यूपी के घोसी उपचुनाव में बीजेपी की हार की धमक दिल्ली तक सुनाई दे रही है। दरअसल बीजेपी को यहां हार ही नहीं मिली है, उसे शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा है। बीजेपी के लिए यह हार इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि अब यूपी में कोई चुनाव नहीं होना है और इस जीत के सहारे विपक्ष बीजेपी को लगातार आईना दिखाती रहेगी। खास बात यह है कि यहां जीत के लिए बीजेपी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित 40 स्टार प्रचारकों की फौज उतार दी थी, इसके अलावा भी बीजेपी के कई बड़े नेता और मंत्री चुनाव प्रचार के दौरान यहां डेरा डाले रहे थे। फिर भी वह चुनाव के नतीजे नहीं बदल पाये और 'इंडिया' गठबंधन ने घोसी में 42,672 वोटों से एकतरफा जीत का परचम लहरा दिया है।
इस उपचुनाव में बीजेपी की ओर से सीएम योगी समेत 40 स्टार कैंपेनर चुनाव प्रचार में लगे थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ‘इंडिया’ (‘INDIA’) गठबंधन की ओर से सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने बीजेपी के दारा सिंह चौहान को 42, 672 वोटों से भी ज्यादा से करारी शिकस्त दी है। सीएम योगी सहित 26 मंत्रियों और 60 विधायकों का प्रचार भी कोई काम नहीं आया। जी हां, न सिर्फ मुख्यमंत्री योगी, बल्कि उनका तमाम लाव-लश्कर यहां चुनाव प्रचार में लगा था, चुनाव प्रचार में न सिर्फ योगी ने जनसभा की थी, बल्कि उनके 26 मंत्री और 60 विधायक भी प्रचार करने पहुंचे थे। 2022 विधानसभा चुनाव में सपा से चुनाव लड़ रहे दारा सिंह ने यहां से 22000 वोटों से जीत दर्ज की थी। जीत को लेकर अखिलेश यादव ने कहा कि ये झूठे प्रचार और जुमला जीवियों की पराजय है। ये दलबदल और घरबदल की सियासत करने वालों की हार है।
देखा जाए तो घोसी उपचुनाव में भाजपा और सपा दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। भाजपा ने उपचुनाव में जहां मंत्रियों की फौज उतार दी थी, वहीं पिछड़ी जाति के वोटरों को साधने के लिए ओपी राजभर, निषाद वोटरों को साधने के लिए संजय निषाद, कुर्मी वोटरों को साधने के लिए स्वतंत्र देव सिंह, ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, मुस्लिम समाज के पसमांदा वोटरों को साधने के लिए दानिश आजाद अंसारी को घोसी में चुनावी जनसभाओं में उतार दिया था। वहीं भाजपा की इस रणनीति को भांपते हुए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव, शिवपाल यादव समेत कई नेता भी घोसी में डटे रहे।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, घोसी उप-चुनाव को लगातार ‘इंडिया’ (‘INDIA’) गठबंधन बनाम एनडीए के बीच का मुकाबला बनाने में लगे थे, जिसमें उन्हें बड़ी सफलता हाथ लगी है, सबसे बड़ी बात यह है कि समाजवादी पार्टी ने भी बीजेपी की तरह घोसी उप-चुनाव को नाक का सवाल बना लिया था, सपा के कई दिग्गज यहां चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे थे, परंतु यहां सबसे अधिक मेहनत और सफल रणनीति शिवपाल यादव ने बनाई थी। शिवपाल यादव की अगुवाई में समाजवादी पार्टी ने यहां दूसरा महत्वपूर्ण चुनाव जीता है। यही नहीं, घोसी में बीजेपी को मिली हार के बाद बीजेपी के साथ-साथ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर की प्रतिष्ठा को भी जबर्दस्त धक्का लगा है। घोसी में बीजेपी को मिली हार के बाद ओम प्रकार राजभर के मंत्री बनने के सपने पर भी ग्रहण लग सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार के एक समीक्षात्मक लेख के अनुसार, यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि घोसी विधानसभा क्षेत्र को सपा का मजबूत गढ़ माना जाता है। पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में घोसी से समाजवादी पार्टी के टिकट से दारा सिंह चौहान जीते थे। उन्हें उम्मीद थी कि समाजवादी पार्टी की प्रदेश में सरकार बनेगी, परंतु जब योगी के सिर जीत का सेहरा बंधा तो उनका दिल सपा में लगना बंद हो गया और बाद में दारा सिंह पाला बदल और विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी में आ गए। बीजेपी ने उन्हें टिकट तो दे दिया, लेकिन वह दारा सिंह के लिए जीत का मार्ग नहीं प्रशस्त कर पाई। बीजेपी को समझ लेना चाहिए कि जनता इतनी बेवकूफ नहीं है जितना उसे समझा जाता है। वैसे भी 2017 के बाद अब तक घोसी विधानसभा के लिए 4 बार चुनाव- उपचुनाव होना, जनता को रास नहीं आ रहा था। इसी वजह से यहां वोटिंग परसेंट भी कम रहा था। समाजवादी पार्टी के लिए घोसी से यह भी अच्छी खबर आई है कि अभी भी मुसलमान वोटर उसके साथ मजबूती के साथ खड़ा हुआ है।
घोसी में हुए उपचुनाव में दारा सिंह चौहान को भाजपा के सहयोगी दलों अपना दल (सोनेलाल), निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) पार्टी और पूर्व सपा सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का समर्थन मिला था तो दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सुधाकर सिंह को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, आम आदमी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) (भाकपा-माले)-लिबरेशन और सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी से समर्थन मिला था।
घोसी में मिली जीत से ‘इंडिया’ गठबंधन में खुशी का माहौल है तो समाजवादी पार्टी भी गद्गद है। ऐसा होना स्वभाविक भी है, समाजवादी पार्टी घोसी की जीत का जश्न लोकसभा चुनाव तक मनाने और इसे भुनाने की कोशिश में लगी रहेगी। वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह लिखते हैं कि सपा को मिली इस जीत का मैसेज बीजेपी के लिए है, लेकिन चौकाने वाली बात यह भी है घोसी में मिली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी के कुछ पुराने नेता और जमीनी कार्यकर्ता भी दबी जुबान से बीजेपी को आईना दिखाने में लगे हैं। सवाल किया जा रहा है कि क्या बीजेपी के भीतर नेताओं की कमी थी जो एक दलबदलू दारा सिंह को उम्मीदवार बनाया गया।
घोसी में दारा सिंह चौहान को ठुकराने के साथ वोटरों ने चाहे अनचाहे बीजेपी आलाकमान को भी आईना दिखाने की कोशिश की है कि जब प्रदेश में पूर्ण बहुमत वाली योगी सरकार सुगमतापूर्वक काम कर रही है तो बार-बार दलबदलू नेताओं को पार्टी में शामिल करना और उन्हें चुनाव मैदान में उतारने की क्या जरूरत है। इससे जनता का पैसा और समय दोनों बर्बाद होते हैं।
बहरहाल, घोसी की हार ने बीजेपी को बहुत कुछ बता-समझा दिया है। इस हार के बाद बीजेपी की रणनीति में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। हो सकता है अब आम चुनाव में बीजेपी ऐन मौके पर पार्टी में आकर टिकट हासिल करने वाले नेताओं से दूरी बनाकर चले।
घोसी उपचुनाव में टूट गया भाजपा का गुरुर
सहारनपुर के वरिष्ठ पत्रकार व गोल्डन ग्लोब पत्रिका के संपादक देवेंद्र चौहान कहते हैं कि घोसी उपचुनाव में हार के साथ ही भाजपा का गुरुर भी टूट गया है। चौहान लिखते है कि घोसी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सुधाकर ने भाजपा के उम्मीदवार दारा सिंह को 42672 वोटो के भारी अंतर से हरा करके भाजपा के अहंकार को चकनाचूर कर दिया है। बीजेपी इन दिनों अहंकार की राजनीति का शिकार है और वह विपक्षी दलों पर गलत ढंग से हमलावर है। उसने जिस तरह से *इंडिया बनाम भारत* के मुद्दे को उछाला है, इस उपचुनाव से तय हो गया है कि उसके इस मुद्दे पर आम आदमी की सहमति नहीं है। और आम आदमी इसके विरोध में है। साथ ही भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं पर आयोजनों का इतना बोझ लाद दिया है कि उन्हें सैकड़ो नामो से अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित करने पड़ रहे हैं। जबकि इन्हीं कार्यकर्ताओ के कहने पर पुलिस प्रशासन में रत्ती भर सुनवाई नहीं होती और उन्हें आम आदमी के काम करने में भी दिक्कत आ रही है। भ्रष्टाचार पर भी भाजपा ने रत्ती भर अंकुश लगाने का काम नहीं किया है। इन्हीं सबका नतीजा है कि घोसी उपचुनाव में भाजपा को वहां की जनता ने आइना दिखा दिया है।
नतीजों पर क्या बोले अखिलेश यादव, ओपी राजभर और जयंत चौधरी
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा कि ये बीजेपी के झूठे प्रचार और जुमला जीवियों की पराजय है। ये दलबदल घरबदल की सियासत करने वालों की हार है। उन्होंने कहा कि ये नतीजा भाजपा का अहंकार और घमंड को चकनाचूर करने वाला है। ये एक ऐसा चुनाव है, जिसमें जीते तो एक विधायक हैं। पर हारे कई दलों के भावी मंत्री हैं। इंडिया टीम है और पीडीए (PDA) रणनीति। जीत का हमारा ये नया फॉर्मूला सफल साबित हुआ है। घोसी की जनता को धन्यवाद। सुधाकर सिंह को जीत की बधाई।
बीजेपी की हार पर ओपी राजभर ने कहा कि जो रिजल्ट आ रहा है, हम उसका स्वागत करते हैं। विपक्ष जब हारता है तो EVM पर सवाल उठाता है। अब तो ये प्रमाण हो गया कि EVM सही है। दैनिक भास्कर के अनुसार, राजभर से पूछा कि क्या आप इस परिणाम से सीख लेंगे? जवाब में उन्होंने कहा कि बिल्कुल सीख लेंगे। जो कमी रहेगी, उसे आने वाले चुनाव में सुधारा जाएगा। वहीं RLD प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा कि बड़ी जीत दर्ज करा कर INDIA का हौसला बढ़ाने के लिए घोसी, उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को धन्यवाद। घोसी से प्रत्याशी सुधाकर सिंह और अखिलेश यादव को बधाई।
देश में हुए विधानसभा उपचुनावों में परिणाम 4-3 से ‘इंडिया’ गठबंधन के पक्ष में
देश में 6 राज्यों में हुए विधानसभा के उपचुनावों में परिणाम 4-3 से ‘इंडिया’ (‘INDIA’) गठबंधन के पक्ष में रहा। ‘इंडिया’ गठबंधन ने 4 सीटें जीतीं जबकि, एनडीए (NDA) को 3 सीटें मिलीं है। पश्चिम बंगाल में TMC ने भाजपा से सीट छीनी तो उत्तर प्रदेश में सपा अपनी सीट (घोसी) बरकरार रखने में सफल रही। केरल में कांग्रेस पार्टी ने और झारखंड में JMM ने जीत दर्ज कर अपनी सीट बचायी। त्रिपुरा में भाजपा ने अपनी एक सीट बचायी और एक CPIM से छीनी। जबकि उत्तराखंड में भाजपा अपनी सीट बचाने में सफल रही।
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देखा जाए तो घोसी उपचुनाव में भाजपा और सपा दोनों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। भाजपा ने उपचुनाव में जहां मंत्रियों की फौज उतार दी थी, वहीं पिछड़ी जाति के वोटरों को साधने के लिए ओपी राजभर, निषाद वोटरों को साधने के लिए संजय निषाद, कुर्मी वोटरों को साधने के लिए स्वतंत्र देव सिंह, ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक, मुस्लिम समाज के पसमांदा वोटरों को साधने के लिए दानिश आजाद अंसारी को घोसी में चुनावी जनसभाओं में उतार दिया था। वहीं भाजपा की इस रणनीति को भांपते हुए सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव, शिवपाल यादव समेत कई नेता भी घोसी में डटे रहे।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, घोसी उप-चुनाव को लगातार ‘इंडिया’ (‘INDIA’) गठबंधन बनाम एनडीए के बीच का मुकाबला बनाने में लगे थे, जिसमें उन्हें बड़ी सफलता हाथ लगी है, सबसे बड़ी बात यह है कि समाजवादी पार्टी ने भी बीजेपी की तरह घोसी उप-चुनाव को नाक का सवाल बना लिया था, सपा के कई दिग्गज यहां चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे थे, परंतु यहां सबसे अधिक मेहनत और सफल रणनीति शिवपाल यादव ने बनाई थी। शिवपाल यादव की अगुवाई में समाजवादी पार्टी ने यहां दूसरा महत्वपूर्ण चुनाव जीता है। यही नहीं, घोसी में बीजेपी को मिली हार के बाद बीजेपी के साथ-साथ सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के नेता ओम प्रकाश राजभर की प्रतिष्ठा को भी जबर्दस्त धक्का लगा है। घोसी में बीजेपी को मिली हार के बाद ओम प्रकार राजभर के मंत्री बनने के सपने पर भी ग्रहण लग सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार के एक समीक्षात्मक लेख के अनुसार, यहां यह जान लेना भी जरूरी है कि घोसी विधानसभा क्षेत्र को सपा का मजबूत गढ़ माना जाता है। पिछले वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में घोसी से समाजवादी पार्टी के टिकट से दारा सिंह चौहान जीते थे। उन्हें उम्मीद थी कि समाजवादी पार्टी की प्रदेश में सरकार बनेगी, परंतु जब योगी के सिर जीत का सेहरा बंधा तो उनका दिल सपा में लगना बंद हो गया और बाद में दारा सिंह पाला बदल और विधान सभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बीजेपी में आ गए। बीजेपी ने उन्हें टिकट तो दे दिया, लेकिन वह दारा सिंह के लिए जीत का मार्ग नहीं प्रशस्त कर पाई। बीजेपी को समझ लेना चाहिए कि जनता इतनी बेवकूफ नहीं है जितना उसे समझा जाता है। वैसे भी 2017 के बाद अब तक घोसी विधानसभा के लिए 4 बार चुनाव- उपचुनाव होना, जनता को रास नहीं आ रहा था। इसी वजह से यहां वोटिंग परसेंट भी कम रहा था। समाजवादी पार्टी के लिए घोसी से यह भी अच्छी खबर आई है कि अभी भी मुसलमान वोटर उसके साथ मजबूती के साथ खड़ा हुआ है।
घोसी में हुए उपचुनाव में दारा सिंह चौहान को भाजपा के सहयोगी दलों अपना दल (सोनेलाल), निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) पार्टी और पूर्व सपा सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का समर्थन मिला था तो दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सुधाकर सिंह को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों कांग्रेस, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, आम आदमी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी लेनिनवादी) (भाकपा-माले)-लिबरेशन और सुहेलदेव स्वाभिमान पार्टी से समर्थन मिला था।
घोसी में मिली जीत से ‘इंडिया’ गठबंधन में खुशी का माहौल है तो समाजवादी पार्टी भी गद्गद है। ऐसा होना स्वभाविक भी है, समाजवादी पार्टी घोसी की जीत का जश्न लोकसभा चुनाव तक मनाने और इसे भुनाने की कोशिश में लगी रहेगी। वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह लिखते हैं कि सपा को मिली इस जीत का मैसेज बीजेपी के लिए है, लेकिन चौकाने वाली बात यह भी है घोसी में मिली हार के बाद भारतीय जनता पार्टी के कुछ पुराने नेता और जमीनी कार्यकर्ता भी दबी जुबान से बीजेपी को आईना दिखाने में लगे हैं। सवाल किया जा रहा है कि क्या बीजेपी के भीतर नेताओं की कमी थी जो एक दलबदलू दारा सिंह को उम्मीदवार बनाया गया।
घोसी में दारा सिंह चौहान को ठुकराने के साथ वोटरों ने चाहे अनचाहे बीजेपी आलाकमान को भी आईना दिखाने की कोशिश की है कि जब प्रदेश में पूर्ण बहुमत वाली योगी सरकार सुगमतापूर्वक काम कर रही है तो बार-बार दलबदलू नेताओं को पार्टी में शामिल करना और उन्हें चुनाव मैदान में उतारने की क्या जरूरत है। इससे जनता का पैसा और समय दोनों बर्बाद होते हैं।
बहरहाल, घोसी की हार ने बीजेपी को बहुत कुछ बता-समझा दिया है। इस हार के बाद बीजेपी की रणनीति में भी बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। हो सकता है अब आम चुनाव में बीजेपी ऐन मौके पर पार्टी में आकर टिकट हासिल करने वाले नेताओं से दूरी बनाकर चले।
घोसी उपचुनाव में टूट गया भाजपा का गुरुर
सहारनपुर के वरिष्ठ पत्रकार व गोल्डन ग्लोब पत्रिका के संपादक देवेंद्र चौहान कहते हैं कि घोसी उपचुनाव में हार के साथ ही भाजपा का गुरुर भी टूट गया है। चौहान लिखते है कि घोसी उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार सुधाकर ने भाजपा के उम्मीदवार दारा सिंह को 42672 वोटो के भारी अंतर से हरा करके भाजपा के अहंकार को चकनाचूर कर दिया है। बीजेपी इन दिनों अहंकार की राजनीति का शिकार है और वह विपक्षी दलों पर गलत ढंग से हमलावर है। उसने जिस तरह से *इंडिया बनाम भारत* के मुद्दे को उछाला है, इस उपचुनाव से तय हो गया है कि उसके इस मुद्दे पर आम आदमी की सहमति नहीं है। और आम आदमी इसके विरोध में है। साथ ही भाजपा ने अपने कार्यकर्ताओं पर आयोजनों का इतना बोझ लाद दिया है कि उन्हें सैकड़ो नामो से अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित करने पड़ रहे हैं। जबकि इन्हीं कार्यकर्ताओ के कहने पर पुलिस प्रशासन में रत्ती भर सुनवाई नहीं होती और उन्हें आम आदमी के काम करने में भी दिक्कत आ रही है। भ्रष्टाचार पर भी भाजपा ने रत्ती भर अंकुश लगाने का काम नहीं किया है। इन्हीं सबका नतीजा है कि घोसी उपचुनाव में भाजपा को वहां की जनता ने आइना दिखा दिया है।
नतीजों पर क्या बोले अखिलेश यादव, ओपी राजभर और जयंत चौधरी
सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने कहा कि ये बीजेपी के झूठे प्रचार और जुमला जीवियों की पराजय है। ये दलबदल घरबदल की सियासत करने वालों की हार है। उन्होंने कहा कि ये नतीजा भाजपा का अहंकार और घमंड को चकनाचूर करने वाला है। ये एक ऐसा चुनाव है, जिसमें जीते तो एक विधायक हैं। पर हारे कई दलों के भावी मंत्री हैं। इंडिया टीम है और पीडीए (PDA) रणनीति। जीत का हमारा ये नया फॉर्मूला सफल साबित हुआ है। घोसी की जनता को धन्यवाद। सुधाकर सिंह को जीत की बधाई।
बीजेपी की हार पर ओपी राजभर ने कहा कि जो रिजल्ट आ रहा है, हम उसका स्वागत करते हैं। विपक्ष जब हारता है तो EVM पर सवाल उठाता है। अब तो ये प्रमाण हो गया कि EVM सही है। दैनिक भास्कर के अनुसार, राजभर से पूछा कि क्या आप इस परिणाम से सीख लेंगे? जवाब में उन्होंने कहा कि बिल्कुल सीख लेंगे। जो कमी रहेगी, उसे आने वाले चुनाव में सुधारा जाएगा। वहीं RLD प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा कि बड़ी जीत दर्ज करा कर INDIA का हौसला बढ़ाने के लिए घोसी, उत्तर प्रदेश के मतदाताओं को धन्यवाद। घोसी से प्रत्याशी सुधाकर सिंह और अखिलेश यादव को बधाई।
देश में हुए विधानसभा उपचुनावों में परिणाम 4-3 से ‘इंडिया’ गठबंधन के पक्ष में
देश में 6 राज्यों में हुए विधानसभा के उपचुनावों में परिणाम 4-3 से ‘इंडिया’ (‘INDIA’) गठबंधन के पक्ष में रहा। ‘इंडिया’ गठबंधन ने 4 सीटें जीतीं जबकि, एनडीए (NDA) को 3 सीटें मिलीं है। पश्चिम बंगाल में TMC ने भाजपा से सीट छीनी तो उत्तर प्रदेश में सपा अपनी सीट (घोसी) बरकरार रखने में सफल रही। केरल में कांग्रेस पार्टी ने और झारखंड में JMM ने जीत दर्ज कर अपनी सीट बचायी। त्रिपुरा में भाजपा ने अपनी एक सीट बचायी और एक CPIM से छीनी। जबकि उत्तराखंड में भाजपा अपनी सीट बचाने में सफल रही।
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