किसान आंदोलन के समर्थन में रीढ़ की हड्डी वाले पत्रकार खुलकर सामने आ रहे हैं। ऐसा नहीं है कि मेनस्ट्रीम मीडिया में काम करने वाला हर पत्रकार ही गोदी में बैठने के समर्थन में हो। कुछ ऐसे भी लोग हैं जो पत्रकारिता की मर्यादा रखते हुए अपनी जॉब छोड़ रहे हैं। एबीपी न्यूज के सीनियर रिपोर्टर रक्षित सिंह ऐसे ही पत्रकारों की लिस्ट में आ गए हैं जिन्होंने पत्रकारिता के लिए व किसानों के समर्थन में अपनी नौकरी छोड़ दी है। उन्होंने खुद ही बताया है कि वे 12 लाख सालाना कमाते थे।
रक्षित मेरठ की किसान महापंचायत कवर करने पहुंचे थे। उन्होंने मंच से कहा कि मैं पिछले 15 सालों से पत्रकारिता कर रहा हूं। मैंने यह पत्रकारिता इसलिए चुनी क्योंकि मुझे सच दिखाना था, लेकिन मुझे सच नहीं दिखाने दिया जा रहा। लात मारता हूं मैं ऐसी नौकरी को।
रक्षित ने मंच से कहा कि ये करने के बाद मुझपर मुकदमें दर्ज किए जाएंगे। अगर सच दिखाना बंद कर देते हैं तो ये भी झूठ है। और इस झूठ के मैं खिलाफ हूं। उन्होंने कहा कि जब मेरा बच्चा मुझसे पुछेगा कि बापु जब देश में अघोषित इमरजेंसी लगी थी तब आप कहां थे तो मैं कहूंगा सीना ठोक के मैं किसानों के साथ खड़ा था।
रक्षित सिंह ने मंच से कहा कि पढ़ने के बाद मैंने जयपुर में जूते घिसे, उसके बाद दिल्ली में नौकरी की, ईमानदारी के साथ सब कुछ कवर किया। आज तक मेरे ऊपर कोई चवन्नी का आरोप नहीं लगा सकता। आज की तारीख में मेरा साल का पैकेज 12 लाख का है। इसके अलावा मुझे कुछ आता भी नहीं। मैं तो कुछ व्यापार भी नहीं कर सकता। घर का अकेला लड़का हूं। कहां से पालूंगा। इस सवाल को खुद से पिछले तीन महीनों से पूछ रहा हूं, कि इस बच्चे को क्या खिलाउंगा। क्योंकि मुझे मालूम है ये करने के बाद होगा क्या। एफआईआर दर्ज होगी, मुकदमें दर्ज होंगे। हो सकता है मैं सड़क से जा रहा होउं तो ट्रक का ब्रेक भी फेल हो सकता है। कुछ भी हो सकता है इस राज में लेकिन 56 इंच का न सहीं 5-6 इंच का सीना है, सीना तान के खड़ें हैं। डरते नहीं है किसी से।
रक्षित मेरठ की किसान महापंचायत कवर करने पहुंचे थे। उन्होंने मंच से कहा कि मैं पिछले 15 सालों से पत्रकारिता कर रहा हूं। मैंने यह पत्रकारिता इसलिए चुनी क्योंकि मुझे सच दिखाना था, लेकिन मुझे सच नहीं दिखाने दिया जा रहा। लात मारता हूं मैं ऐसी नौकरी को।
रक्षित ने मंच से कहा कि ये करने के बाद मुझपर मुकदमें दर्ज किए जाएंगे। अगर सच दिखाना बंद कर देते हैं तो ये भी झूठ है। और इस झूठ के मैं खिलाफ हूं। उन्होंने कहा कि जब मेरा बच्चा मुझसे पुछेगा कि बापु जब देश में अघोषित इमरजेंसी लगी थी तब आप कहां थे तो मैं कहूंगा सीना ठोक के मैं किसानों के साथ खड़ा था।
रक्षित सिंह ने मंच से कहा कि पढ़ने के बाद मैंने जयपुर में जूते घिसे, उसके बाद दिल्ली में नौकरी की, ईमानदारी के साथ सब कुछ कवर किया। आज तक मेरे ऊपर कोई चवन्नी का आरोप नहीं लगा सकता। आज की तारीख में मेरा साल का पैकेज 12 लाख का है। इसके अलावा मुझे कुछ आता भी नहीं। मैं तो कुछ व्यापार भी नहीं कर सकता। घर का अकेला लड़का हूं। कहां से पालूंगा। इस सवाल को खुद से पिछले तीन महीनों से पूछ रहा हूं, कि इस बच्चे को क्या खिलाउंगा। क्योंकि मुझे मालूम है ये करने के बाद होगा क्या। एफआईआर दर्ज होगी, मुकदमें दर्ज होंगे। हो सकता है मैं सड़क से जा रहा होउं तो ट्रक का ब्रेक भी फेल हो सकता है। कुछ भी हो सकता है इस राज में लेकिन 56 इंच का न सहीं 5-6 इंच का सीना है, सीना तान के खड़ें हैं। डरते नहीं है किसी से।