नई दिल्ली। अरबपति और देश के मशहूर उद्योगपति अजीम प्रेमजी ने लेबर लॉ को कमजोर करने के राज्यों के प्रयास की निंदा की। उन्होंने कहा कि इससे इकॉनमी में सुधार नहीं होने वाला है। प्रेमजी ने कहा कि वर्तमान हालात में आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को मदद की दरकार है। लॉकडाउन के कारण उनकी हालत दयनीय हो गई है।
विप्रो के संस्थापक प्रेमजी ने लिखा कि यह जानकार आश्चर्य हो रहा है कि कई राज्य लेबर लॉ को पहले ही खारिज कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि पहले से ही इन वर्कर्स को बहुत कम सुरक्षा मिली हुई है। ऐसे में लेबर लॉ को और कमजोर करना अमानवीय होगा। प्रवासी मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा नाम की कोई चीज नहीं है।
उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण पूरे देश में 25 मार्च से लॉकडाउन जारी है और इसका सबसे बुरा असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है। उनके पास रोजगार नहीं है। पैसे के अभाव में और सरकार की अनदेखी के कारण उन्हें दो वक्त का खाना तक नसीब नहीं हो रहा है। ऐसे में वे पैदल ही घर की ओर रवाना हो गए हैं। उनकी हालत किसी से छिपी नहीं है।
प्रेमजी ने कहा कि अगर कानून में बदलाव किया जाता है तो प्रवासी मजदूरों की हालत और दयनीय हो जाएगी। उन्होंने ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (जैसे मनरेगा) की तर्ज पर शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम लाने की वकालत की। बता दें मोदी सरकार ने इकॉनमी में छाई सुस्ती को दूर करने के लिए 20 लाख करोड़ के आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की है। अब तक चार किस्तों इस पैकेज के अंतर्गत अलग-अलग सेक्टर के लिए राहत का ऐलान हो चुका है।
विप्रो के संस्थापक प्रेमजी ने लिखा कि यह जानकार आश्चर्य हो रहा है कि कई राज्य लेबर लॉ को पहले ही खारिज कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि पहले से ही इन वर्कर्स को बहुत कम सुरक्षा मिली हुई है। ऐसे में लेबर लॉ को और कमजोर करना अमानवीय होगा। प्रवासी मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा नाम की कोई चीज नहीं है।
उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण पूरे देश में 25 मार्च से लॉकडाउन जारी है और इसका सबसे बुरा असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है। उनके पास रोजगार नहीं है। पैसे के अभाव में और सरकार की अनदेखी के कारण उन्हें दो वक्त का खाना तक नसीब नहीं हो रहा है। ऐसे में वे पैदल ही घर की ओर रवाना हो गए हैं। उनकी हालत किसी से छिपी नहीं है।
प्रेमजी ने कहा कि अगर कानून में बदलाव किया जाता है तो प्रवासी मजदूरों की हालत और दयनीय हो जाएगी। उन्होंने ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (जैसे मनरेगा) की तर्ज पर शहरी रोजगार गारंटी कार्यक्रम लाने की वकालत की। बता दें मोदी सरकार ने इकॉनमी में छाई सुस्ती को दूर करने के लिए 20 लाख करोड़ के आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की है। अब तक चार किस्तों इस पैकेज के अंतर्गत अलग-अलग सेक्टर के लिए राहत का ऐलान हो चुका है।