लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी जहां एक और उत्तर पूर्वी राज्यों में एनआरसी (नागरिकता संशोधन विधेयक) के मुद्दे पर चुनाव लड़ रही है, वहीं भाजपा के एक प्रत्याशी ने इस विधेयक के लागू होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने आत्महत्या की चेतावनी दी है।
मेघालय के शिलॉन्ग से बीजेपी उम्मीदवार सनबोर शुल्लाई ने गुरुवार को कहा, 'जब तक मैं जिंदा हूं, नागरिकता संशोधन विधेयक को लागू नहीं होने दूंगा। मैं अपनी जान दे दूंगा। मैं नरेंद्र मोदी के सामने आत्महत्या कर लूंगा, लेकिन इस बिल को लागू नहीं होने दूंगा।' लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी बीजेपी इस मुद्दे को भुनाना चाहती है लेकिन बीजेपी एमएलए का यह बयान पार्टी को असहज स्थिति में डाल सकता है।
वहीं गुरुवार को एक रैली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, ‘हमारा आपसे वादा है कि हर एक घुसपैठिए को बाहर निकालने के लिए देशभर में एनआरसी को लागू करेंगे। हम ममता बनर्जी की तरह घुसपैठियों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल नहीं करते। हमारे लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि देश के हर एक हिंदू और बौद्ध शरणार्थी को नागरिकता मिले।’
बता दें कि असम में भी नागरिकता संशोधन बिल का बड़े पैमाने पर विरोध हुआ है। इसके विरोध में असम गन परिषद ने राज्य में बीजेपी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था।
बता दें कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 का हाल ही में पूर्वोत्तर राज्यों और खासकर असम में बहुत विरोध हुआ। यह बिल लोकसभा में ‘नागरिकता अधिनियम’ 1955 में बदलाव के लिए लाया गया था। केंद्र सरकार ने इस विधेयक के जरिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना वैध दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा था। इसके लिए उनके निवास काल को 11 वर्ष से घटाकर छह वर्ष कर दिया गया है। यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस बिल के तहत सरकार अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के प्रयास में है।
मेघालय के शिलॉन्ग से बीजेपी उम्मीदवार सनबोर शुल्लाई ने गुरुवार को कहा, 'जब तक मैं जिंदा हूं, नागरिकता संशोधन विधेयक को लागू नहीं होने दूंगा। मैं अपनी जान दे दूंगा। मैं नरेंद्र मोदी के सामने आत्महत्या कर लूंगा, लेकिन इस बिल को लागू नहीं होने दूंगा।' लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी बीजेपी इस मुद्दे को भुनाना चाहती है लेकिन बीजेपी एमएलए का यह बयान पार्टी को असहज स्थिति में डाल सकता है।
वहीं गुरुवार को एक रैली में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा, ‘हमारा आपसे वादा है कि हर एक घुसपैठिए को बाहर निकालने के लिए देशभर में एनआरसी को लागू करेंगे। हम ममता बनर्जी की तरह घुसपैठियों को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल नहीं करते। हमारे लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि देश के हर एक हिंदू और बौद्ध शरणार्थी को नागरिकता मिले।’
बता दें कि असम में भी नागरिकता संशोधन बिल का बड़े पैमाने पर विरोध हुआ है। इसके विरोध में असम गन परिषद ने राज्य में बीजेपी सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था।
बता दें कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 का हाल ही में पूर्वोत्तर राज्यों और खासकर असम में बहुत विरोध हुआ। यह बिल लोकसभा में ‘नागरिकता अधिनियम’ 1955 में बदलाव के लिए लाया गया था। केंद्र सरकार ने इस विधेयक के जरिए अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैन, पारसियों और ईसाइयों को बिना वैध दस्तावेज के भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव रखा था। इसके लिए उनके निवास काल को 11 वर्ष से घटाकर छह वर्ष कर दिया गया है। यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस बिल के तहत सरकार अवैध प्रवासियों की परिभाषा बदलने के प्रयास में है।