बिलासपुर: पुनर्मूल्यांकन के नाम पर छात्रा के भविष्य से खिलवाड़

Written by Mahendra Narayan Singh Yadav | Published on: November 28, 2018
छत्तीसगढ़ के विश्वविद्यालयों में बदइंतजामी और गड़बड़ी के एक से बढ़कर एक मामले सामने आते रहते हैं और इसका खामियाजा बेकसूर छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ता है।

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ऐसा ही एक मामला है जिसमें बिलासपुर विश्वविद्यालय में जब अपने अंकों से असंतुष्ट एक टॉपर रह चुकी छात्रा ने पुनर्मूल्यांकन करवाया तो उसके अंक बढ़ाने के बजाय उल्टे काट दिए गए।

ये हादसा हुआ है जांजगीर चांपा की रहने वाला श्रीया अग्रवाल के साथ जो 12वीं की परीक्षा में पूरे प्रदेश में दूसरे नंबर पर रही थी।

अभी श्रीया चांपा के एमएमआर कॉलेज से ग्रेजुएशन कर रही है। ग्रेजुएशन के आखिरी वर्ष में इकॉनॉमिक्स में उसके 51 नंबर आए थे जबकि उसका पेपर काफी अच्छा गया था। उसने पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन किया जिसके बाद उसके नंबर घटाकर 36 कर दिए गए।

बिलासपुर विवि की लापरवाही से परेशान छात्रा ने उत्तरपुस्तिका की कॉपी निकलवाई और अर्थशास्त्र के कई विशेषज्ञ-शासकीय कालेज के प्रोफेसर से उत्तरपुस्तिका की जांच कराई तो सभी प्रोफेसरों ने 58 से 67 के बीच छात्रा को अंक दिए। यानी उसके कम से कम 9 अंक बढ़ने चाहिए थे जबकि विश्वविद्यालय ने उसके 15 अंक घटा ही दिए।

अब छात्रा और उनके परिवार के लोग भटक रहे हैं और उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वे क्या करें। विश्वविद्यालय के अधिकारी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे रहे हैं।

श्रीया ने एक बार फिर से पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन दिया है, लेकिन उसे यह भी डर है कि इस बार भी उसके अंक और घटा दिए तो वह कहीं फेल ही न हो जाए।

छात्रा श्रीया अग्रवाल बहुत प्रतिभाशाली छात्रा हैं। उसने 3 साल पहले बारहवीं में टॉप टेन में दूसरा स्थान पाया था और बीए की कक्षाओं में भी उसका शानदार प्रदर्शन रहा है। बाकी सभी विषयों में उसके अच्छे अंक आए हैं, इकॉनॉमिक्स में उसके साथ खिलवाड़ हो गया है।


 
 

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