पंचायत चुनाव प्रचार के दौरान अरुणाचल प्रदेश के मंत्री ओजिंग तासिंग ने दावा किया कि जिन सीटों पर भाजपा हारती है, वहां कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। इस बयान पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताते हुए राज्य चुनाव आयोग में तासिंग के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

चुनाव प्रचार के दौरान अरुणाचल प्रदेश के मंत्री ओजिंग तासिंग ने कहा कि जिन पंचायत सीटों पर भाजपा हार जाएगी, वहां लोगों को कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा।
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री तासिंग ने बुधवार (3 दिसंबर) को लोअर दिबंग घाटी ज़िले में स्थानीय निकाय चुनावों के प्रचार के दौरान यह बात कही। मंत्री के इस भाषण की एक वीडियो क्लिप भी कथित तौर पर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें वे यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं, “मैं गोलमोल बातें करने में विश्वास नहीं रखता। जिन पंचायत क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवार हारेंगे, वहां किसी योजना का लाभ नहीं मिलेगा।”
वे आगे कहते हैं, “पंचायती राज मंत्री होने के नाते, मैं जो कहता हूं, वही करता हूं।”
ज्ञात हो कि तासिंग रोइंग में पार्टी के जिला परिषद उम्मीदवार के लिए प्रचार कर रहे थे।
उल्लेखनीय है कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव 15 दिसंबर को होने हैं। भाजपा पहले ही 245 जिला परिषद सीटों में से 58 पर तथा ईटानगर नगर निगम के 20 वार्डों में से चार पर निर्विरोध विजय हासिल कर चुकी है।
कांग्रेस की कड़ी आपत्ति
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री के इस बयान पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताते हुए सत्तारूढ़ भाजपा को आड़े हाथों लिया है।
कांग्रेस ने मंत्री की इस टिप्पणी को ‘असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और गैरकानूनी’ बताते हुए राज्य चुनाव आयोग में तासिंग के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।
कांग्रेस का आरोप है कि तासिंग ने आदर्श आचार संहिता के साथ-साथ 1951 के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 (अनुचित प्रभाव और धमकी से संबंधित प्रावधान) का खुला उल्लंघन किया है।
कांग्रेस ने कहा कि भाजपा को वोट न देने पर मतदाताओं को विकास कार्यों से वंचित करने की धमकी देना लोकतंत्र, संघवाद और संविधान द्वारा नागरिकों को दिए गए अधिकारों पर सीधा आघात है।
कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पेमा खांडू से तासिंग को मंत्रिपरिषद से हटाने, तासिंग से माफी मांगने और तुरंत इस्तीफा लेने की मांग की है।
कांग्रेस के अनुसार, “ऐसा बयान राज्य के लोगों का अपमान है, क्योंकि सरकारी धन जनता का है, किसी राजनीतिक दल का नहीं।”
राज्य चुनाव आयोग के सचिव तारू तालो ने बताया कि मामले में उन्होंने जिला उपायुक्त से रिपोर्ट तलब की है।
उधर, राज्य भाजपा नेताओं ने स्पष्ट किया कि मंत्री की यह टिप्पणी उनकी निजी राय है और पार्टी उनके इस बयान से सहमत नहीं है।
तेलंगाना और महाराष्ट्र में भी ‘वोट और फंड’ वाले बयान
गौरतलब है कि इससे पहले केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता बंडी संजय कुमार ने कहा था कि यदि तेलंगाना के करीमनगर संसदीय क्षेत्र में ग्राम पंचायत चुनावों के दौरान लोग भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को चुनते हैं, तो वे अपने सांसद निधि से प्रत्येक गांव को 10 लाख रुपये देंगे। तेलंगाना में ग्राम पंचायत चुनाव 11, 14 और 17 दिसंबर को तीन चरणों में होने हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कुमार ने कहा था कि भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और कांग्रेस ने पहले भी ऐसे ही वादे किए थे, लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया।
कुमार ने कहा था, “केवल भाजपा ही असली फंड लाती है। अगर कांग्रेस या बीआरएस समर्थित उम्मीदवार गलती से जीत जाते हैं, तो नया फंड नहीं आएगा और केंद्रीय फंड भी कहीं और भेजा जा सकता है। उनकी चालों में मत पड़ो। उनके लालच में मत आओ। भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को वोट दो। चलो, मिलकर जीतते हैं और अपने गांव को हर तरह से आगे बढ़ाते हैं!”
इससे पहले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी मालेगांव नगर पंचायत चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि यदि उनके पार्टी उम्मीदवार को खारिज किया गया, तो नगर पंचायत के फंड वापस लिए जा सकते हैं।
अपने भाषण में पवार ने कहा था कि मालेगांव नगर पंचायत का बजट सिर्फ 15 करोड़ रुपये है और विकास के लिए अतिरिक्त फंड की आवश्यकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बारामती को अधिक फंड मिलने के कारण ही वहां विकास संभव हो पाया है।
उन्होंने आगे कहा था कि यदि लोग उनके उम्मीदवार को चुनते हैं, तो वे अपने सभी वादों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे, लेकिन यदि उन्हें नकारा गया, तो वे मदद से भी इंकार कर देंगे। पवार ने कहा था, “आपके पास वोट हैं और मेरे पास फंड है।”
बता दें कि विपक्षी दलों ने उन पर मतदाताओं को धमकाने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की थी।
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द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री तासिंग ने बुधवार (3 दिसंबर) को लोअर दिबंग घाटी ज़िले में स्थानीय निकाय चुनावों के प्रचार के दौरान यह बात कही। मंत्री के इस भाषण की एक वीडियो क्लिप भी कथित तौर पर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें वे यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं, “मैं गोलमोल बातें करने में विश्वास नहीं रखता। जिन पंचायत क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवार हारेंगे, वहां किसी योजना का लाभ नहीं मिलेगा।”
वे आगे कहते हैं, “पंचायती राज मंत्री होने के नाते, मैं जो कहता हूं, वही करता हूं।”
ज्ञात हो कि तासिंग रोइंग में पार्टी के जिला परिषद उम्मीदवार के लिए प्रचार कर रहे थे।
उल्लेखनीय है कि राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव 15 दिसंबर को होने हैं। भाजपा पहले ही 245 जिला परिषद सीटों में से 58 पर तथा ईटानगर नगर निगम के 20 वार्डों में से चार पर निर्विरोध विजय हासिल कर चुकी है।
कांग्रेस की कड़ी आपत्ति
पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री के इस बयान पर कांग्रेस ने कड़ी आपत्ति जताते हुए सत्तारूढ़ भाजपा को आड़े हाथों लिया है।
कांग्रेस ने मंत्री की इस टिप्पणी को ‘असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और गैरकानूनी’ बताते हुए राज्य चुनाव आयोग में तासिंग के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।
कांग्रेस का आरोप है कि तासिंग ने आदर्श आचार संहिता के साथ-साथ 1951 के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 (अनुचित प्रभाव और धमकी से संबंधित प्रावधान) का खुला उल्लंघन किया है।
कांग्रेस ने कहा कि भाजपा को वोट न देने पर मतदाताओं को विकास कार्यों से वंचित करने की धमकी देना लोकतंत्र, संघवाद और संविधान द्वारा नागरिकों को दिए गए अधिकारों पर सीधा आघात है।
कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पेमा खांडू से तासिंग को मंत्रिपरिषद से हटाने, तासिंग से माफी मांगने और तुरंत इस्तीफा लेने की मांग की है।
कांग्रेस के अनुसार, “ऐसा बयान राज्य के लोगों का अपमान है, क्योंकि सरकारी धन जनता का है, किसी राजनीतिक दल का नहीं।”
राज्य चुनाव आयोग के सचिव तारू तालो ने बताया कि मामले में उन्होंने जिला उपायुक्त से रिपोर्ट तलब की है।
उधर, राज्य भाजपा नेताओं ने स्पष्ट किया कि मंत्री की यह टिप्पणी उनकी निजी राय है और पार्टी उनके इस बयान से सहमत नहीं है।
तेलंगाना और महाराष्ट्र में भी ‘वोट और फंड’ वाले बयान
गौरतलब है कि इससे पहले केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता बंडी संजय कुमार ने कहा था कि यदि तेलंगाना के करीमनगर संसदीय क्षेत्र में ग्राम पंचायत चुनावों के दौरान लोग भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को चुनते हैं, तो वे अपने सांसद निधि से प्रत्येक गांव को 10 लाख रुपये देंगे। तेलंगाना में ग्राम पंचायत चुनाव 11, 14 और 17 दिसंबर को तीन चरणों में होने हैं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कुमार ने कहा था कि भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और कांग्रेस ने पहले भी ऐसे ही वादे किए थे, लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया।
कुमार ने कहा था, “केवल भाजपा ही असली फंड लाती है। अगर कांग्रेस या बीआरएस समर्थित उम्मीदवार गलती से जीत जाते हैं, तो नया फंड नहीं आएगा और केंद्रीय फंड भी कहीं और भेजा जा सकता है। उनकी चालों में मत पड़ो। उनके लालच में मत आओ। भाजपा समर्थित उम्मीदवारों को वोट दो। चलो, मिलकर जीतते हैं और अपने गांव को हर तरह से आगे बढ़ाते हैं!”
इससे पहले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी मालेगांव नगर पंचायत चुनाव प्रचार के दौरान कहा था कि यदि उनके पार्टी उम्मीदवार को खारिज किया गया, तो नगर पंचायत के फंड वापस लिए जा सकते हैं।
अपने भाषण में पवार ने कहा था कि मालेगांव नगर पंचायत का बजट सिर्फ 15 करोड़ रुपये है और विकास के लिए अतिरिक्त फंड की आवश्यकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बारामती को अधिक फंड मिलने के कारण ही वहां विकास संभव हो पाया है।
उन्होंने आगे कहा था कि यदि लोग उनके उम्मीदवार को चुनते हैं, तो वे अपने सभी वादों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध रहेंगे, लेकिन यदि उन्हें नकारा गया, तो वे मदद से भी इंकार कर देंगे। पवार ने कहा था, “आपके पास वोट हैं और मेरे पास फंड है।”
बता दें कि विपक्षी दलों ने उन पर मतदाताओं को धमकाने का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से कार्रवाई की मांग की थी।
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