बस्तर के ग्रामीण अपनी जमीन बचाने के लिए आर-पार की लड़ाई लड़ने पर उतारू हो गए हैं। बस्तर में डिलमिली में अल्ट्रा मेगा स्टील प्लांट स्थापित होना है और इसके लिए कई गांवों की जमीन का अधिग्रहण होना है।
जिले में 10 गांवों के लोगों ने शनिवार को विशेष सभा करके साफ घोषणा कर दी है कि वो प्लांट के लिए अपने पुरखों की जमीन किसी भी कीमत पर नहीं देंगे।
नईदुनिया की खबर के मुताबिक बुरुंगपाल गांव में विशेष सभा होने से पहले ग्रामीणों ने रैली निकाली और सभा में डिलमिली अल्ट्रा मेगा स्टील प्लांट के लिए जमीन देने के एमओयू को शून्य घोषित किया गया।
ग्रामीण शुरू से ही इस प्लांट का विरोध कर रहे हैं, और कई बार ग्रामीण इसके विरोध में प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन सरकार इस परियोजना पर पीछे हटने को तैयार नहीं है।
इसके पहले वर्ष 2015 में भी ग्रामीणों ने विशेष सभाएं करके परियोजना का विरोध किया था, और केंद्र सरकार, राज्य सरकार, एनएमडीसी और सेल के बीच होने वाले एमओयू का विरोध किया था लेकिन सरकार एमओयू साइन कराके ही मानी।
डिलमिली आदिवासी बहुल इलाका और इसमें नक्सलियों का भी प्रभाव है। मेगा स्टील प्लांट के लिए तीन हजार से ज्यादा एकड़ की जमीन लगनी है और कई गांवों के आदिवासी और किसान इससे प्रभावित हो रहे हैं।
सरकार और प्रशासन अब तक इस मामले में ग्रामीणों से बात करने से बचते रहे हैं, लेकिन अब उग्र आंदोलन होने की आशंका पैदा हो गई है। एक सवाल ये भी उठ रहा है कि चुनावी साल में प्लांट का काम आगे क्यों बढ़ाया जा रहा है। माना जा रहा है कि भाजपा और मुख्यमंत्री रमन सिंह को इस बार सत्ता में वापसी का भरोसा नहीं है, इसलिए वो हर हाल में इसी कार्यकाल में जमीन का अधिग्रहण करवा देना चाहते हैं।
कांग्रेस ने भी स्टील प्लांट के लिए ग्रामीणों की जमीन छीने जाने का विरोध किया है। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार ने अब तक करीब 7 लाख एकड़ से ज्यादा कृषि योग्य जमीन किसी न किसी तरह से किसानों से छीनकर उद्योगपतियों को दी है, और बस्तर के विकास के नाम पर केवल खनिज संपदा की लूट की जा रही है।
जिले में 10 गांवों के लोगों ने शनिवार को विशेष सभा करके साफ घोषणा कर दी है कि वो प्लांट के लिए अपने पुरखों की जमीन किसी भी कीमत पर नहीं देंगे।
नईदुनिया की खबर के मुताबिक बुरुंगपाल गांव में विशेष सभा होने से पहले ग्रामीणों ने रैली निकाली और सभा में डिलमिली अल्ट्रा मेगा स्टील प्लांट के लिए जमीन देने के एमओयू को शून्य घोषित किया गया।
ग्रामीण शुरू से ही इस प्लांट का विरोध कर रहे हैं, और कई बार ग्रामीण इसके विरोध में प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन सरकार इस परियोजना पर पीछे हटने को तैयार नहीं है।
इसके पहले वर्ष 2015 में भी ग्रामीणों ने विशेष सभाएं करके परियोजना का विरोध किया था, और केंद्र सरकार, राज्य सरकार, एनएमडीसी और सेल के बीच होने वाले एमओयू का विरोध किया था लेकिन सरकार एमओयू साइन कराके ही मानी।
डिलमिली आदिवासी बहुल इलाका और इसमें नक्सलियों का भी प्रभाव है। मेगा स्टील प्लांट के लिए तीन हजार से ज्यादा एकड़ की जमीन लगनी है और कई गांवों के आदिवासी और किसान इससे प्रभावित हो रहे हैं।
सरकार और प्रशासन अब तक इस मामले में ग्रामीणों से बात करने से बचते रहे हैं, लेकिन अब उग्र आंदोलन होने की आशंका पैदा हो गई है। एक सवाल ये भी उठ रहा है कि चुनावी साल में प्लांट का काम आगे क्यों बढ़ाया जा रहा है। माना जा रहा है कि भाजपा और मुख्यमंत्री रमन सिंह को इस बार सत्ता में वापसी का भरोसा नहीं है, इसलिए वो हर हाल में इसी कार्यकाल में जमीन का अधिग्रहण करवा देना चाहते हैं।
कांग्रेस ने भी स्टील प्लांट के लिए ग्रामीणों की जमीन छीने जाने का विरोध किया है। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार ने अब तक करीब 7 लाख एकड़ से ज्यादा कृषि योग्य जमीन किसी न किसी तरह से किसानों से छीनकर उद्योगपतियों को दी है, और बस्तर के विकास के नाम पर केवल खनिज संपदा की लूट की जा रही है।