जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद जम्मू के सभी नेताओं की नजरबंदी खत्म कर दी गई। एनडीटीवी ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से बताया कि जम्मू के जो नेता नजरबंद किए गए थे उन्हें रिहा कर दिया गया है। उन पर लगाए गए प्रतिबंध भी हटा दिए गए हैं। हालांकि कश्मीर घाटी के नेताओं पर प्रतिबंध जारी हैं।
यह फैसला सरकार द्वारा राज्य में खंड विकास परिषदों के लिए चुनाव की घोषणा के कुछ दिनों बाद लिया गया है। राज्य में यह पंचायत राज व्यवस्था का दूसरा स्तर है। अधिकारियों के मुताबिक जम्मू क्षेत्र शांतिपूर्ण है इसलिए राजनीतिक बंदियों को रिहा करने का फैसला किया गया। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता देवेंद्र राणा के मुताबिक उन्हें एक पुलिस अधिकारी ने प्रतिबंध खत्म होने के बारे में बताया है।
खंड विकास परिषदों के चुनाव 24 अक्तूबर को कराए जाएंगे। जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद से वहां पहली बार कोई चुनाव हो रहा है। इससे पहले नवंबर 2018 में जम्मू कश्मीर में पंचायत चुनाव करवाए गए थे। हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसी प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों ने इनमें हिस्सा नहीं लिया था।
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला सहित लगभग 400 राजनेता नजरबंदी या फिर हिरासत में हैं। कश्मीर घाटी में पिछले 57 दिनों से इंटरनेट और संचार सेवाओं पर पाबंदी लगी है। केंद्र के इस फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 14 नवंबर से सुनवाई करेगी।
यह फैसला सरकार द्वारा राज्य में खंड विकास परिषदों के लिए चुनाव की घोषणा के कुछ दिनों बाद लिया गया है। राज्य में यह पंचायत राज व्यवस्था का दूसरा स्तर है। अधिकारियों के मुताबिक जम्मू क्षेत्र शांतिपूर्ण है इसलिए राजनीतिक बंदियों को रिहा करने का फैसला किया गया। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता देवेंद्र राणा के मुताबिक उन्हें एक पुलिस अधिकारी ने प्रतिबंध खत्म होने के बारे में बताया है।
खंड विकास परिषदों के चुनाव 24 अक्तूबर को कराए जाएंगे। जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने के बाद से वहां पहली बार कोई चुनाव हो रहा है। इससे पहले नवंबर 2018 में जम्मू कश्मीर में पंचायत चुनाव करवाए गए थे। हालांकि नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी जैसी प्रमुख क्षेत्रीय पार्टियों ने इनमें हिस्सा नहीं लिया था।
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला सहित लगभग 400 राजनेता नजरबंदी या फिर हिरासत में हैं। कश्मीर घाटी में पिछले 57 दिनों से इंटरनेट और संचार सेवाओं पर पाबंदी लगी है। केंद्र के इस फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 14 नवंबर से सुनवाई करेगी।