बैंक ऑफ महाराष्ट्र पर भी मंडरा रहा PMC जैसा संकट

Written by गिरीश मालवीय | Published on: October 11, 2019
बैंक ऑफ महाराष्ट्र पर नजर जमाए रखें. यह भी बड़े संकट से जूझ रहा है और यह संकट भी उसी कारण से आया है जिस कारण से PMC बैंक के खाता धारकों की जमापूंजी खतरे में आ गयी है और वह हैं रियल एस्टेट कम्पनियों का डिफाल्ट कर जाना.. 



कल पता चला है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BOM) के कुल जमा 7,360 करोड़ रुपये के घाटे को रिजर्व पड़े धन से ‘सेटल कर लेने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है.

दरअसल बैंक के निदेशक मंडल और शेयरधारकों ने 31 मार्च, 2019 को 7,360.29 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच चुके घाटे को शेयर प्रीमियम खाते में शेष और राजस्व आरक्षित खाते से निपटान के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. लेकिन रिजर्व बैंक ने इस योजना को लाल झंडी दिखा दी

83 साल पुराने बैंक ऑफ महाराष्ट्र का हेडक्वार्टर पुणे में है और यह देश के प्रमुख सार्वजनिक बैंकों में से एक है.1935 में अपनी स्थापना के बाद से ही 'बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र' को एक आम आदमी के बैंक के रूप में जाना जाता है महाराष्ट्र में किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक की तुलना में 'बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र' सबसे ज्यादा शाखाओं के नेटवर्क वाला बैंक है। ओर उसमे भी ग्रामीण क्षेत्रों में इस बैंक की 38 प्रतिशत शाखाएं काम कर रही हैं.

2018-19 की तीसरी तिमाही में बैंक ऑफ महाराष्ट्र का शुद्ध घाटा अचानक से सात गुना बढ़कर 3,764.26 करोड़ रुपये पर पहुंच गया था

कुछ दिनों बाद यह भी खबर आई कि रिजर्व बैंक ने इलाहाबाद बैंक तथा बैंक ऑफ महाराष्ट्र पर दो-दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है इन बैंकों के बही-खातों की जांच के दौरान पाया गया कि इन्होंने चालू खाता खोलने, चालू खातों के परिचालन, बिलों पर डिस्काउंट और पुन: डिस्काउंट, धोखाधड़ी के वर्गीकरण और रिपोर्टिंग, फंड के अंतिम इस्तेमाल की निगरानी तथा बैलेंसशीट की तिथि पर जमा संबंधी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया हैं

अब सबसे कमाल की जानकारी जिसके लिए यह पोस्ट लिखी गई है वो यह है कि जिस प्रकार PMC बैंक के बारे मे पता चला कि वह रियल एस्टेट कम्पनी HDIL द्वारा डिफॉल्ट कर जाने के कारण संकट में आया है उसी प्रकार बैंक ऑफ महाराष्ट्र के बारे में भी 2018 में ही पता चल गया था कि पुणे में डीएसके ग्रुप के मालिक डीएस कुलकर्णी ने बैंक ऑफ महाराष्ट्र के साथ 3 हजार करोड़ की धोखाधड़ी की है ओर इस मामले में बैंक ऑफ महाराष्ट्र के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर रवींद्र पी मराठे ओर बैंक के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राजेंद्र गुप्ता समेत बैंक के 2 बड़े अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया था.

दरअसल 2014 के मध्य दीपक सखाराम कुलकर्णी यानी डीएसके डेवलपर्स का पुणे के रियल एस्टेट सेक्टर में बहुत बड़ा नाम था , उसने पुणे-सोलापुर राजमार्ग पर लोनी में डीएसके ड्रीम सिटी टाउनशिप प्रोजेक्ट लॉन्च किया था. इस प्रोजेक्ट में कुल 12 हजार हाउसिंग यूनिट्स शामिल थीं और कुल लागत थी 8 हजार करोड़ रुपये. इस ड्रीम सिटी प्रोजेक्ट का फर्स्ट फेज दिसंबर 2017 में खरीदारों को सौंप भी दिया गया था. लेकिन अक्टूबर 2016 में डीएस कुलकर्णी के समूह की परेशानियां तब शुरू हो गईं, जब उसने अपने फिक्स्ड टर्म डिपोजिटर्स को भुगतान करने में चूक कर दी. बाद में कम्पनी ने इस चूक का दोषी रियल्टी सेक्टर में मंदी और नोटबंदी को ठहराया.2017 में इस समूह की मुश्किलें बढ़ने लगी ओर वह लगातार डिफॉल्ट करता चला गया

मराठे और बैंक के अन्य अधिकारियों को बिल्डर की इन बिगड़ती हुई परिस्थितियों की जानकारी थी डीएस कुलकर्णी को दी गई कर्ज़ राशि एनपीए बनने की कगार पर थी. इसलिए ख़ुद को बचाने के लिए बैंक के अधिकारियों ने उन्हें ग़ैर-क़ानूनी तरीके से बिना पूरे काग़ज़ात और ज़रूरी प्रक्रिया के कुलकर्णी को थोड़ा-थोड़ा करके कई कर्ज़ जारी कर दिए गए

ठीक ऐसा ही मामला HDIL का भी PMC बैंक में भी सामने आया था, लेकिन इस स्टोरी का सबसे आश्चर्य जनक पहलू यह है कि जहाँ PMC बैंक के प्रबन्धको पर कड़ी कार्यवाही की जा रही है वही बैंक ऑफ महाराष्ट्र के सीएमडी रवींद्र पी मराठे ओर बैंक के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर राजेंद्र गुप्ता को पुलिस द्वारा 2018 के आखिर में क्लीन चिट दे दी गयी और उन्हें बैंक ने वापस पद पर बहाल भी कर दिया

जब घोटाले की चार्जशीट दाखिल की गयी थी तो यह मामला 2 हजार 43 करोड़ रुपए का बताया गया था अब पुलिस ने एफआईआर से रविंद्र मराठे और राजेंद्र गुप्ता का नाम भी हटाने के लिए आवेदन पत्र दिया है. पुलिस ने कहा है कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं.

अगर 2 हजार 43 करोड़ रुपये के लोन इस डूबी हुई कंपनी को दिए गए हैं तो इस घोटाले के जिम्मेदार क्या बैंक के क्लर्क हैं ? जब इस घोटाले से बैंक के जमाकर्ताओं की जमापूंजी संकट में आ जाएगी क्या तभी रिजर्व बैंक चेतेगा? यह बहुत गम्भीर सवाल है..
 

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