अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी को दिया 15 अगस्त तक का समय

Written by sabrang india | Published on: May 10, 2019
नई दिल्ली. राम जन्म भूमि के विवादित मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता कमेटी को कार्यवाही पूरी करने के लिए 15 अगस्त तक का समय दे दिया है। सीजेआई रंजन गोगोई सहित पांच न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष यह सुनवाई हुई है। मध्यस्थता कमेटी को मामला सौपने के बाद यह सुप्रीम कोर्ट में पहली सुनवाई थी।

सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस. अब्दुल नजीर की पीठ ने आज मामले की सुनवाई की है। सुनवाई के दौरान मध्यस्थता कमेटी ने कार्यवाही पूरी करने के लिए और समय की मांग की थी। जिसे मानते हुए रंजन गोगोई की पीठ ने 15 अगस्त तक का समय दिया है। आठ सप्ताह का समय देते हुए कोर्ट ने चार सप्ताह बाद कार्य-प्रगति की रिपोर्ट मांगी है। मध्यस्थता कमेटी की कार्यवाही पर कोई असर न पड़े इसलिए कोर्ट ने कार्यवाही गोपनीय रखने की हिदायत दी है।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा 8 मार्च को नियुक्त की गई तीन सदस्यीय मध्यस्थता कमेटी में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रवि शंकर, रिटायर्ड जस्टिस कलीफुल्ला और वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल हैं।

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में ही अपना निर्णय सुना दिया था। हाईकोर्ट ने 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और श्री राम के मंदिर के लिए बराबर में बांटने का फैसला किया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि जहां श्री राम विराजमान हैं वहां श्री राम को ही रहने दिया जाए। सीता रसोई और राम चबूतरा निर्मोही अखाड़ा को दिया जाए और बाकी एक तिहाई जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दी जाए। लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 13 याचिका दायर की गई हैं, जिनपर सुनवाई हो रही है।         

यह मसला अब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा भी बन गया है। आरएसएस और उससे जुड़े संगठन लगातार केंद्र सरकार पर राम मंदिर के निर्माण हेतु आदेश लाने की मांग कर रही है। आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत पहले ही कई बार प्रधानमंत्री मोदी जी को मंदिर निर्माण को लेकर हिदायत दे चुके हैं। तो वहीं दूसरी ओर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्णय के खिलाफ राम जन्म भूमि पर मालिकाना हक करार करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।     

सुप्रीम कोर्ट सालों से चले आ रहे इस विवाद पर पूर्ण विराम लगाने के प्रयास में है। राम मंदिर व बाबरी मस्जिद के नाम पर सालों से हो रही राजनीति और सांप्रदायिकता का अंत अब सिर्फ मध्यस्थता कमेटी के ही हाथ में है। मध्यस्थता कमेटी के सुझाव पर 15 अगस्त को सबकी नजरें टिकी होंगी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के आदेश से यथास्थिति कायम है।
 

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