नई दिल्ली। राज्यसभा में रविवार को कृषि बिल को लेकर हुए हंगामे का असर सोमवार को भी नजर आया। संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन विपक्ष के 8 सदस्यों को बाकी सत्र के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया। यह प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हो गया। निलंबित किए गए सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और डोला सेन, कांगेस के राजीव सातव, सैयद नजीर हुसैन और रिपुन बोरा, आप के संजय सिंह, माकपा के केके रागेश और इलामारम करीम शामिल हैं। इसके बाद भी ये सांसद सदन से बाहर नहीं गए और हंगामा होता रहा। कई बार कार्रवाई स्थगित होने के बाद, आखिरकार सदन को मंगलवार तक के लिए स्थगित करना पड़ा। इसके बाद निलंबित किए सांसदों ने अपनी-अपनी पार्टी के अन्य सदस्यों के साथ गांधी प्रतिमा पर धरना दिया। वहीं, बीजेपी ने विपक्षी सांसदों के व्यवहार को 'गुंडागर्दी' करार दिया है।
अपने सांसदों के निलंबन से विपक्षी दल बेहद आक्रामक हो गए हैं। तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि ऐसी कार्यवाही सरकार की ‘‘निरंकुश मानसिकता’’ दर्शाती है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और पार्टी की मुखिया ममता बनर्जी ने भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाते हुए कहा कि वह संसद और सड़क दोनों जगह ‘‘फासीवादी’’ सरकार से लड़ेंगी। राज्यसभा में टीएमसी के मुख्य सचेतक सुखेंदु शेखर रॉय ने उच्च सदन चलाने के तरीके पर सवाल उठाया। रॉय ने यह भी कहा कि ‘‘लोकतंत्र के इस मंदिर’’ में इस कार्यवाही की सभी खेमों को निंदा करनी चाहिए।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, "राज्यसभा में रविवार को जो कुछ भी हुआ वह बहुत गलत, निंदनीय है।" उन्होंने कहा कि अपनी बात रखने का एक तरीका होता है। और संसद से पास हुए कृषि विधेयक तो कृषि क्षेत्र के हित में हैं। राज्य के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि "राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के साथ विपक्ष की ओर से अमर्यादित बर्ताव किया गया, बिहार के लोग इसका जवाब देंगे।"
सोमवार सुबह जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सांसदों को आइना दिखाने की कोशिश की। उन्होंने कहा, "एक दिन पहले उच्च सदन में कुछ विपक्षी सदस्यों का आचरण दुखद, अस्वीकार्य और निंदनीय है।" नायडू ने उपसभापति हरिवंश के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि 'सदस्यों ने कोविड-19 संबंधी सामाजिक दूरी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया। इसके अलावा उन्होंने उपसभापति हरिवंश के साथ बदसलूकी की। माइक उखाड़े गए और नियमों की पुस्तिका फेंकी गई। उनके साथ अमर्यादित आचरण किया गया।'
अपने सांसदों के निलंबन से विपक्षी दल बेहद आक्रामक हो गए हैं। तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि ऐसी कार्यवाही सरकार की ‘‘निरंकुश मानसिकता’’ दर्शाती है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और पार्टी की मुखिया ममता बनर्जी ने भाजपा पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप लगाते हुए कहा कि वह संसद और सड़क दोनों जगह ‘‘फासीवादी’’ सरकार से लड़ेंगी। राज्यसभा में टीएमसी के मुख्य सचेतक सुखेंदु शेखर रॉय ने उच्च सदन चलाने के तरीके पर सवाल उठाया। रॉय ने यह भी कहा कि ‘‘लोकतंत्र के इस मंदिर’’ में इस कार्यवाही की सभी खेमों को निंदा करनी चाहिए।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, "राज्यसभा में रविवार को जो कुछ भी हुआ वह बहुत गलत, निंदनीय है।" उन्होंने कहा कि अपनी बात रखने का एक तरीका होता है। और संसद से पास हुए कृषि विधेयक तो कृषि क्षेत्र के हित में हैं। राज्य के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने कहा कि "राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश के साथ विपक्ष की ओर से अमर्यादित बर्ताव किया गया, बिहार के लोग इसका जवाब देंगे।"
सोमवार सुबह जब सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने सांसदों को आइना दिखाने की कोशिश की। उन्होंने कहा, "एक दिन पहले उच्च सदन में कुछ विपक्षी सदस्यों का आचरण दुखद, अस्वीकार्य और निंदनीय है।" नायडू ने उपसभापति हरिवंश के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि 'सदस्यों ने कोविड-19 संबंधी सामाजिक दूरी के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया। इसके अलावा उन्होंने उपसभापति हरिवंश के साथ बदसलूकी की। माइक उखाड़े गए और नियमों की पुस्तिका फेंकी गई। उनके साथ अमर्यादित आचरण किया गया।'