वाराणसी। ऐपवा के आह्वान पर आज बनारस की बुनकर महिलाओं ने अपने परिवार के साथ अपने घर और मुहल्ले से अपनी वाजिब मांगो के साथ अपनी आवाज बुलंद की। ऐपवा ने केंद्रीय बाल विकास मंत्री और कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी को उनकी जिम्मेदारियों को याद दिलाते हुए बुनकर महिलाओं, बच्चों और उनके परिवार के लिए राहत पैकेज की मांग करते हुए पत्र लिखा।
ऐपवा की प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी के संसदीय क्षेत्र में बुनकर परिवारों को पहले भी आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही थी लेकिन महामारी मे तालांबन्दी के कारण लूमें बंद पड़ी है और गरीब बुनकरों को भुखमरी और बेरोजगारी के कारण दूसरे रोजगार की तरफ पलायन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि साड़ी व्यवसाय में महिला श्रम का मूल्य तो पहले से ही अदृश्य था लेकिन महामारी के दौरान हुई बंदी ने महिलाओं और बच्चों की कमर तोड़ दी है।
उंन्होने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्री अपनी जिम्मेदारियों से नहीं भाग सकथे जबकि वह कपड़ा मंत्रालय भी देखती हैं। कुसुम वर्मा ने कहा कि ऐपवा स्मृति ईरानी जी से मांग करती है कि गरीबी में गुजर बसर कर रहे बुनकर परिवारों के लिए महामारी में राहत पैकेज की मांग करती है जिससे वह सम्मानजनक जिंदगी जी सकें।
ऐपवा वाराणसी की जिला अध्यक्ष डॉ नूर फ़ातिमा ने कहा कि बनारसी साड़ी को देश विदेश में मशहूर करने वाले बुनकरों की बुरी हालत यह दर्शाती है कि हमारी सरकारों का रवैया अपनी मेहनतकश रियाया के लिए बेहद गैरजिम्मेदाराना है।
ऐपवा जिला सचिव स्मिता बागड़े ने कहा कि के केंद्र और राज्य सरकारों की अनदेखी की वजह से आज बनारस के बुनकर इलाकों के बच्चे शिक्षा से वंचित होकर बाल मजदूरी के लिए विवश किये जा है यह अमानवीय तो है ही साथ ही बाल श्रम कानूनों का हनन भी है।
गांधीवादी चिंतक और सोशल एक्टिविस्ट डॉ मुनीज़ा रफीक खान ने कहा कि बुनकरी उद्योग सिर्फ साड़ी बुनने का रोजगार नहीं है बल्कि इस देश की गंगा जमुनी तहजीब की एक मिसाल भी है जिसे हम कभी समाप्त नहीं होने देंगे।
बनारस की बुनकर महिलाओं की नेता कैसर जहां का कहना है कि जब तक गरीब बुनकर महिलाओं और बच्चों को उनका हक नहीं मिल जाता हमारा सँघर्ष जारी रहेगा जरूरत पड़ने पर बुनकर महिलाएं सड़क पर निकलकर भी अपनी आवाज बुलंद करेंगी।
आज का प्रदेशन सरैंया, हिरामनपुर, भगवतीपुर,पथरागांव (मुगलसराय) में आयोजित हुआ। ऐपवा की जिला इकाई ने बुनकर महिलाओं का समर्थन किया। जिसमें विभा वाही, सुतपा गुप्ता, विभा प्रभाकर, आशु मीणा, सरोज सिंह, आदि महिलाये शामिल थी।
आज के प्रदर्शन के जरिए सरकार से बुनकर परिवारों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करने , साड़ी व्यवसाय को पुनः चालू करने और खरीद व बिक्री की जिम्मेदारी सरकार द्वारा खुद लेने, सभी गरीब बुनकरों परिवारों के कर्जे माफ किये जाने, गरीबी, भुखमरी और रोजगार से वंचित बुनकर महिलाओं को लॉकडाउन भत्ता देने, सभी बुनकरों के बिजली बिल को माफ कर इसे कार्ड आधारित करने, आर्थिक तंगी से जूझ रहे गरीब बुनकर परिवारों के बच्चों को के शिक्षा की गांरन्टी सुनिश्चित कर सम्मनजनक जिंदगी प्रदान करने तथा बुनकर परिवारो में किसी के भी कोरोना पॉजिटिव होने पर उसका मुफ्त इलाज कराने की मांग उठाई गई।
साभार- समकालीन जनमत
ऐपवा की प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी के संसदीय क्षेत्र में बुनकर परिवारों को पहले भी आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही थी लेकिन महामारी मे तालांबन्दी के कारण लूमें बंद पड़ी है और गरीब बुनकरों को भुखमरी और बेरोजगारी के कारण दूसरे रोजगार की तरफ पलायन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि साड़ी व्यवसाय में महिला श्रम का मूल्य तो पहले से ही अदृश्य था लेकिन महामारी के दौरान हुई बंदी ने महिलाओं और बच्चों की कमर तोड़ दी है।
उंन्होने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्री अपनी जिम्मेदारियों से नहीं भाग सकथे जबकि वह कपड़ा मंत्रालय भी देखती हैं। कुसुम वर्मा ने कहा कि ऐपवा स्मृति ईरानी जी से मांग करती है कि गरीबी में गुजर बसर कर रहे बुनकर परिवारों के लिए महामारी में राहत पैकेज की मांग करती है जिससे वह सम्मानजनक जिंदगी जी सकें।
ऐपवा वाराणसी की जिला अध्यक्ष डॉ नूर फ़ातिमा ने कहा कि बनारसी साड़ी को देश विदेश में मशहूर करने वाले बुनकरों की बुरी हालत यह दर्शाती है कि हमारी सरकारों का रवैया अपनी मेहनतकश रियाया के लिए बेहद गैरजिम्मेदाराना है।
ऐपवा जिला सचिव स्मिता बागड़े ने कहा कि के केंद्र और राज्य सरकारों की अनदेखी की वजह से आज बनारस के बुनकर इलाकों के बच्चे शिक्षा से वंचित होकर बाल मजदूरी के लिए विवश किये जा है यह अमानवीय तो है ही साथ ही बाल श्रम कानूनों का हनन भी है।
गांधीवादी चिंतक और सोशल एक्टिविस्ट डॉ मुनीज़ा रफीक खान ने कहा कि बुनकरी उद्योग सिर्फ साड़ी बुनने का रोजगार नहीं है बल्कि इस देश की गंगा जमुनी तहजीब की एक मिसाल भी है जिसे हम कभी समाप्त नहीं होने देंगे।
बनारस की बुनकर महिलाओं की नेता कैसर जहां का कहना है कि जब तक गरीब बुनकर महिलाओं और बच्चों को उनका हक नहीं मिल जाता हमारा सँघर्ष जारी रहेगा जरूरत पड़ने पर बुनकर महिलाएं सड़क पर निकलकर भी अपनी आवाज बुलंद करेंगी।
आज का प्रदेशन सरैंया, हिरामनपुर, भगवतीपुर,पथरागांव (मुगलसराय) में आयोजित हुआ। ऐपवा की जिला इकाई ने बुनकर महिलाओं का समर्थन किया। जिसमें विभा वाही, सुतपा गुप्ता, विभा प्रभाकर, आशु मीणा, सरोज सिंह, आदि महिलाये शामिल थी।
आज के प्रदर्शन के जरिए सरकार से बुनकर परिवारों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करने , साड़ी व्यवसाय को पुनः चालू करने और खरीद व बिक्री की जिम्मेदारी सरकार द्वारा खुद लेने, सभी गरीब बुनकरों परिवारों के कर्जे माफ किये जाने, गरीबी, भुखमरी और रोजगार से वंचित बुनकर महिलाओं को लॉकडाउन भत्ता देने, सभी बुनकरों के बिजली बिल को माफ कर इसे कार्ड आधारित करने, आर्थिक तंगी से जूझ रहे गरीब बुनकर परिवारों के बच्चों को के शिक्षा की गांरन्टी सुनिश्चित कर सम्मनजनक जिंदगी प्रदान करने तथा बुनकर परिवारो में किसी के भी कोरोना पॉजिटिव होने पर उसका मुफ्त इलाज कराने की मांग उठाई गई।
साभार- समकालीन जनमत