झारखंड : आदिवासी बहुल जिलों में एनआरसी के वादे पर भाजपा के प्रचार में जुटा संघ!

Written by sabrang india | Published on: November 12, 2024
ये पर्चे आरएसएस से जुड़े लोक जागरण मंच द्वारा छापे गए हैं। इसका गठन मतदाता जागरूकता बढ़ाने के लिए किया गया है।


प्रतीकात्मक तस्वीर; साभार : टाइम्स ऑफ इंडिया

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) झारखंड के आदिवासी बहुल इलाकों मेें भाजपा के लिए प्रचार करते हुए पर्चे बांट रहा है। इसमें मतदाताओं से उस पार्टी को वोट देने के लिए कहा गया है जो घुसपैठियों की पहचान करने के लिए एनआरसी का वादा करती है।

द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, खूंटी जिले के सालेहातु गांव के बिरसा सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में करीब एक दर्जन स्कूली शिक्षक गुलाबी पर्चे लेने के लिए इकट्ठा होते हैं, जो स्कूल के आसपास के आदिवासी गांवों के घरों में पहुंचेंगे।

रिपोर्ट के अनुसार, ये पर्चे आरएसएस से जुड़े लोक जागरण मंच द्वारा छापे गए हैं। इसका गठन मतदाता जागरूकता बढ़ाने के लिए किया गया है। जिस स्कूल में पर्चे बांटने के लिए तैयारी किए जा रहे हैं उसे संघ परिवार के एक अन्य सहयोगी वनवासी कल्याण केंद्र (वीकेके) द्वारा स्थापित और संचालित किया जा रहा है।

गुमला जिला जो खूंटी से सटा हुआ है वहां भी वीकेके के जमीनी कार्यकर्ता पंचायत स्तर की बैठकों के लिए वही गुलाबी पर्चे तैयार कर रहे हैं जहां से प्रत्येक ग्राम प्रधान को अपने-अपने गांवों में इसे घर-घर बांटने का काम सौंपा जाएगा।

इन पर्चों के साथ घर-घर जाने से लेकर स्कूली शिक्षकों को लामबंद करने तक संघ परिवार भारतीय जनता पार्टी की ओर से दक्षिण झारखंड के सरना-बहुल जिलों में वोट जुटाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। इस इलाके में 13 नवंबर को झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान होना है।

हालांकि, इस पर्चे में यह नहीं बताया गया है कि किस पार्टी को वोट देना है लेकिन इसमें मतदाताओं से उस पार्टी को चुनने के लिए कहा गया है जो घुसपैठियों की पहचान करने के लिए एनआरसी का वादा करती है, जो लव जिहाद के लिए जिम्मेदार लोगों को दंडित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो भारतीय संस्कृति, धर्म का सम्मान करती है, धार्मिक स्थलों की रक्षा करती है तथा धर्मांतरण और गोहत्या के खिलाफ काम करने को प्रतिबद्ध है।

ये सभी वे मुद्दे हैं जिन पर भाजपा नेता चुनाव प्रचार के दौरान बयान देते रहे हैं, लेकिन उनकी पार्टी के घोषणापत्र में एनआरसी के वादे का स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं है और लव जिहाद के मुद्दे को राज्य में कानून-व्यवस्था और महिला सुरक्षा के मुद्दे के रूप में पेश किया गया है।

ज्ञात हो कि झारखंड राज्य की 28 एसटी आरक्षित सीटों में से चौदह दक्षिण झारखंड के पांच जिलों जैसे गुमला, खूंटी, सरायकेला-खरसावां, पूर्वी और पश्चिमी सिंहभूम में आती हैं। इनमें बड़े पैमाने पर अनुसूचित जनजाति की आबादी है। इन जिलों में एसटी आबादी में से लगभग 73% सरना धर्म या स्वदेशी आदिवासी आस्था प्रणालियों का पालन करते हैं और 2011 की जनगणना में खुद को ‘अन्य’ धर्म कॉलम में रखा है।

बता दें कि 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में इन 14 सीटों में से झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी झामुमो और कांग्रेस ने 12 सीटों पर जीत हासिल की थीं। खूंटी जिले की अन्य दो सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी।

रिपोर्ट के अनुसार, दशकों से वीकेके इन जिलों के आदिवासी गांवों में पहुंच चुका है, वहां उन्हें सड़कें, स्कूल और मंदिर बनाने में मदद कर रहा है जिसका उद्देश्य अपने आदर्श वाक्य – तू, मैं एक रक्त (तुम्हारा और मेरा खून एक ही है) के संदेश को फैलाना है।

उन्हें सरना-केंद्रित संगठनों जैसे कि केंद्रीय सरना समिति से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है। वे इस बात पर जोर देते हैं कि सरना हिंदू धर्म से पहले का है और उससे अलग है, तथा संघ परिवार पर उनकी स्वदेशी पहचान को सनातन धर्म के भीतर समाहित करने का प्रयास करने का आरोप लगाते हैं। साथ ही वे इसकी तुलना ‘आदिवासियों के धर्मांतरण’ में लगे मिशनरियों से करते हैं।

आरएसएस का यह प्रयास ऐसे समय में हो रहा है जब झामुमो और कांग्रेस इस क्षेत्र में सरना स्थलों के लिए चारदीवारी बनाने, राष्ट्रीय जनगणना में सरना धर्म का कॉलम शामिल करने और 1932 के सर्वेक्षण के अनुसार भूमि अभिलेखों को लागू करने जैसी नीतियों के जरिये सरना मतदाताओं को अपने पाले में करने की कोशिश कर रहे हैं।

बता दें कि कि झारखंड में आदिवासी लंबे समय से सरना धर्म कोड की मांग कर रहे हैं। हेमंत सोरेन सरकार के आदिवासी धर्म व सरना कोड को मान्यता देने के प्रस्ताव को विधानसभा ने पारित करके केंद्र को भेज दिया है।

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