हत दिया।
इलाहाबाद में लॉ के छात्र दिलीप सरोज की हत्या ने देश को हिला करके रख दिया है। मैं मर्माहत हूँ इस क्रूरतम व्यवहार से और आरक्षण से परेशान लोगों को आंख खोल करके जाति के नँगे सच को देखने हेतु आमंत्रित कर रहा हूँ। देखो! देखो!! इस जाति ने हमारे पुरखो व वर्तमान नस्लों को किस कदर बर्बाद करके रख दिया है?
हे जाति के सृजनकर्ताओं! तुम्हे यदि परेशानी आरक्षण से है तो हमें परेशानी तुम्हारी जाति व्यवस्था से है जिसके कारण हमारा जीवन कल भी नारकीय था और आज भी नारकीय है।तुम इस जाति के नाते शम्बूक को मारे,रोहित बेमुला को मारे तो दिलीप सरोज को मार डाले।हे जाति निर्माताओं! हमे इस जाति से मुक्त करो।
बहुत ही दुखी व भारी मन से जाति की वेदी पर चढ़ चुके दिलीप सरोज को मेरी श्रद्धांजलि है और हत्यारो को कड़ी से कड़ी सजा की मांग है। हालाँकि पुलिस का कहना है कि हमलावरों को बख्शा नहीं जाएगा.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.)
रामराज?? रामराज का आशय जरूर समझ रहे होंगे आपलोग! रामराज मतलब मनुवाद, मनुवाद मतलब सवर्णवाद, सवर्णवाद मतलब शोषण वाद, शोषणवाद मतलब शूद्र का अधिकार विहीन होना।
देश रामराज के लिए लालायित था। सबरी, जामवंत, सुग्रीव और हनुमान के वंशज रामराज के बिना आकुल-ब्याकुल थे। इन्हें रावण के समाजवादी राज और बालि के समतावादी राज की तरह ही देश व प्रदेश की दूसरी सेक्युलर सरकारों से परेशानी थी क्योंकि इन्हें रामराज चाहिए था जिसमें गर्भवती सीता को जंगल में छोड़ दिया गया, अकेली स्त्री सूर्पनखा द्वारा शादी की याचना पर नाक-कान काट दिया गया, छुप करके धोखे से बालि को मार डाला गया, अमीर-गरीब सबका समान रूप से लंका में बना सोने का घर जला दिया गया, भाई को अपने पक्ष में करके रावण को मार दिया गया और निर्दोष शम्बूक का गर्दन उतार लिया गया।
जब रामराज है तो शम्बूक की परम्परा के लोग मारे जाएंगे ही। इलाहाबाद में लॉ के छात्र दिलीप सरोज को महज इसलिए मार डाला गया है कि उसके पैर श्रेष्ठ हिन्दू से कैसे टकरा गए? दलित दिलीप सरोज ने अनुसूचित जाति में जन्म ले इतना न गुनाह कर दिया कि उसके पैर मान्यवर से टकरा करके उसकी जान पर आ गए।
यह कमबख्त जाति भी अजीब है जो कभी जितेंद्र यादव के यादव होने के नाते उसके जान पर आ जाती है और दारोगा जाति पूछ निरपराध होने के बावजूद गोली मार देता है तो इलाहाबाद में दिलीप सरोज को अनुसूचित होने के नाते पैर से पैर टकरा जाने से जान अर्पित कर देना पड़ता है।
भारत अभी भी कितने आदिम काल मे जी रहा है जहां दलित का गैर दलित से शरीर छू जाना गुनाह है,शादी-विवाह में बैंड बाजा बजाना अपराध है।मन्दिर में जाना,घोड़ी पर चढ़ना, पूड़ी बेलना, भोजन बनाना, चारपाई पर बैठना, कूड़े की टोकरी छू जाना, स्कूल में साथ बैठना आदि कार्य अभी भी दलित के लिए नापाक है।
दलित/वंचित समाज कल भी त्रासदीपूर्ण जिंदगी जीने को अभिशप्त था और आज भी है। सामाजिक चेतना आज भी न के बराबर है। जाति का दंश पल-पल सता रहा है और लोग इसे भोगने को विवश हैं।
मन अत्यंत आहत है इस वीडियो को देखकर क्योंकि जान बेमतलब और जाति महत्वपूर्ण कारक है। हमारे देश के मनुवादी विधान में वंचितों की स्थिति कीड़े-मकोड़ो की जैसी है। जैसे जब मन चाहा पशु बलि चढ़ाने की अनुमति ले ली और निर्दोष जानवर बलिवेदी पर चढ़ स्वर्गारोहण को चले गए वैसे ही जब मन चाहा तब दलित/शोषित को पीट दिया या हत दिया।
इलाहाबाद में लॉ के छात्र दिलीप सरोज की हत्या ने देश को हिला करके रख दिया है। मैं मर्माहत हूँ इस क्रूरतम व्यवहार से और आरक्षण से परेशान लोगों को आंख खोल करके जाति के नँगे सच को देखने हेतु आमंत्रित कर रहा हूँ। देखो! देखो!! इस जाति ने हमारे पुरखो व वर्तमान नस्लों को किस कदर बर्बाद करके रख दिया है?
हे जाति के सृजनकर्ताओं! तुम्हे यदि परेशानी आरक्षण से है तो हमें परेशानी तुम्हारी जाति व्यवस्था से है जिसके कारण हमारा जीवन कल भी नारकीय था और आज भी नारकीय है।तुम इस जाति के नाते शम्बूक को मारे,रोहित बेमुला को मारे तो दिलीप सरोज को मार डाले।हे जाति निर्माताओं! हमे इस जाति से मुक्त करो।
बहुत ही दुखी व भारी मन से जाति की वेदी पर चढ़ चुके दिलीप सरोज को मेरी श्रद्धांजलि है और हत्यारो को कड़ी से कड़ी सजा की मांग है। हालाँकि पुलिस का कहना है कि हमलावरों को बख्शा नहीं जाएगा.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं.)