आप केवल यह नहीं कह सकते कि आप केंद्र हैं, और आप जानते हैं कि क्या सही है- वैक्सीन खरीद नीति पर SC

Written by Sabrangindia Staff | Published on: May 31, 2021
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को COVID वैक्सीन के दोहरे दाम ओर खरीद नीति के औचित्य पर केंद्र सरकार से कड़े सवाल पूछे। कोर्ट ने पूछा कि क्या यह केंद्र सरकार की नीति है कि राज्यों को निजी निर्माताओं से टीके पाने के लिए एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करने दें और राज्यों और नगर निगमों को विदेशी टीके पाने के लिए वैश्विक निविदाएं जारी करने दें।



जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस एस रवींद्र भट की 3 जजों की बेंच 31 मई को COVID मुद्दों (In Re महामारी के दरमियान आवश्यक सेवाओं और आपूर्ति का वितरण) पर स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई कर रही थी।

"हम नीति नहीं बना रहे। 30 अप्रैल का एक आदेश है कि ये समस्याएं हैं। आप लचीले होंगे। आप केवल यह नहीं कह सकते कि आप केंद्र हैं, और आप जानते हैं कि क्या सही है। हमारे पास नीचे उतरने के लिए मजबूत हाथ है।" जस्टिस चंद्रचूड़ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील कि ये नीतिगत मुद्दे हैं, और कोर्ट के पास न्यायिक समीक्षा सीमित शक्ति है, पर उक्त टिप्‍पणियां की।

जस्टिस एस रवींद्र भट ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा, "केवल एक चीज, जिस पर हम चर्चा करना चाहते हैं वह दोहरी मूल्य नीति है। आप राज्यों को चुनाव करने और एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए कह रहे हैं।"

कोर्ट ने पूछा, '45 से ऊपर की जनसंख्या के लिए केंद्र पूरी वैक्सीन खरीद रहा है लेकिन 18-44 आयुवर्ग के लिए खरीद में बंटवारा कर दिया गया है। वैक्सीन निर्माताओं की ओर से राज्यों को 50 फीसदी वैक्सीन उपलब्ध है, कीमतें केंद्र तय कर रहा है और बाकी निजी अस्पतालों को दिया जा रहा है, इसका (असली) आधार क्या है?'

जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ कोरोना वायरस के मरीजों को आवश्यक दवाओं, टीकों और चिकित्सीय ऑक्सीजन की आपूर्ति से जुड़े मामले की स्वत: संज्ञान ले कर सुनवाई कर रही थी। जस्टिस एस रवींद्र भट्ट और जस्टिस एल नागेश्वर राव भी पीठ का हिस्सा हैं।

पीठ ने सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, ‘कोविड रोधी विदेशी टीकों की खरीद के लिए कई राज्य वैश्विक निविदाएं निकाल रहे हैं, क्या यह केंद्र सरकार की नीति है?’ इस दौरान केंद्र ने न्यायालय को बताया कि टीकों के लिहाज से पात्र संपूर्ण आबादी का 2021 के अंत तक टीकाकरण किया जाएगा।ल मेहता ने पीठ को सूचित किया कि फाइजर जैसी कंपनियों से केंद्र की बात चल रही है। अगर यह सफल रहती है तो साल के अंत तक टीकाकरण पूरा करने की समय-सीमा भी बदल जाएगी।वैक्सीन निर्माताओं के जिम्मे रेट क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा 'हम केंद्र और राज्यों के लिए अलग-अलग मूल्य निर्धारण नहीं कर सकते। केंद्र सरकार के पास ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत दरें तय करने की व्यापक शक्तियां हैं। अलग-अलग कीमत तय करने का काम वैक्सीन निर्माताओं पर क्यों छोड़ दिया जाए?'

CoWin पर भी सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा 'आप हमें सिर्फ इसलिए यह नहीं बता सकते कि आप सरकार हैं, आप जानते हैं कि क्या सही है। ऐसे मुद्दों को हल करने के लिए मजबूत कानून हैं। अगर हम एक अदालत के रूप में कुछ मुद्दों को उजागर कर रहे हैं, तो आपको इस पर गौर करना चाहिए। हमारे देश में डिजिटल साक्षरता एक बहुत बड़ी समस्या है। हम सिर्फ आपका हलफनामा नहीं देखना चाहते हैं, हमें अपना नीतिगत दस्तावेज दिखाएं।'

अदालत ने CoWIN डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रजिस्ट्रेशन करने की आवश्यकता को लेकर भी सरकार से सवाल किए। कोर्ट ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में इससे टीकाकरण में दिक्कत होगी। जहां इंटरनेट की पहुंच मुश्किल है। अदालत ने पूछा, 'हर किसी को CoWIN पंजीकरण करना होगा ।।। क्या ग्रामीण क्षेत्रों से (लोगों) से COWIN पर पंजीकरण की उम्मीद करना संभव है?'

8 मई को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने 12 सदस्यीय नेशनल टास्क फोर्स बनाने का आदेश दिया था। अदालत का तर्क था कि इस टास्क फोर्स से मिले इनपुट पॉलिसी मेकर्स को मौजूदा मुश्किलों को सुलझाने में मदद करेंगे।


 

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