पहलगाम हमले के बाद, हिंदुत्ववादी समूहों द्वारा वृंदावन स्थित प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में काम करने वाले मुस्लिमों के बहिष्कार की मांग को मंदिर प्रशासन ने खारिज कर दिया है। इस मंदिर में देवताओं के लिए मुकुट, वस्त्र और मालाएं मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाई जाती हैं।

वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर ने पहलगाम हमले के बाद मंदिर में कार्यरत मुस्लिम कर्मचारियों के बहिष्कार की हिंदुत्ववादी संगठनों की मांग को अस्वीकार कर दिया है।
रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर के पुजारी और प्रशासनिक समिति के सदस्य ज्ञानेंद्र किशोर गोस्वामी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि यह कदम व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि मंदिर के संचालन में मुसलमानों की प्रमुख भूमिका है। अखबार के हवाले से द वायर ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित की।
गोस्वामी ने अखबार को बताया, "यह व्यावहारिक नहीं है। मुसलमानों, खासतौर पर कारीगरों और बुनकरों का यहां काफी योगदान है। उन्होंने दशकों से बांके बिहारी के कपड़े बुनने में अहम भूमिका निभाई है। उनमें से कई लोग बांके बिहारी में गहरी आस्था रखते हैं और मंदिर भी आते हैं।"
ज्ञात हो कि इस मंदिर में देवताओं के लिए मुकुट, वस्त्र और मालाएं मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाई जाती हैं। मुस्लिम समुदाय के संगीतकार विशेष अवसरों पर पारंपरिक वाद्य यंत्र ‘नफीरी’ भी बजाते हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले, मार्च महीने में भी मंदिर के पुजारियों ने उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था जिसमें भगवान के लिए मुस्लिम बुनकरों द्वारा बनाए गए कपड़े खरीदने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। यह घोषणा श्रीकृष्ण जन्मभूमि संघर्ष न्यास के अध्यक्ष दिनेश शर्मा द्वारा मंदिर प्रशासन को ज्ञापन सौंपे जाने के बाद की गई थी।
अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, मथुरा और वृंदावन में हिंदुत्ववादी संगठनों ने हिंदू दुकानदारों और तीर्थयात्रियों से मुस्लिमों का बहिष्कार करने का आग्रह किया था। इन संगठनों ने मुस्लिम दुकानदारों से कहा कि वे अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर मालिक का नाम स्पष्ट रूप से लिखें।
यह विवाद जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले की प्रतिक्रिया स्वरूप सामने आया है। इस हमले में 26 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। बताया गया कि कुछ आतंकवादियों ने लोगों से गोली मारने से पहले पूछा था कि क्या वे हिंदू हैं। इस घटना ने पहले से ही ध्रुवीकृत समाज में सांप्रदायिक तनाव को और भड़का दिया है।
इस विषय पर मंदिर के पुजारी गोस्वामी ने कहा कि पहलगाम की घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए और मंदिर प्रशासन सरकार के साथ है। लेकिन वृंदावन में हिंदू और मुसलमान शांति और सद्भाव के साथ रहते हैं।
निखिल अग्रवाल और जावेद अली की दुकानें एक-दूसरे के बगल में हैं। अखबार ने निखिल के हवाले से बताया कि दोनों के बीच कभी कोई परेशानी नहीं रही और वे अक्सर एक-दूसरे की मदद करते हैं।
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रिपोर्ट के अनुसार, मंदिर के पुजारी और प्रशासनिक समिति के सदस्य ज्ञानेंद्र किशोर गोस्वामी ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि यह कदम व्यावहारिक नहीं है, क्योंकि मंदिर के संचालन में मुसलमानों की प्रमुख भूमिका है। अखबार के हवाले से द वायर ने इस रिपोर्ट को प्रकाशित की।
गोस्वामी ने अखबार को बताया, "यह व्यावहारिक नहीं है। मुसलमानों, खासतौर पर कारीगरों और बुनकरों का यहां काफी योगदान है। उन्होंने दशकों से बांके बिहारी के कपड़े बुनने में अहम भूमिका निभाई है। उनमें से कई लोग बांके बिहारी में गहरी आस्था रखते हैं और मंदिर भी आते हैं।"
ज्ञात हो कि इस मंदिर में देवताओं के लिए मुकुट, वस्त्र और मालाएं मुस्लिम कारीगरों द्वारा बनाई जाती हैं। मुस्लिम समुदाय के संगीतकार विशेष अवसरों पर पारंपरिक वाद्य यंत्र ‘नफीरी’ भी बजाते हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले, मार्च महीने में भी मंदिर के पुजारियों ने उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया था जिसमें भगवान के लिए मुस्लिम बुनकरों द्वारा बनाए गए कपड़े खरीदने पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। यह घोषणा श्रीकृष्ण जन्मभूमि संघर्ष न्यास के अध्यक्ष दिनेश शर्मा द्वारा मंदिर प्रशासन को ज्ञापन सौंपे जाने के बाद की गई थी।
अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, मथुरा और वृंदावन में हिंदुत्ववादी संगठनों ने हिंदू दुकानदारों और तीर्थयात्रियों से मुस्लिमों का बहिष्कार करने का आग्रह किया था। इन संगठनों ने मुस्लिम दुकानदारों से कहा कि वे अपने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर मालिक का नाम स्पष्ट रूप से लिखें।
यह विवाद जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले की प्रतिक्रिया स्वरूप सामने आया है। इस हमले में 26 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। बताया गया कि कुछ आतंकवादियों ने लोगों से गोली मारने से पहले पूछा था कि क्या वे हिंदू हैं। इस घटना ने पहले से ही ध्रुवीकृत समाज में सांप्रदायिक तनाव को और भड़का दिया है।
इस विषय पर मंदिर के पुजारी गोस्वामी ने कहा कि पहलगाम की घटना के लिए जिम्मेदार लोगों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए और मंदिर प्रशासन सरकार के साथ है। लेकिन वृंदावन में हिंदू और मुसलमान शांति और सद्भाव के साथ रहते हैं।
निखिल अग्रवाल और जावेद अली की दुकानें एक-दूसरे के बगल में हैं। अखबार ने निखिल के हवाले से बताया कि दोनों के बीच कभी कोई परेशानी नहीं रही और वे अक्सर एक-दूसरे की मदद करते हैं।
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