उत्तराखंड: चमोली के व्यापारियों का मुस्लिम परिवारों को 31 दिसंबर तक शहर छोड़ने की चेतावनी

Written by sabrang india | Published on: October 21, 2024
उत्तराखंड के चमोली ज़िले के खानसर क़स्बे में व्यापारियों के एक संगठन ने 15 मुस्लिम परिवारों को 31 दिसंबर तक शहर छोड़ने की चेतावनी दी है। ऐसा न करने पर क़ानूनी कार्रवाई करने की बात कही गई है।


प्रतीकात्मक तस्वीर

उत्तराखंड के चमोली जिले के खानसर कस्बे में व्यापारियों के एक संगठन ने 15 मुस्लिम परिवारों को 31 दिसंबर तक शहर छोड़ने के लिए कहा है। प्रस्ताव पारित कर ये बात कही गई है। ये परिवार कुछ दशकों से चमोली में रह रहे हैं। देहरादून से लगभग 260 किलोमीटर दूरी पर चमोली है।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह प्रस्ताव बुधवार को खानसर के मैथन बाजार में आयोजित 'चेतना' रैली के बाद व्यापार मंडल की बैठक में पारित किया गया। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में रैली में शामिल लोगों में ज्यादातर स्थानीय व्यापारी हैं। उनको कथित तौर पर भड़काऊ नारे लगाते हुए देखा जा सकता है।

खानसर घाटी में ग्यारह ग्राम पंचायतें हैं। पूर्व व्यापारी संगठन के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह ने अखबार को बताया कि इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से निवारक कार्रवाई के रूप में पारित किया गया है। सिंह अब मैथन सेवा समिति के अध्यक्ष हैं।

सिंह ने अखबार को बताया, "बैठक के दौरान यह निर्णय लिया गया कि इन सभी परिवारों को 31 दिसंबर से पहले अपना घर छोड़ देना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो न केवल इन परिवारों के खिलाफ कानूनी और दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी बल्कि उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी जो उन्हें अपने घर या दुकान किराए पर देते हैं। इन मकान मालिकों पर 10,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया जाएगा।"

सिंह ने आगे कहा, "इसके अलावा खानसर घाटी के गांवों में सभी फेरीवालों के प्रवेश पर रोक लगाने का निर्णय किया गया है। यदि कोई फेरीवाला पकड़ा गया तो उस पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा और उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह निर्णय अन्य शहरों में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्यों द्वारा हिंदू महिलाओं के खिलाफ हुई आपराधिक घटनाओं को देखते हुए लिया गया है, ताकि यहां ऐसी कोई घटना न हो सके।"

हालांकि, अल्पसंख्यक समुदाय के एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हममें से कोई भी कभी किसी आपराधिक घटना में शामिल नहीं रहा। यह कार्रवाई न केवल सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने वाली है, बल्कि व्यापारिक स्वार्थ के चलते हमें बेदखल करने की भी कोशिश है।"

वहीं, चमोली के एसपी सर्वेश पंवार ने कहा कि पुलिस को ऐसी किसी भी घटना की जानकारी नहीं है। पंवार ने बताया, "हम मामले की जांच करेंगे और यदि आवश्यक हुआ, तो उचित कानूनी कार्रवाई करेंगे।"

ज्ञात हो कि पिछले कुछ वर्षों में राज्य में कई जगहों पर सांप्रदायिक तनाव देखने को मिला है।

इसी साल सितंबर महीने में नंदघाट में मुस्लिम दुकानों के खिलाफ हुई हिंसा के बाद हिंदुत्व समूहों ने चमोली जिले के गोपेश्वर शहर में जुलूस निकाला था। उन्होंने एक मुस्लिम युवक द्वारा उत्पीड़न के आरोपों के बाद सभी 'बाहरी लोगों' का सत्यापन करने की मांग की थी। इस दौरान, भाजपा के एक पदाधिकारी सहित अल्पसंख्यक समुदाय के कम से कम 10 परिवारों को जान से मारने की धमकियों के बाद भागने पर मजबूर होना पड़ा था।

सितंबर महीने में ही रुद्रप्रयाग जिले के कई गांवों के बाहर साइनबोर्ड लगाया गया था जिसमें मुस्लिमों के प्रवेश पर रोक लगाने की बात कही गई थी। विश्व हिंदू परिषद के प्रांत संगठन मंत्री (उत्तराखंड) अजय ने द वायर हिंदी से बातचीत में मुसलमानों पर उत्तराखंड की हिंदू महिलाओं को फंसाकर ले भागने का आरोप लगाया था। उनका मानना था कि उनका संगठन हिंदुओं को जगाने का काम कर रहा है।

इस घटना से पहले इसी साल मार्च महीने में धारचूला शहर में व्यापारियों के एक संगठन ने 91 दुकानों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया था जो ज्यादातर मुसलमानों के थे। ऐसा कथित तौर पर शहर में एक नाई की दुकान पर काम करने वाले मुस्लिम युवक द्वारा दो नाबालिग हिंदू लड़कियों को भगाने का आरोप था।

पिछले साल जून महीने में कथित तौर पर एक अंतर-धार्मिक जोड़े के भागने की कोशिश के बाद मुसलमानों को उत्तरकाशी के पुरोला शहर छोड़कर जाने की धमकी देने वाले पोस्टर चिपकाए थे।

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