खैला मोड पर मुस्लिम युवक द्वारा वेज बिरयानी बेचे जाने को लेकर हिंदू वाहिनी कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। उन्होंने दुकान के पोस्टर और बैनर फाड़ डाले और दुकान का नाम लिखकर चलाने की धमकी दी।
उत्तर प्रदेश के बागपत में भाजपा जिला पंचायत सदस्य मनुपाल बंसल ने एक शाकाहारी रेस्टोरेंट की नेमप्लेट तोड़ दी और दुकान का नाम हिंदू होने के आरोप में मुस्लिम मालिक को धमकाया और चेतावनी दी। बंसल ने 4 दिन पहले अपने फेसबुक अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया था। हेट डिटेक्टर ने इसे रिपोर्ट किया।
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, खैला मोड पर मुस्लिम युवक द्वारा वेज बिरयानी बेचे जाने को लेकर हिंदू वाहिनी कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। उन्होंने दुकान के पोस्टर और बैनर फाड़ डाले और दुकान का नाम लिखकर चलाने की धमकी दी। क्षेत्र के खैला मोड पर रटौल के एक मुस्लिम युवक ने अमृतसरी नान और शुद्ध शाकाहारी वेज बिरयानी का बोर्ड लगाकर दुकान खोली थी।
जानकारी मिलने पर बुधवार को हिंदू युवा वाहिनी के ब्लॉक अध्यक्ष आकाश त्यागी, जिला पंचायत सदस्य मनुपाल बंसल और उनके कार्यकर्ताओं के साथ वहां पहुंचे और हंगामा किया। उन्हें आता देख दुकानदार शटर बंद करके भाग गया। जिला पंचायत सदस्य का कहना था कि अपना धर्म छुपाकर त्रिलोक तीर्थ धाम जैन मंदिर के नाम से होटल चलाया जा रहा है, जबकि वेज बिरयानी भी बेची जा रही है। त्रिलोक तीर्थ धाम सनातन संस्कृति के मानने वालों का तीर्थ स्थल है, जबकि बिरयानी शब्द उनकी आस्था को आघात करता है, जिससे उनकी भावना आहत हुई है। कार्यकर्ताओं ने दुकान पर मंदिर के नाम से लगे पोस्टर और बैनरों को फाड़ दिया। सूचना पुलिस को भी दी गई। कार्यकर्ताओं में मयंक त्यागी, राहुल त्यागी, मुकेश, मोनू आदि मौजूद थे।
ज्ञात हो कि हाल ही में देशभर में मुस्लिम दुकानदारों को अपने नाम की नेमप्लेट लगाने के मामले में हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा निशाना बनाए जाने की घटनाएं सामने आई हैं। इसी कड़ी में बागपत की यह घटना सामने आई है।
इसी साल सितंबर महीने में, दिल्ली के विनोद नगर वार्ड से बीजेपी के एमसीडी पार्षद रविंदर सिंह नेगी ने दुकानदारों से अपने असली नाम की नेमप्लेट लगाने का दबाव बनाया था। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट पर इसका वीडियो भी साझा किया था।
बीजेपी पार्षद ने एक्स पर लिखा, "पटपड़गंज विधानसभा के मंडावली वार्ड में तोमर डेरी (हिंदू नाम) से है, लेकिन उसका असली नाम मुस्लिम है। हमने दुकानदार से कहा है कि आप अपना असली नाम रखें। हिंदू नाम रखकर हिंदुओं के साथ क्यों खिलवाड़ कर रहे हैं? पटपड़गंज विधानसभा में इस तरह की दुकानें हम नहीं चलने देंगे, जो हिंदू नाम रखकर असल में मुस्लिम हैं।"
ज्ञात हो कि इसी साल उत्तर प्रदेश प्रशासन ने कांवड़ यात्रा के मार्ग में खाने-पीने की वस्तुओं की बिक्री करने वालों से अपना नाम जाहिर करने का आदेश दिया था। एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार, इस आदेश में ढाबे, होटल, ठेले, खोमचे, या रेहड़ी-पटरी पर दुकानें लगाने वाले सभी दुकानदारों को शामिल किया गया था। एक वर्ग इसे मुसलमानों के खिलाफ उठाया गया कदम मानता है। हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसे हिटलरशाही तक करार दिया था। कुछ इसी तरह के सुर कुछ राजनीतिक दलों से भी सुनने को मिले थे। उनका कहना था कि यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार कांवड़ यात्रा को सांप्रदायिक रंग देना चाहती है, इसलिए यह आदेश पारित किया गया। सवाल उठता है कि क्या उत्तर प्रदेश प्रशासन का यह आदेश वाकई मुसलमानों को टार्गेट करने के लिए था?
ज्ञात हो कि इस समय उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की तरह ही हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भी रेहड़ी-पटरी वालों और होटल मालिकों को अपनी दुकानों के सामने नेमप्लेट लगाने का आदेश दिया था।
उत्तर प्रदेश के बागपत में भाजपा जिला पंचायत सदस्य मनुपाल बंसल ने एक शाकाहारी रेस्टोरेंट की नेमप्लेट तोड़ दी और दुकान का नाम हिंदू होने के आरोप में मुस्लिम मालिक को धमकाया और चेतावनी दी। बंसल ने 4 दिन पहले अपने फेसबुक अकाउंट पर एक वीडियो पोस्ट किया था। हेट डिटेक्टर ने इसे रिपोर्ट किया।
हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, खैला मोड पर मुस्लिम युवक द्वारा वेज बिरयानी बेचे जाने को लेकर हिंदू वाहिनी कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। उन्होंने दुकान के पोस्टर और बैनर फाड़ डाले और दुकान का नाम लिखकर चलाने की धमकी दी। क्षेत्र के खैला मोड पर रटौल के एक मुस्लिम युवक ने अमृतसरी नान और शुद्ध शाकाहारी वेज बिरयानी का बोर्ड लगाकर दुकान खोली थी।
जानकारी मिलने पर बुधवार को हिंदू युवा वाहिनी के ब्लॉक अध्यक्ष आकाश त्यागी, जिला पंचायत सदस्य मनुपाल बंसल और उनके कार्यकर्ताओं के साथ वहां पहुंचे और हंगामा किया। उन्हें आता देख दुकानदार शटर बंद करके भाग गया। जिला पंचायत सदस्य का कहना था कि अपना धर्म छुपाकर त्रिलोक तीर्थ धाम जैन मंदिर के नाम से होटल चलाया जा रहा है, जबकि वेज बिरयानी भी बेची जा रही है। त्रिलोक तीर्थ धाम सनातन संस्कृति के मानने वालों का तीर्थ स्थल है, जबकि बिरयानी शब्द उनकी आस्था को आघात करता है, जिससे उनकी भावना आहत हुई है। कार्यकर्ताओं ने दुकान पर मंदिर के नाम से लगे पोस्टर और बैनरों को फाड़ दिया। सूचना पुलिस को भी दी गई। कार्यकर्ताओं में मयंक त्यागी, राहुल त्यागी, मुकेश, मोनू आदि मौजूद थे।
ज्ञात हो कि हाल ही में देशभर में मुस्लिम दुकानदारों को अपने नाम की नेमप्लेट लगाने के मामले में हिंदुत्ववादी संगठनों द्वारा निशाना बनाए जाने की घटनाएं सामने आई हैं। इसी कड़ी में बागपत की यह घटना सामने आई है।
इसी साल सितंबर महीने में, दिल्ली के विनोद नगर वार्ड से बीजेपी के एमसीडी पार्षद रविंदर सिंह नेगी ने दुकानदारों से अपने असली नाम की नेमप्लेट लगाने का दबाव बनाया था। उन्होंने अपने एक्स पोस्ट पर इसका वीडियो भी साझा किया था।
बीजेपी पार्षद ने एक्स पर लिखा, "पटपड़गंज विधानसभा के मंडावली वार्ड में तोमर डेरी (हिंदू नाम) से है, लेकिन उसका असली नाम मुस्लिम है। हमने दुकानदार से कहा है कि आप अपना असली नाम रखें। हिंदू नाम रखकर हिंदुओं के साथ क्यों खिलवाड़ कर रहे हैं? पटपड़गंज विधानसभा में इस तरह की दुकानें हम नहीं चलने देंगे, जो हिंदू नाम रखकर असल में मुस्लिम हैं।"
ज्ञात हो कि इसी साल उत्तर प्रदेश प्रशासन ने कांवड़ यात्रा के मार्ग में खाने-पीने की वस्तुओं की बिक्री करने वालों से अपना नाम जाहिर करने का आदेश दिया था। एनबीटी की रिपोर्ट के अनुसार, इस आदेश में ढाबे, होटल, ठेले, खोमचे, या रेहड़ी-पटरी पर दुकानें लगाने वाले सभी दुकानदारों को शामिल किया गया था। एक वर्ग इसे मुसलमानों के खिलाफ उठाया गया कदम मानता है। हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इसे हिटलरशाही तक करार दिया था। कुछ इसी तरह के सुर कुछ राजनीतिक दलों से भी सुनने को मिले थे। उनका कहना था कि यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार कांवड़ यात्रा को सांप्रदायिक रंग देना चाहती है, इसलिए यह आदेश पारित किया गया। सवाल उठता है कि क्या उत्तर प्रदेश प्रशासन का यह आदेश वाकई मुसलमानों को टार्गेट करने के लिए था?
ज्ञात हो कि इस समय उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की तरह ही हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भी रेहड़ी-पटरी वालों और होटल मालिकों को अपनी दुकानों के सामने नेमप्लेट लगाने का आदेश दिया था।