केंद्र सरकार की ओर से हाल में बनी तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बिहार राज्य किसान सभा के बैनर तले शुक्रवार 27 नवंबर को कलेक्ट्रेट परिसर में धरना दिया गया। इस दौरान वक्ताओं ने तीनों कृषि कानून के खिलाफ पंजाब, हरियाणा, यूपी, एमपी और राजस्थान में चल रहे आंदोलन का समर्थन किया।
कहा कि केन्द्र सरकार कृषि से संबंधित काले कानूनों और बिजली कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे निहत्थे किसानों का दमन कर रही है। पीएम मोदी किसानों से आंदोलन का हक छिनाना चाह रहे हैं। तीनों बिलों के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा।
वक्ताओं ने यूरिया व गेहूं की बीज पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करने की मांग की। धरना से पूर्व शहर में जुलूस निकाला गया। धरना के बाद डीएम को ज्ञापन सौंपा गया।
मौके पर सभा के राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री नंद किशोर शुक्ला, जिला जनवादी महिला समिति की मंत्री नमिता सिंह, सीटू नेता के सुदेश्वर सहनी, राम भजन सिंह, झुनझुन सिंह, रामनरेश राय, कैलाश सिंह, एसएस हैदर व महेन्द्र राय आदि लोग थे।
किसानों की प्रमुख मांग है कि कॉरर्पोरेट घरानों का कृषि के क्षेत्र में हस्तक्षेप बंद हो और कृषि व किसानी से संबंधित पारित तीनों कानून वापस हो। इसके अलावा उनकी मांग है कि संशोधित बिजली बिल 2020 कानून वापस हो और किसान-मजदूरों का दमन अविलंब बंद हो।
कहा कि केन्द्र सरकार कृषि से संबंधित काले कानूनों और बिजली कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे निहत्थे किसानों का दमन कर रही है। पीएम मोदी किसानों से आंदोलन का हक छिनाना चाह रहे हैं। तीनों बिलों के खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा।
वक्ताओं ने यूरिया व गेहूं की बीज पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति करने की मांग की। धरना से पूर्व शहर में जुलूस निकाला गया। धरना के बाद डीएम को ज्ञापन सौंपा गया।
मौके पर सभा के राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री नंद किशोर शुक्ला, जिला जनवादी महिला समिति की मंत्री नमिता सिंह, सीटू नेता के सुदेश्वर सहनी, राम भजन सिंह, झुनझुन सिंह, रामनरेश राय, कैलाश सिंह, एसएस हैदर व महेन्द्र राय आदि लोग थे।
किसानों की प्रमुख मांग है कि कॉरर्पोरेट घरानों का कृषि के क्षेत्र में हस्तक्षेप बंद हो और कृषि व किसानी से संबंधित पारित तीनों कानून वापस हो। इसके अलावा उनकी मांग है कि संशोधित बिजली बिल 2020 कानून वापस हो और किसान-मजदूरों का दमन अविलंब बंद हो।