बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने प्रधानमंत्री मोदी पर जमकर हमले किए हैं। मायावती ने प्रधानंमत्री मोदी की ओर से प्रयागराज में सफाईकर्मियों के पैर धोने और कुंभ में स्नान करने की तल्ख शब्दों में आलोचना की है. मायावती ने कहां, संगम में शाही स्नान करने और सफाई कर्मचारियों के पैर धोने से क्या मोदी सरकार के पाप धुल जाएंगे. मायावती ने पीएम किसान योजना के तहत किसानों को मोदी सरकार की ओर से दिए गए 2000 रुपये पर भी सवाल किए.

मायावती ने ट्वीट के जरिए पूछा कि क्या सफाईकर्मियों के पैर धोने से मोदी सरकार की वादाखिलाफी,जनता से विश्वासघात और दूसरे सरकारी ज़ुल्म- ज्यादती खत्म हो जाएंगे. क्या नोटबंदी,जीएसटी,जातिवाद, द्वेष और सांप्रदायिकता आदि की जबरदस्त मार से त्रस्त लोग क्या बीजेपी को इतनी आसानी से माफ कर देंगे?
दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि सरकार को किसानओं और खेतिहर मजदूरों में अंतर करना चाहिए. चुनाव से पहले 500 रु महीने की सहायता भूमिहीन खेतिहर मजदूरों के लिए ठीक हो सकती है लेकिन किसानों के लिए नहीं. किसान अपनी फसलों की पैदावार की वाजिब कीमत चाहते हैं. बीजेपी सरकार 5 साल में यह सुनिश्चित नहीं कर पाई. यह उसकी बड़ी नाकामी है. यह विफलता है.
बसपा प्रमुख ने कहा कि लोकसभा चुनाव के समय किसान सम्मान निधि को नोटबंदी और जीएसटी लागू जैसे अपरिपक्व कदमों की तरह लागू किया जा रहा है. किसानों को मात्र 17 रु हर दिन देना बीजेपी की छोटी सोच को दिखाता है. सत्ता का लगातार दुरुपयोग करने वाली मोदी सरकार अभी भी सही लाइन पर नहीं आ रही है.
उन्होंने कहा कि किसान सम्मान के नाम पर कुछ किसानों को मात्र 500 रु प्रतिमाह देना किसानों का खुला अपमान है. किसान सबसे बड़ा मेहनतकश समाज है. इनको मात्र थोड़ी सी सरकारी मदद देने की बीजेपी सरकार की सोच अनुचित व अहंकारी है.किसानों को फसल का लाभकारी मूल्य चाहिए. जिसपर बीजेपी ने वादाखिलाफी की है.इस देश के किसान, दलित और जवान बीजेपी को माफ नहीं करेंगे.

मायावती ने ट्वीट के जरिए पूछा कि क्या सफाईकर्मियों के पैर धोने से मोदी सरकार की वादाखिलाफी,जनता से विश्वासघात और दूसरे सरकारी ज़ुल्म- ज्यादती खत्म हो जाएंगे. क्या नोटबंदी,जीएसटी,जातिवाद, द्वेष और सांप्रदायिकता आदि की जबरदस्त मार से त्रस्त लोग क्या बीजेपी को इतनी आसानी से माफ कर देंगे?
दूसरे ट्वीट में उन्होंने कहा कि सरकार को किसानओं और खेतिहर मजदूरों में अंतर करना चाहिए. चुनाव से पहले 500 रु महीने की सहायता भूमिहीन खेतिहर मजदूरों के लिए ठीक हो सकती है लेकिन किसानों के लिए नहीं. किसान अपनी फसलों की पैदावार की वाजिब कीमत चाहते हैं. बीजेपी सरकार 5 साल में यह सुनिश्चित नहीं कर पाई. यह उसकी बड़ी नाकामी है. यह विफलता है.
बसपा प्रमुख ने कहा कि लोकसभा चुनाव के समय किसान सम्मान निधि को नोटबंदी और जीएसटी लागू जैसे अपरिपक्व कदमों की तरह लागू किया जा रहा है. किसानों को मात्र 17 रु हर दिन देना बीजेपी की छोटी सोच को दिखाता है. सत्ता का लगातार दुरुपयोग करने वाली मोदी सरकार अभी भी सही लाइन पर नहीं आ रही है.
उन्होंने कहा कि किसान सम्मान के नाम पर कुछ किसानों को मात्र 500 रु प्रतिमाह देना किसानों का खुला अपमान है. किसान सबसे बड़ा मेहनतकश समाज है. इनको मात्र थोड़ी सी सरकारी मदद देने की बीजेपी सरकार की सोच अनुचित व अहंकारी है.किसानों को फसल का लाभकारी मूल्य चाहिए. जिसपर बीजेपी ने वादाखिलाफी की है.इस देश के किसान, दलित और जवान बीजेपी को माफ नहीं करेंगे.