अहमदाबाद स्थित भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) से सेवानिवृत्त होने के बाद वे एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के सह-संस्थापक बने। इसके अलावा, वे एक दशक से अधिक समय तक ‘आजीविका’ ब्यूरो से भी जुड़े रहे, जहां उन्होंने आंतरिक प्रवासन से संबंधित मुद्दों पर काम किया।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के सह-संस्थापक जगदीप एस. छोकर का शुक्रवार (12 सितंबर, 2025) को दिल्ली में निधन हो गया। वे चुनावी और लोकतांत्रिक सुधारों के प्रबल समर्थक थे। वह एक प्रशिक्षित वकील होने के साथ-साथ शिक्षक, शोधकर्ता, लेखक, पक्षी-विज्ञानी और पर्यावरण संरक्षणवादी भी थे।
81 वर्षीय प्रोफेसर छोकर के परिवार में पत्नी किरण हैं। उन्होंने अपना करियर भारतीय रेलवे से शुरू किया और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रबंधन अध्ययन संकाय से एमबीए करने के बाद शिक्षा जगत से जुड़े। इसके बाद उन्होंने लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और 1985 में आईआईएम अहमदाबाद में संगठनात्मक व्यवहार के प्रोफ़ेसर के रूप में शामिल हुए।
वे नवंबर 2006 में सेवानिवृत्त हुए।
सार्वजनिक जीवन में उनकी सक्रियता का मूल कारण था—लोकतंत्र और शासन प्रणाली को अधिक सशक्त, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए उनका निरंतर संघर्ष और प्रतिबद्धता।
1999 में, उन्होंने अपने कुछ IIMA सहयोगियों, जिनमें उनसे 14 वर्ष छोटे तिरलोचन शास्त्री भी शामिल थे, के साथ मिलकर एडीआर की स्थापना की। तब से यह संगठन ढाई दशक से अधिक समय से भारतीय चुनावों में पारदर्शिता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। एडीआर ने सर्वोच्च न्यायालय में कई अहम मुकदमे जीते हैं, जिनमें चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करने का मार्ग प्रशस्त करने वाला मामला भी शामिल है। हाल ही में, बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को चुनौती देने वाले मामलों में यह प्रमुख याचिकाकर्ता है।
राज्यसभा सदस्य (राजद) डॉ. मनोज कुमार झा ने प्रोफेसर छोकर के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “उनका मानना था कि लोकतंत्र चुनावों के शोर से नहीं, बल्कि उनकी निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही से कायम रहता है। उन्होंने हमें बार-बार याद दिलाया कि स्वच्छ राजनीति दाग़ी प्रक्रियाओं से नहीं उभर सकती। उनका जाना एक शून्य के साथ-साथ एक विरासत भी छोड़ गया है—एक अधूरा काम, जो अब उन सभी का है जो लोकतंत्र की परवाह करते हैं। हमें उनके जीवन के उद्देश्य के प्रति अपनी प्रतिज्ञा को नवीनीकृत करना चाहिए कि भारत में चुनाव केवल सत्ता की प्रतियोगिता न हों, बल्कि विश्वास का अनुष्ठान हों।”
उनका पार्थिव शरीर चिकित्सीय शोध के लिए दान कर दिया गया। महानिदेशालय सामान्य स्वास्थ्य सेवा और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन नई दिल्ली स्थित एलएचएमसी एंड एसोसिएटेड हॉस्पिटल्स ने आधिकारिक रूप से पुष्टि की: “शरीर रचना विज्ञान विभाग, एडीआर के संस्थापक सदस्य और आईआईएमए के पूर्व डीन, स्वर्गीय प्रो. जगदीप सिंह छोकर के स्वैच्छिक देहदान को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता है। चिकित्सा शिक्षा को आगे बढ़ाने में उनके अमूल्य योगदान के लिए सुश्री किरण छोकर और उनके परिवार के प्रति हमारी गहन कृतज्ञता।”
निर्वाचन आयोग के पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने भी सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, “प्रोफ़ेसर जगदीप छोकर का निधन दुखद है। उन्होंने एडीआर का नेतृत्व किया, जिसने चुनावी लोकतंत्र के उच्च मानकों को बनाए रखने में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उनके और एडीआर जैसे लोग अधिकारियों से सवाल पूछने के लिए बेहद आवश्यक हैं।”
प्रोफ़ेसर छोकर एक सक्रिय लेखक और शोधकर्ता भी थे। उनके शोध कई अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए, जैसे जर्नल ऑफ़ एप्लाइड साइकोलॉजी, कोलंबिया जर्नल ऑफ़ वर्ल्ड बिजनेस (अब जर्नल ऑफ़ वर्ल्ड बिजनेस), इंटरनेशनल लेबर रिव्यू, इंडस्ट्रियल रिलेशंस, जर्नल ऑफ़ सेफ्टी रिसर्च। उन्होंने संपादित पुस्तकों में अध्याय और कई शिक्षण मामले भी लिखे। साथ ही, उन्होंने प्रमुख मीडिया संस्थानों में नियमित रूप से लेख और स्तंभ प्रकाशित किए।
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान और अमेरिका सहित कई देशों में अध्यापन भी किया। सेवानिवृत्ति के बाद वे एक दशक से अधिक समय तक ‘आजीविका’ ब्यूरो से जुड़े रहे और आंतरिक प्रवासन से जुड़े मुद्दों पर काम करते रहे।
पक्षियों के प्रति उनका गहरा प्रेम कम ही लोगों को ज्ञात था। 2001 में उन्होंने बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी से पक्षीविज्ञान में प्रमाणपत्र हासिल किया और आईआईएमए परिसर सहित जहां भी गए, पक्षियों के साथ समय बिताने का आनंद लिया।
Related
असम में नीति में बड़ा बदलाव : नागरिकता साबित करने को केवल 10 दिन, अब ट्राइब्यूनल्स नहीं डीसी तय करेंगे
पीएम के दौरे से पहले असम में मोरान समुदाय के हजारों लोगों ने किया प्रदर्शन, ST दर्जे की मांग तेज

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के सह-संस्थापक जगदीप एस. छोकर का शुक्रवार (12 सितंबर, 2025) को दिल्ली में निधन हो गया। वे चुनावी और लोकतांत्रिक सुधारों के प्रबल समर्थक थे। वह एक प्रशिक्षित वकील होने के साथ-साथ शिक्षक, शोधकर्ता, लेखक, पक्षी-विज्ञानी और पर्यावरण संरक्षणवादी भी थे।
81 वर्षीय प्रोफेसर छोकर के परिवार में पत्नी किरण हैं। उन्होंने अपना करियर भारतीय रेलवे से शुरू किया और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रबंधन अध्ययन संकाय से एमबीए करने के बाद शिक्षा जगत से जुड़े। इसके बाद उन्होंने लुइसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और 1985 में आईआईएम अहमदाबाद में संगठनात्मक व्यवहार के प्रोफ़ेसर के रूप में शामिल हुए।
वे नवंबर 2006 में सेवानिवृत्त हुए।
सार्वजनिक जीवन में उनकी सक्रियता का मूल कारण था—लोकतंत्र और शासन प्रणाली को अधिक सशक्त, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए उनका निरंतर संघर्ष और प्रतिबद्धता।
1999 में, उन्होंने अपने कुछ IIMA सहयोगियों, जिनमें उनसे 14 वर्ष छोटे तिरलोचन शास्त्री भी शामिल थे, के साथ मिलकर एडीआर की स्थापना की। तब से यह संगठन ढाई दशक से अधिक समय से भारतीय चुनावों में पारदर्शिता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। एडीआर ने सर्वोच्च न्यायालय में कई अहम मुकदमे जीते हैं, जिनमें चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करने का मार्ग प्रशस्त करने वाला मामला भी शामिल है। हाल ही में, बिहार में चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को चुनौती देने वाले मामलों में यह प्रमुख याचिकाकर्ता है।
राज्यसभा सदस्य (राजद) डॉ. मनोज कुमार झा ने प्रोफेसर छोकर के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “उनका मानना था कि लोकतंत्र चुनावों के शोर से नहीं, बल्कि उनकी निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही से कायम रहता है। उन्होंने हमें बार-बार याद दिलाया कि स्वच्छ राजनीति दाग़ी प्रक्रियाओं से नहीं उभर सकती। उनका जाना एक शून्य के साथ-साथ एक विरासत भी छोड़ गया है—एक अधूरा काम, जो अब उन सभी का है जो लोकतंत्र की परवाह करते हैं। हमें उनके जीवन के उद्देश्य के प्रति अपनी प्रतिज्ञा को नवीनीकृत करना चाहिए कि भारत में चुनाव केवल सत्ता की प्रतियोगिता न हों, बल्कि विश्वास का अनुष्ठान हों।”
उनका पार्थिव शरीर चिकित्सीय शोध के लिए दान कर दिया गया। महानिदेशालय सामान्य स्वास्थ्य सेवा और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन नई दिल्ली स्थित एलएचएमसी एंड एसोसिएटेड हॉस्पिटल्स ने आधिकारिक रूप से पुष्टि की: “शरीर रचना विज्ञान विभाग, एडीआर के संस्थापक सदस्य और आईआईएमए के पूर्व डीन, स्वर्गीय प्रो. जगदीप सिंह छोकर के स्वैच्छिक देहदान को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता है। चिकित्सा शिक्षा को आगे बढ़ाने में उनके अमूल्य योगदान के लिए सुश्री किरण छोकर और उनके परिवार के प्रति हमारी गहन कृतज्ञता।”
निर्वाचन आयोग के पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने भी सोशल मीडिया पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने लिखा, “प्रोफ़ेसर जगदीप छोकर का निधन दुखद है। उन्होंने एडीआर का नेतृत्व किया, जिसने चुनावी लोकतंत्र के उच्च मानकों को बनाए रखने में उल्लेखनीय योगदान दिया है। उनके और एडीआर जैसे लोग अधिकारियों से सवाल पूछने के लिए बेहद आवश्यक हैं।”
प्रोफ़ेसर छोकर एक सक्रिय लेखक और शोधकर्ता भी थे। उनके शोध कई अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए, जैसे जर्नल ऑफ़ एप्लाइड साइकोलॉजी, कोलंबिया जर्नल ऑफ़ वर्ल्ड बिजनेस (अब जर्नल ऑफ़ वर्ल्ड बिजनेस), इंटरनेशनल लेबर रिव्यू, इंडस्ट्रियल रिलेशंस, जर्नल ऑफ़ सेफ्टी रिसर्च। उन्होंने संपादित पुस्तकों में अध्याय और कई शिक्षण मामले भी लिखे। साथ ही, उन्होंने प्रमुख मीडिया संस्थानों में नियमित रूप से लेख और स्तंभ प्रकाशित किए।
उन्होंने ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जापान और अमेरिका सहित कई देशों में अध्यापन भी किया। सेवानिवृत्ति के बाद वे एक दशक से अधिक समय तक ‘आजीविका’ ब्यूरो से जुड़े रहे और आंतरिक प्रवासन से जुड़े मुद्दों पर काम करते रहे।
पक्षियों के प्रति उनका गहरा प्रेम कम ही लोगों को ज्ञात था। 2001 में उन्होंने बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी से पक्षीविज्ञान में प्रमाणपत्र हासिल किया और आईआईएमए परिसर सहित जहां भी गए, पक्षियों के साथ समय बिताने का आनंद लिया।
Related
असम में नीति में बड़ा बदलाव : नागरिकता साबित करने को केवल 10 दिन, अब ट्राइब्यूनल्स नहीं डीसी तय करेंगे
पीएम के दौरे से पहले असम में मोरान समुदाय के हजारों लोगों ने किया प्रदर्शन, ST दर्जे की मांग तेज