नागरिकता संशोधन बिल को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं। इसकी लपट विदेशों में भी नजर आ रही है। इस बीच द हिंदू की एक रिपोर्ट ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं। द हिंदू ने बताया कि भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने मार्च 2018 में एक अधिसूचना जारी की, जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान से अल्पसंख्यक समुदायों से संबंधित दीर्घकालिक वीजा धारकों को कुछ शर्तों के अधीन अचल संपत्ति खरीदने की अनुमति दी गई।
आरबीआई जो मुद्रा, बैंकिंग प्रणाली और मौद्रिक नीति को नियंत्रित करता है, ने 26 मार्च, 2018 को विदेशी मुद्रा प्रबंधन (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण और हस्तांतरण) प्रावधानों के तहत अधिसूचना संख्या FEMA 21 (R) / 2018-RB जारी किया है। इस अधिसूचना के 7 बिंदु इस प्रकार हैं...
एक दीर्घकालिक वीजा धारक द्वारा अधिग्रहण की अर्हताएं: -
एक व्यक्ति जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान का नागरिक है और उन देशों में अल्पसंख्यक समुदायों जैसे कि, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई से संबंधित है और भारत में केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त दीर्घकालिक वीजा (LTV) पर रह रहा है। ऐसा व्यक्ति भारत में स्व-व्यवसाय के लिए केवल एक आवासीय अचल संपत्ति खरीद सकता है और निम्न शर्तों के अधीन स्वरोजगार के लिए केवल एक अचल संपत्ति खरीद सकता है:
यह संपत्ति केंद्र सरकार द्वारा छावनी के लिए अधिसूचित / संरक्षित क्षेत्रों में और उसके आसपास स्थित नहीं होनी चाहिए;
उस व्यक्ति को उस जिले के राजस्व प्राधिकरण को एक घोषणा प्रस्तुत करना होगा जहां संपत्ति स्थित है। साथ ही LTV पर भारत में रहने व धन के स्रोत को निर्दिष्ट करना होगा;
संपत्ति के पंजीकरण दस्तावेजों में राष्ट्रीयता और इस तथ्य का उल्लेख होना चाहिए कि वह व्यक्ति LTV पर है;
भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की स्थिति में उस व्यक्ति की संपत्ति संलग्न/जब्त की जा सकती है;
खरीदी गई संपत्ति के दस्तावेजों की एक प्रति पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) / फॉरेनर्स रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRO) / फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRRO) को और संबंधित गृह मंत्रालय (विदेश विभाग) को प्रस्तुत की जाएगी;
ऐसा व्यक्ति भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के बाद ही संपत्ति बेचने के लिए पात्र होगा। हालांकि, भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से पहले संपत्ति का हस्तांतरण संबंधित डीसीपी / एफआरओ / एफआरआरओ के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
न्यूज़क्लिक की रिपोर्ट कहती है कि बाद में, उन्हीं देशों के अल्पसंख्यकों के एक ही समूह को भारत में अर्जित आय का प्रबंधन करने के लिए नॉन रेजिडेंट ऑर्डिनरी (NRO) खाते खोलने की अनुमति दी गई थी।
ऐसे में आरबीआई द्वारा उठाए गए ये कदम सिर्फ सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट को लेकर ही सवाल खड़े नहीं करते बल्कि इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि एक संघीय संस्था, जो कि पूरी तरह से स्वायत्त है और किसी पूर्वाग्रह, धार्मिक या अन्यथा प्रदर्शित करने की उम्मीद नहीं है, स्पष्ट रूप से अधिसूचना जारी करती है जिसमें मुस्लिमों को स्पष्ट तौर पर बाहर रखा गया है। यह मानते हुए कि मोदी शासन ने 2016 में सीएबी पेश किया था, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि आरबीआई को पता था क्योंकि अधिसूचना में विशेष रूप से सीएए में वर्णित समुदायों और देशों के नाम हैं।
आरबीआई जो मुद्रा, बैंकिंग प्रणाली और मौद्रिक नीति को नियंत्रित करता है, ने 26 मार्च, 2018 को विदेशी मुद्रा प्रबंधन (भारत में अचल संपत्ति का अधिग्रहण और हस्तांतरण) प्रावधानों के तहत अधिसूचना संख्या FEMA 21 (R) / 2018-RB जारी किया है। इस अधिसूचना के 7 बिंदु इस प्रकार हैं...
एक दीर्घकालिक वीजा धारक द्वारा अधिग्रहण की अर्हताएं: -
एक व्यक्ति जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान का नागरिक है और उन देशों में अल्पसंख्यक समुदायों जैसे कि, हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई से संबंधित है और भारत में केंद्र सरकार द्वारा प्रदत्त दीर्घकालिक वीजा (LTV) पर रह रहा है। ऐसा व्यक्ति भारत में स्व-व्यवसाय के लिए केवल एक आवासीय अचल संपत्ति खरीद सकता है और निम्न शर्तों के अधीन स्वरोजगार के लिए केवल एक अचल संपत्ति खरीद सकता है:
यह संपत्ति केंद्र सरकार द्वारा छावनी के लिए अधिसूचित / संरक्षित क्षेत्रों में और उसके आसपास स्थित नहीं होनी चाहिए;
उस व्यक्ति को उस जिले के राजस्व प्राधिकरण को एक घोषणा प्रस्तुत करना होगा जहां संपत्ति स्थित है। साथ ही LTV पर भारत में रहने व धन के स्रोत को निर्दिष्ट करना होगा;
संपत्ति के पंजीकरण दस्तावेजों में राष्ट्रीयता और इस तथ्य का उल्लेख होना चाहिए कि वह व्यक्ति LTV पर है;
भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की स्थिति में उस व्यक्ति की संपत्ति संलग्न/जब्त की जा सकती है;
खरीदी गई संपत्ति के दस्तावेजों की एक प्रति पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) / फॉरेनर्स रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRO) / फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRRO) को और संबंधित गृह मंत्रालय (विदेश विभाग) को प्रस्तुत की जाएगी;
ऐसा व्यक्ति भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के बाद ही संपत्ति बेचने के लिए पात्र होगा। हालांकि, भारतीय नागरिकता प्राप्त करने से पहले संपत्ति का हस्तांतरण संबंधित डीसीपी / एफआरओ / एफआरआरओ के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होगी।
न्यूज़क्लिक की रिपोर्ट कहती है कि बाद में, उन्हीं देशों के अल्पसंख्यकों के एक ही समूह को भारत में अर्जित आय का प्रबंधन करने के लिए नॉन रेजिडेंट ऑर्डिनरी (NRO) खाते खोलने की अनुमति दी गई थी।
ऐसे में आरबीआई द्वारा उठाए गए ये कदम सिर्फ सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट को लेकर ही सवाल खड़े नहीं करते बल्कि इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि एक संघीय संस्था, जो कि पूरी तरह से स्वायत्त है और किसी पूर्वाग्रह, धार्मिक या अन्यथा प्रदर्शित करने की उम्मीद नहीं है, स्पष्ट रूप से अधिसूचना जारी करती है जिसमें मुस्लिमों को स्पष्ट तौर पर बाहर रखा गया है। यह मानते हुए कि मोदी शासन ने 2016 में सीएबी पेश किया था, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि आरबीआई को पता था क्योंकि अधिसूचना में विशेष रूप से सीएए में वर्णित समुदायों और देशों के नाम हैं।