बनारसः Anti CAA प्रोटेस्ट में गिरफ्तार 56 लोगों को मिली ज़मानत

Written by Sabrangindia Staff | Published on: January 2, 2020
बनारस में 19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ़ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने वाले गिरफ्तार सभी 56 व्यक्तियों को अदालत से ज़मानत का आदेश हो गया है हालांकि इनमें शामिल तीन व्यक्तियों मनीष शर्मा, एसपी राय और अनूप श्रमिक को पर्चा बांटने के आरोप में अज्ञात के खिलाफ दर्ज एक अन्य एफआइआर में रिमांड पर रखा गया है। इस मामले में उन्हें नए सिरे से ज़मानत लेनी होगी। 



पिछले 12 दिनों से बनारस में कुछ छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता करीब दर्जन भर धाराओं में जेल में बंद थे। इन पर दंगा भड़काने और भीड़ को हिंसा के लिए उकसाने जैसे संगीन मामलों में धाराएं लगायी गयी थीं। अदालत की छुट्टियां होने के कारण काम के आखिरी दिन जमानत की अर्जी सामने आने पर कोर्ट ने 1 जनवरी को अदालत के खुलते ही केस डायरी मंगवायी थी।

बुधवार दिन में पुलिस द्वारा केस डायरी पेश किए जाने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश सर्वेश कुमार पाण्डेय ने 25000 के निजी मुचलके पर सभी की ज़मानत मंजूर कर ली।

इस मामले में कुल 56 व्यक्तियों को जेल भेजा गया था और एक एफआइआर अज्ञात के खिलाफ़ थी। इनमें तीन आरोपियों अनूप श्रमिक, एसपी राय और मनीष शर्मा को एक अन्य एफआइआर के सिलसिले में अभी रिमांड पर रखा गया है, ज़मानत मिलने के बाद भी वे रिहा नहीं होंगे क्योंकि नए मामले में उन्हें फिर से ज़मानत के लिए आवेदन करना होगा। यह मुकदमा पर्चा बांटने के आरोप में अज्ञात के खिलाफ़ 18 दिसंबर को आइपीसी की धारा 153ए और 153बी के तहत दर्ज किया गया था।

एफआइआर अज्ञात के खिलाफ थी लेकिन तहरीर में वर्णित परचे की सामग्री के अंतर्गत जो मोबाइल संपर्क दिए गए थे वे इन तीनों के थे। माना जा रहा है कि अगले एकाध दिन में इस मामले में इन्हें ज़मानत मिल जाएगी।

बता दें कि साझा संस्कृति मंच से जुड़े अनेक सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया और ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से सरकार और जिला प्रशासन से अपील की थी कि 19 दिसम्बर को बेनियाबाग पर आयोजित शांति पूर्ण प्रदर्शन के दौरान मंच से जुड़े लगभग 2 दर्जन सामाजिक कार्यकर्ताओं और छात्रों पर से सभी मुकदमे वापस लेते हुए उनकी रिहाई शीघ्र की जाए।

अपील में कहा गया था कि विगत 19 दिसम्बर को विभिन्न संगठनों द्वारा राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध कार्यक्रम घोषित था। साझा संस्कृति मंच से जुड़े कुछ सामाजिक कार्यकर्ता बेनियाबाग स्थित गांधी चौरा पर नमन करने और प्रार्थना सभा के लिए पहुंचे थे, इसी बीच उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर बस में बैठा लिया और सभी को पुलिस लाइन ले गये। यह सब पूरी तरह से शांति पूर्ण और प्रतीकात्मक विरोध था। इसके बावजूद साजिश की तहत प्रशासन द्वारा इन् शांतिपूर्ण सामाजिक और राजनैतिक कार्यकर्ताओं पर तमाम आपराधिक धाराओं के तहत मुकदमा करा दिया गया, जिसके कारण वे विगत 12 दिनों से जेल में थे।

बेनियाबाग वाराणसी की स्थानीय जनता ने उक्त शांति मार्च का समर्थन किया था और पुलिस के आक्रामक कार्यवाही के बावजूद शांति मार्च को नही भंग किया जा सका और किसी भी प्रकार की हिंसा नहीं हुई थी। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बेहद शांतिपूर्ण तरीके से अपनी गिरफ्तारी दी। उन्हें पुलिस लाइन में पुलिस द्वारा बताया गया था कि उनके ऊपर धारा 144 के तोड़ने के कारण 151 लगाया गया है लेकिन जब उन्हें जेल में ले जाया गया तो उसके बाद मनमाने तरीके से कई संगीन धाराएं बढ़ा दी गई। गिरफ्तार लोगों में 12 बीएचयू के छात्र भी शामिल है और साथ में 10 से ज्यादा बुजुर्ग भी हैं, जिनकी उम्र 60 से 80 वर्ष के मध्य उनमे से कुछ गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं।   

जेल में बंद प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं में शामिल रवि कुमार और उनकी पत्नी एकता शेखर भी हैं इस दम्पति ने वायु प्रदूषण के प्रति जागरूकता के लिए विगत कई वर्षों से पूरे प्रदेश में व्यापक और प्रभावी जन अभियान चलाया है। एक और पर्यावरण कार्यकत्री सानिया अनवर भी जेल में है। इनके साथ ट्रेड यूनियन के वरिष्ठ नेता प्रकाश राय, किसान प्रतिनिधि राम जनम, जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय के जिला संयोजक सतीश सिंह, शोध छात्र धनंजय त्रिपाठी, दिवाकर सिंह, राज अभिषेक, दीपक सिंह, रवि प्रकाश भारती, मानवाधिकार कार्यकर्ता डा अनूप श्रमिक, छेदी लाल निराला, संजीव कुमार सिंह, राजनाथ पाण्डेय, गौरव मणि त्रिपाठी, प्रशांत राय, अर्पित गिरी, जय शंकर सिंह  जैसे अनेक लोग शामिल हैं जिनका वाराणसी और आस पास के जिलों में विशेष सामाजिक योगदान रहा है। दशकों से ये लोग वाराणसी और आस पास के जिलों में विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक और रचनात्मक गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं, इनके खिलाफ कभी कोई आपराधिक कृत्य का आरोप नही लगा है फिर भी केवल दबाव बनाने की नीयत से उन पर संगीन धाराएँ लगा कर जेल में निरुद्ध करना गलत है। प्रशासन  द्वारा संवैधानिक और अहिंसात्मक प्रतिरोध करने वाले सामाजिक सरोकारों से जुड़े लोगों और हिंसा तथा तोड़ फोड़ करने वाले असामाजिक तत्वों के बीच पहचान करने भी भारी चूक हुई है।


 

बाकी ख़बरें