ADR ने सुप्रीम कोर्ट में झूठा मतदाता हलफनामा देने के आरोपों को खारिज किया

Written by sabrang india | Published on: October 15, 2025
एडीआर ने स्पष्ट किया कि सर्वोच्च न्यायालय में कोई झूठा हलफनामा दायर नहीं किया गया था। संस्था ने सत्यापित मतदाता आंकड़ों के आधार पर ईसीआई के वकील के दावों का खंडन किया, तथ्यात्मक सटीकता और गैर-पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई, और हालिया अदालती कार्यवाही के बाद संबंधित मतदाता के साथ किए गए व्यवहार पर चिंता जताई।



सुप्रीम कोर्ट में 10 अक्टूबर 2025 को पेश किए गए एक हलफनामे पर सवाल उठाने वाली मीडिया रिपोर्टों के बाद, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने 11 अक्टूबर को एक विस्तृत स्पष्टीकरण जारी किया। रिपोर्टों में चुनाव आयोग (ईसीआई) के वकील का हवाला दिया गया है, जिन्होंने कथित तौर पर उक्त हलफनामे में “गलतियां” बताई थीं, जिसके कारण अदालत ने साझा की गई जानकारी की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया।

एडीआर ने इस मामले में अपनी सफाई दी है, जिसमें उसने अपना पक्ष स्पष्ट किया और यह दोहराया कि वह सही जानकारी, पारदर्शिता और किसी भी पक्ष से अलग रहकर जनहित में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

मामले की पृष्ठभूमि

9 अक्टूबर 2025 को सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने अदालत में आरोप लगाया कि एडीआर की याचिका में गलत और बिना सत्यापन वाली जानकारी दी गई है। उन्होंने एक ऐसे मामले का हवाला दिया जिसमें एडीआर ने दावा किया था कि एक व्यक्ति को अंतिम वोटर लिस्ट से बाहर कर दिया गया, जबकि वह व्यक्ति ड्राफ्ट लिस्ट में भी नहीं था। इतना ही नहीं, जिस विवरण का हवाला दिया गया, वह एक अलग व्यक्ति — एक महिला — से मेल खाता पाया गया, जिससे एडीआर द्वारा पेश जानकारी की सटीकता पर सवाल उठे।

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्य बागची की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एडीआर के रुख पर गहरी चिंता जताई और टिप्पणी की, “हमें तो यह भी संदेह है कि ऐसा कोई व्यक्ति वास्तव में मौजूद भी है या नहीं।”

एडीआर की तरफ से पेश वकील प्रशांत भूषण ने बचाव करते हुए कहा कि यह जानकारी एक “बहुत ही जिम्मेदार व्यक्ति” ने दी है और सुझाव दिया कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से इसकी जांच करवाई जा सकती है। हालांकि, कोर्ट इससे संतुष्ट नहीं हुआ और हलफनामों की संदिग्ध प्रकृति को देखते हुए किसी भी सामान्य राहत देने से इनकार कर दिया।

दाखिल नहीं किया गया, सिर्फ अनुरोध पर साझा किया गया; दस्तावेज की प्रकृति स्पष्ट की गई

11 अक्टूबर को एडीआर ने साफ किया कि जिस हलफनामे को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं, वह आधिकारिक रूप से अदालत में दाखिल नहीं किया गया था। बल्कि यह सिर्फ अदालत के एक विशेष सवाल के जवाब में बार के पार से सौंपा गया था, जो कि कानूनी प्रक्रिया में आम तौर पर किया जाता है।

संस्था ने जोर देकर कहा कि यह फर्क समझना जरूरी है ताकि सुनवाई के दौरान उसके काम और मंशा को गलत तरीके से न पेश किया जाए।

जांच योग्य जानकारी: मतदाता से जुड़ी जानकारी सही थी और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध थी

जिस मतदाता की जानकारी हलफनामे में दी गई थी, वह 115, शहीद स्थल रोड, गुलजारबाग, पटना – 800007 का रहने वाला है और उसका ईपीआईसी नंबर YHX3046307 है। उसकी जानकारी पटना साहिब विधानसभा क्षेत्र (संख्या 184) के भाग संख्या 52 में क्रमांक 653 पर, चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध सार्वजनिक वोटर लिस्ट में दर्ज है।

एडीआर का कहना है कि हलफनामे में दी गई हर जानकारी सही है और चुनाव आयोग के आधिकारिक रिकॉर्ड से जांची जा सकती है। यह उन आरोपों का खंडन करता है कि संबंधित मतदाता “फर्जी” है या उसकी पहचान गलत तरीके से की गई थी।

ड्राफ्ट रोल को लेकर भ्रम: एक ही लिंक पर कई वर्जन

एडीआर ने यह भी समझाया कि भ्रम की वजह क्या हो सकती है। संस्था के अनुसार, उस मतदाता या उसकी मदद कर रहे किसी व्यक्ति ने संभवतः जनवरी 2025 में चुनाव आयोग द्वारा जारी “ड्राफ्ट रोल – 2025” में अपना नाम देखा था, जिसमें उसका नाम स्पष्ट रूप से दर्ज था।

एडीआर का कहना है कि दिक्कत इसलिए हुई क्योंकि “ड्राफ्ट रोल – 2025” और “SIR ड्राफ्ट 2025” दोनों ही दस्तावेज चुनाव आयोग की वेबसाइट पर एक ही वेबपेज और ड्रॉपडाउन मेन्यू में उपलब्ध हैं। यही तकनीकी समानता अदालत में भ्रम या गलतफहमी की वजह बन सकती है।

एडीआर ने कहा, “जहां तक मतदाता के इस बयान का सवाल है कि उसका नाम ड्राफ्ट रोल में था, इस बारे में स्पष्ट किया जाता है कि संभवतः मतदाता या उसकी ओर से किसी व्यक्ति ने जनवरी 2025 में जारी ‘ड्राफ्ट रोल – 2025’ में उसका नाम चेक किया था, जिसमें उसका नाम बाकायदा दर्ज है। यह ध्यान देने योग्य है कि ‘ड्राफ्ट रोल – 2025’ और ‘SIR ड्राफ्ट 2025’ दोनों ही दस्तावेज चुनाव आयोग द्वारा एक ही वेबसाइट लिंक और ड्रॉपडाउन मेन्यू पर प्रकाशित किए गए हैं (जैसा कि नीचे दी गई तस्वीर में दिखाया गया है)।  उसका विवरण एसी 184, भाग संख्या 52 के क्रमांक 653 पर ‘ड्राफ्ट रोल – 2025’ में उपलब्ध है और हलफनामे में दी गई हर जानकारी उसी रिकॉर्ड से मेल खाती है।”


ड्राफ्ट रोल – 2025, फाइनल रोल – 2025, SIR डिलीटेड लिस्ट और मौजूदा स्थिति के स्क्रीनशॉट

रिकॉर्ड्स से यह साफ दिखता है कि मतदाता का नाम पहले ड्राफ्ट रोल में था, लेकिन बाद में उसे सूची से हटा दिया गया। यह गलती किसी प्रक्रिया में चूक की ओर इशारा करती है, न कि जानकारी के गलत प्रस्तुतीकरण की।

शाहिद मतदाता की स्थिति



गलत आरोपों का खंडन: एडीआर ने फर्जीवाड़े के दावे को नकारा

एडीआर ने चुनाव आयोग के वकील के उस दावे को भ्रामक और टाला जा सकने वाला बताया, जिसमें कहा गया था कि EPIC नंबर किसी और का है या वह मतदाता मौजूद ही नहीं है। संस्था ने कहा कि चुनाव आयोग की वेबसाइट पर EPIC नंबर की आसानी से जांच की जा सकती थी, जिससे सब कुछ स्पष्ट हो जाता।

एडीआर ने कहा कि कोर्ट में एक गलत बात कही गई, जिससे उनकी साख को नुकसान पहुंचने का खतरा था और उस मतदाता को भी अनावश्यक परेशानियां हुईं।

मतदाता पर दबाव

एडीआर ने गहरी चिंता जताई कि उस मतदाता को कोर्ट की सुनवाई के बाद अधिकारियों ने बुलाया, परेशान किया और धमकाया जा रहा है।

संस्था ने चेतावनी दी कि इस तरह की कार्रवाई से मतदाता अपने नाम कटने की जानकारी सामने लाने या जब सही प्रक्रिया (जैसे स्पीकिंग ऑर्डर) का पालन न हो, तब शिकायत करने से डर सकते हैं।

एडीआर ने कहा, “यह बहुत ही दुखद है कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद से 07.10.2025 से ही इस मतदाता को अधिकारियों द्वारा लगातार तंग किया जा रहा है, बुलाया जा रहा है और धमकाया जा रहा है। इससे मतदाताओं में और अधिक अविश्वास, डर और हिचक पैदा होगी, जिससे वे अपने नाम कटने या स्पीकिंग ऑर्डर न मिलने पर आगे आने से कतराएंगे।”

एडीआर का कहना है: हम तथ्य-आधारित और निष्पक्ष कार्य के साथ खड़े हैं

एडीआर ने अपने बयान के अंत में दोहराया कि वह हमेशा तथ्य-आधारित और पक्षपात-रहित काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। पिछले 25 वर्षों से यह संगठन मतदाताओं, नागरिक समाज और संस्थाओं के बीच भरोसा कायम करता आया है और चुनाव तथा प्रशासनिक मामलों पर सटीक, डेटा-आधारित जानकारी प्रदान करता रहा है।

एडीआर ने अदालतों, वकीलों और मतदाताओं को भरोसा दिलाया कि वह आगे भी इसी निष्पक्ष और तथ्यपूर्ण कार्य के साथ खड़ा रहेगा।

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