देश दलित मुस्लिमों को मारने के लिए अपनी लाठी क्यों देती है पुलिस?

Published on: July 3, 2017
नई दिल्ली। भाजपा शासित गुजरात में पिछले साल उना में एक घटना घटी। यहां कुछ दलित मरी गाय की खाल उतार रहे थे। इन लोगों पर कथित गौरक्षकों का कहर टूट पड़ा। उन्होंने दलित युवकों को गाड़ी से बांधकर बुरी तरह पीटा। इस पिटाई में यह खास बात रही कि कथित गौरक्षकों को पुलिस का बिल्कुल भी खौफ नहीं था और वे पुलिस स्टेशन के सामने ही दलितों को पीट रहे थे। इस घटना ने हत्यारी भीड़ को पनपने की शह दी और एक के बाद एक दलित मुस्लिमों को निशाना बनाया जाने लगा।

Attack on Muslims

लगातार बढ़ रही ऐसी घटनाएं राजनीतिक और पुलिस प्रशासन की मौन स्वीकृति की ओर इशारा कर रही हैं। ताजा मामला झारखंड का है। यहां एक मुस्लिम व्यक्ति को बीफ की अफवाह पर पीटकर मार डाला। इसमें खास बात रही कि भीड़ के हाथ में पुलिस की लाठी नजर आ रही है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या पुलिस खुद लोगों को लाठियां दे रही है। क्या भाजपा शासित राज्यों में दलित औऱ मुस्लिमों को खत्म कराने के लिए पुलिस भी प्रतिबद्ध है?

una police station
 
इस मामले पर वरिष्ठ पत्रकार विनोद कुमार लिखते हैं…
झारखंड की हवा में जहर घोलने में कामयाब हुई भाजपा
साथी, संघ परिवार आखिरकार झारखंड की हवा में जहर घोलने में कामयाब हुई। इस खौफनाक तस्वीर, जिसे मैं ने GhanshyamBiruly के वाल से लिया है, को देखें। माना की यह लाठी पुलिस की है। रघुवर दास की प्रशासन पुलिस निकम्मी है। उसका संरक्षण इन हत्यारी ताकतों को मिला हुआ है। लेकिन क्या आपको यह दिखाई नहीं देता कि हाल के दिनों में झारखंड में हुई इस तरह की कार्रवाईयों में कहीं आदिवासी लोग भी शामिल हैं, कही महतो समुदाय के लोग।
 
रामगढ की घटना में तो नित्यानंद महतो नामके शख्स को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। संकेत साफ है, संघ अपनी साजिशों में कामयाब हुआ और उसकी कामयाबी इस रूप में कि अब आदिवासी, मूलवासी उसके खौफनाक इरादों के हथियार बन रहे हैं। इसलिए ठीकरा सिर्फ सत्ता के सर फोड़ने से काम नहीं चलेगा। हम अनुपम, अप्रतिम झारखंडी संस्कृति के गीत गाते रहें और झारखंडी संस्कृति सड़कों पर इसी तरह लहुलूहान होती रहे तो धिक्कार है हम सब पर।
यह भी याद रखिये, वक्त रहते इस जहरीली आंधी को नहीं रोका गया तो जल, जंगल, जमीन को बचाने के तमाम आंदोलन नेपथ्य में चले जायेंगे।
 
संपादन- भवेंद्र प्रकाश

साभार: नेशनल दस्तक


 

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