लखनऊ। डीएम लखनऊ की वायरल स्वीकारोक्ति कि ''लोग अब सड़कों पर मरने लगे हैं'' व यूपी के कबीना मंत्री बृजेश पाठक का पत्र कि ''यूपी में कोरोना से निपटने को स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं'' के बीच अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाइट कर्फ्यू को नाकाफी बताते हुए, UP सरकार को पूर्ण लॉकडाउन लगाने पर विचार करने को कहा है। हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा है कि क्यों ना राज्य में लॉकडाउन लगा दिया जाए। कोर्ट ने कहा कि जीवन रहेगा तो अर्थव्यवस्था फिर दुरूस्त हो जाएगी। लेकिन अगर आदमी ही नहीं रहेंगे तो फिर किसका विकास और कैसी अर्थव्यवस्था? कोर्ट ने यह कहते हुए कड़ी टिप्पणी की है कि विकास व्यक्तियों के लिए है और जब आदमी ही नहीं रहेंगे तो विकास का क्या अर्थ रह जायेगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना की चेन तोड़ने को लेकर यूपी सरकार को पूर्ण लॉकडाउन पर विचार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से संक्रमण फैल रहा है, उसे देखते हुए सरकार को भारी संख्या में संक्रमित शहरों में कोरोना चेन तोड़ने को लॉकडाउन लगाने पर विचार करना चाहिये। दरअसल, कोरोना वायरस का संक्रमण यूपी में कहर बरपा रहा है। इसी से हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से पूरे मामले पर जवाब तलब भी किया है जिस पर अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी।
कोरोना को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने कहा है कि नाइट कर्फ्यू या कोरोना कर्फ्यू संक्रमण फैलाव रोकने के छोटे कदम हैं। ये नाइट पार्टी या नवरात्रि या रमजान में धार्मिक भीड़ तक सीमित हैं।
उन्होंने कहा कि कोरोना की बेकाबू स्थिति पर समय रहते नियंत्रण के लिए, सरकार ट्रैकिंग, टेस्टिंग व ट्रीटमेंट योजना में तेजी लाये और शहरों में खुले मैदान लेकर अस्थायी अस्पताल बनाकर कोरोना पीड़ितों के इलाज की व्यवस्था करें। जरूरी हो तो संविदा पर स्टाफ तैनात किया जायें।
हाईकोर्ट ने पुलिस प्रशासन को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि सड़क पर कोई भी व्यक्ति बिना मास्क के दिखाई न दे। अन्यथा कोर्ट पुलिस के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करेगी। कोर्ट ने कहा कि सामाजिक व धार्मिक आयोजनों में भी 50 आदमी से अधिक न इकट्ठा होने देने के निर्देश दिए। इसके साथ ही कोर्ट ने दिन में भी गैर-जरूरी यातायात को नियंत्रित करने के निर्देश दिए।
यूपी सरकार को लताड़ते हुए कोर्ट ने कहा कि संक्रमण फैले एक साल बीत रहे हैं लेकिन इलाज की सुविधाओं को बढ़ाया नहीं जा सका है। कोर्ट ने राज्य व केन्द्र सरकार को एंटीवायरल दवाओं के उत्पाद व आपूर्ति बढाने का भी निर्देश दिया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि नदी में तूफान आता है तो बांध उसे रोक नहीं पाते। हमें संक्रमण रोकने के प्रयास करने होंगे। जीवन रहेगा तो अर्थव्यवस्था भी दुरुस्त हो जाएगी। लेकिन जब आदमी ही नहीं रहेंगे तो विकास का क्या अर्थ रह जाएगा।
हाईकोर्ट ने सरकार से उन छात्रों को भी वैक्सीन देने का सुझाव दिया, जो अगले कुछ ही दिनों में परीक्षाओं में बैठने जा रहे हैं। इसके अलावा रेमेडेसिविर जैसी कोरोना की दवाओं के प्रोडक्शन को लेकर भी निर्देश दिए गए। कोर्ट ने कंटेनमेंट जोन को अपडेट करने तथा रैपिड फोर्स को चौकस रहने के निर्देश देते हुए कहा कि हर 48 घंटे में जोन सेनेटाइजेशन किया जाए।
खास यह भी है कि कानून मंत्री बृजेश पाठक ने भी एक दिन पहले ही अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर यूपी में कोरोना की बेकाबू हो रही स्थिति, लचर इंतजामात और लॉकडाउन की संभावनाओं को लेकर चेताया था। सोशल मीडिया पर वायरल पत्र में पाठक ने लिखा है कि ‘‘अगर कोविड-19 जनित परिस्थितियों को शीघ्र नियंत्रित नहीं किया गया तो हमें रोकथाम के लिए लखनऊ में लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है।'' उन्होंने लिखा कि, ‘‘अत्यंत कष्ट के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि वर्तमान समय में लखनऊ जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। विगत एक सप्ताह से उनके पास पूरे लखनऊ जनपद से सैकड़ों फोन आ रहे हैं, जिनको हम समुचित इलाज नहीं दे पा रहे हैं। पत्र में लिखा है, ''मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में फोन करने पर फोन का उत्तर नहीं मिलता है जिसकी शिकायत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री व अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य से करने के उपरान्त फोन तो उठता है किन्तु सकारात्मक कार्य नहीं होता। उन्होंने आगे लिखा है कि मरीज की जांच रिपोर्ट मिलने में चार से सात दिन का समय लग रहा है, एंबुलेंस नहीं मिल रही है। जांच किट की कमी है।
उन्होंने शिकायत की है, उनके विस क्षेत्र के पद्मश्री डॉ योगेश प्रवीण की अचानक तबियत बिगड़ गई। इसकी सूचना मिलने पर उन्होंने स्वयं मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) से फोन पर बात की और उन्हें तत्काल एंबुलेंस व चिकित्सा मुहैया कराने का अनुरोध किया, किंतु खेद का विषय है कि कई घंटों के बाद भी उन्हें एंबुलेंस नहीं मिली और समय से इलाज नहीं होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने उत्तर प्रदेश कैबिनेट के कानून मंत्री बृजेश पाठक द्वारा लिखी चिट्ठी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह सीएमओ पर सवाल नहीं है। सरकार की कारगुजारी पर सवाल है, मुख्यमंत्री पर सवाल है। ना बेड की व्यवस्था है, ना वेंटिलेटर की व्यवस्था है, ना वैक्सीन की व्यवस्था है, ना इलाज की व्यवस्था है। लोग तड़प रहे हैं, मर रहे हैं, कोरोना महामारी तेजी के साथ फैल रही है। प्रधानमंत्री जी व मुख्यमंत्री जी चुनाव प्रचार में मस्त हैं। उत्तर प्रदेश के लोगों की जान जीवन से इस सरकार को कोई लेना देना नहीं। पूरी तरह सरकार और सरकार के मशीनरी फेल हो चुकी है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना की चेन तोड़ने को लेकर यूपी सरकार को पूर्ण लॉकडाउन पर विचार करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से संक्रमण फैल रहा है, उसे देखते हुए सरकार को भारी संख्या में संक्रमित शहरों में कोरोना चेन तोड़ने को लॉकडाउन लगाने पर विचार करना चाहिये। दरअसल, कोरोना वायरस का संक्रमण यूपी में कहर बरपा रहा है। इसी से हाईकोर्ट ने यूपी सरकार से पूरे मामले पर जवाब तलब भी किया है जिस पर अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी।
कोरोना को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा तथा न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने कहा है कि नाइट कर्फ्यू या कोरोना कर्फ्यू संक्रमण फैलाव रोकने के छोटे कदम हैं। ये नाइट पार्टी या नवरात्रि या रमजान में धार्मिक भीड़ तक सीमित हैं।
उन्होंने कहा कि कोरोना की बेकाबू स्थिति पर समय रहते नियंत्रण के लिए, सरकार ट्रैकिंग, टेस्टिंग व ट्रीटमेंट योजना में तेजी लाये और शहरों में खुले मैदान लेकर अस्थायी अस्पताल बनाकर कोरोना पीड़ितों के इलाज की व्यवस्था करें। जरूरी हो तो संविदा पर स्टाफ तैनात किया जायें।
हाईकोर्ट ने पुलिस प्रशासन को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि सड़क पर कोई भी व्यक्ति बिना मास्क के दिखाई न दे। अन्यथा कोर्ट पुलिस के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही करेगी। कोर्ट ने कहा कि सामाजिक व धार्मिक आयोजनों में भी 50 आदमी से अधिक न इकट्ठा होने देने के निर्देश दिए। इसके साथ ही कोर्ट ने दिन में भी गैर-जरूरी यातायात को नियंत्रित करने के निर्देश दिए।
यूपी सरकार को लताड़ते हुए कोर्ट ने कहा कि संक्रमण फैले एक साल बीत रहे हैं लेकिन इलाज की सुविधाओं को बढ़ाया नहीं जा सका है। कोर्ट ने राज्य व केन्द्र सरकार को एंटीवायरल दवाओं के उत्पाद व आपूर्ति बढाने का भी निर्देश दिया।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि नदी में तूफान आता है तो बांध उसे रोक नहीं पाते। हमें संक्रमण रोकने के प्रयास करने होंगे। जीवन रहेगा तो अर्थव्यवस्था भी दुरुस्त हो जाएगी। लेकिन जब आदमी ही नहीं रहेंगे तो विकास का क्या अर्थ रह जाएगा।
हाईकोर्ट ने सरकार से उन छात्रों को भी वैक्सीन देने का सुझाव दिया, जो अगले कुछ ही दिनों में परीक्षाओं में बैठने जा रहे हैं। इसके अलावा रेमेडेसिविर जैसी कोरोना की दवाओं के प्रोडक्शन को लेकर भी निर्देश दिए गए। कोर्ट ने कंटेनमेंट जोन को अपडेट करने तथा रैपिड फोर्स को चौकस रहने के निर्देश देते हुए कहा कि हर 48 घंटे में जोन सेनेटाइजेशन किया जाए।
खास यह भी है कि कानून मंत्री बृजेश पाठक ने भी एक दिन पहले ही अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर यूपी में कोरोना की बेकाबू हो रही स्थिति, लचर इंतजामात और लॉकडाउन की संभावनाओं को लेकर चेताया था। सोशल मीडिया पर वायरल पत्र में पाठक ने लिखा है कि ‘‘अगर कोविड-19 जनित परिस्थितियों को शीघ्र नियंत्रित नहीं किया गया तो हमें रोकथाम के लिए लखनऊ में लॉकडाउन लगाना पड़ सकता है।'' उन्होंने लिखा कि, ‘‘अत्यंत कष्ट के साथ सूचित करना पड़ रहा है कि वर्तमान समय में लखनऊ जनपद में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। विगत एक सप्ताह से उनके पास पूरे लखनऊ जनपद से सैकड़ों फोन आ रहे हैं, जिनको हम समुचित इलाज नहीं दे पा रहे हैं। पत्र में लिखा है, ''मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय में फोन करने पर फोन का उत्तर नहीं मिलता है जिसकी शिकायत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री व अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य से करने के उपरान्त फोन तो उठता है किन्तु सकारात्मक कार्य नहीं होता। उन्होंने आगे लिखा है कि मरीज की जांच रिपोर्ट मिलने में चार से सात दिन का समय लग रहा है, एंबुलेंस नहीं मिल रही है। जांच किट की कमी है।
उन्होंने शिकायत की है, उनके विस क्षेत्र के पद्मश्री डॉ योगेश प्रवीण की अचानक तबियत बिगड़ गई। इसकी सूचना मिलने पर उन्होंने स्वयं मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) से फोन पर बात की और उन्हें तत्काल एंबुलेंस व चिकित्सा मुहैया कराने का अनुरोध किया, किंतु खेद का विषय है कि कई घंटों के बाद भी उन्हें एंबुलेंस नहीं मिली और समय से इलाज नहीं होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने उत्तर प्रदेश कैबिनेट के कानून मंत्री बृजेश पाठक द्वारा लिखी चिट्ठी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह सीएमओ पर सवाल नहीं है। सरकार की कारगुजारी पर सवाल है, मुख्यमंत्री पर सवाल है। ना बेड की व्यवस्था है, ना वेंटिलेटर की व्यवस्था है, ना वैक्सीन की व्यवस्था है, ना इलाज की व्यवस्था है। लोग तड़प रहे हैं, मर रहे हैं, कोरोना महामारी तेजी के साथ फैल रही है। प्रधानमंत्री जी व मुख्यमंत्री जी चुनाव प्रचार में मस्त हैं। उत्तर प्रदेश के लोगों की जान जीवन से इस सरकार को कोई लेना देना नहीं। पूरी तरह सरकार और सरकार के मशीनरी फेल हो चुकी है।