'BJP ने सनातन धर्म को ठगने का काम किया इसलिए वाराणसी से मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे संत'

Written by sabrang india | Published on: April 24, 2019
सनातन धर्म एवं हिंदुत्व का राग अलापने वाली भारतीय जनता पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धर्म की नगरी वाराणसी में लगातार लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में नाराज संत समाज ने लोकसभा 2019 के चुनाव में खुद ही ताल ठोक दी है। एक दो नहीं बल्कि 5 संतों ने एक साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है। संतों की मानें तो हिंदुत्व का राग अलापने वाली भारतीय जनता पार्टी ने अपने 5 साल कार्यकाल के दौरान सनातन धर्म को ठगने का काम किया है। संतों का कहना है कि अब संतों द्वारा नरेंद्र मोदी को वाराणसी से हराकर उन्हें सबक सिखाया जाएगा। 



धर्म की नगरी वाराणसी स्थित शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के विद्यापीठ में शंकराचार्य के शिष्य अभिमुक्तेश्वरानंद ने अखिल भारतीय रामराज्य परिषद् के बैनर तले 5 प्रत्याशी पीएम मोदी के खिलाफ मैदान में उतार दिए हैं, जिसमें मुख्य अखिल प्रत्याशी भारतीय संत परिषद् के राष्ट्रीय संयोजक और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से चार बार गोल्ड मेडलिस्ट वेदान्ताचार्य ‘श्री भगवान्’ वेदान्ताचार्य को बनाया है। इसके अलावा अखिल भारतीय रामराज्य परिषद् ने डमी केंडिडेट के रूप में 4 प्रत्याशियों महाराज मणिशरण ‘सनातन’ महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी पद्मनाभषरण महाराज, नीलम दुबे और सावित्री पाण्डेय की घोषणा की है।

आपको बता दें कि 22 अप्रैल से सातवें चरण के लिए नामांकन भरे जा रहे हैं और 22 अप्रैल को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वाराणसी में टक्कर देने के लिए संघ समाज ने अपने इन प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है यही नहीं प्रत्याशियों के नाम की घोषणा से पहले संत समाज ने हिंदू घोषणा पत्र भी जारी किया जिसमें सनातन धर्म के अनुसार गौरक्षा राम मंदिर और बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में चल रहे कॉरिडोर के काम के दौरान तोड़े जा रहे मंदिरों का मुद्दा उठाया गया है। 

पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने को लेकर शंकराचार्य के शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अखिल भारतीय रामराज्य परिषद् की तरफ से प्रत्याशियों की घोषणा की गयी है। विद्वत सम्मेलन में शामिल हुए महासमिति के सदस्यों ने मंत्रणा के बाद प्रत्याशियों की घोषणा की गयी है। 5 प्रत्याशियों में से 4 डमी प्रत्याशी के साथ एक मुख्य प्रत्याशी ‘श्री भगवान्’ वेदान्ताचार्य को घोषित किया गया है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बीजेपी सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि सनातन धर्मियों की संख्या 100 करोड़ है लेकिन हमारी सरकार किसी भी प्रकार से ध्यान नहीं दे रही। कांग्रेस की सरकार पहले थी वो तुष्टिकरण की राजनीति करती थी इसलिए उन्हें पिछले चुनाव में त्याग के भाजपा को चुना गया क्योंकि इन्होंने कहा था कि हम हिन्दू हित के पैरोकार हैं। इन्हें मौक़ा दिया गया पर इन्होंने कोई कार्य नहीं किया। हमारी गाय कटती रही, हमारी गंगा गन्दी ही रही और हमारे भगवान् श्रीराम का मंदिर नहीं बना। इससे हमें लगा कि अब सनातन धर्मियों के उत्थान के लिए हमें आगे आना होगा इसलिए हम लोगों ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है। इसके अलावा उन्होंने राम मंदिर का कोई विकास नहीं किया। बस कहते रहे कि राम लाला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे। इसके अलावा उन्होंने काशी के विकास के नाम पर श्री काशी विश्वनाथ के आस पास कई प्राचीन मंदिरों को तोड़ा और कहा कि बाबा विश्वनाथ सांस नहीं ले पा रहे थे। हम लोगों ने आवाज़ उठाई तो हमारी भी सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने जो हिन्दुओं के दिल पर जो हथौड़ा चलाया उसके विरुद्ध ये प्रतीकात्मक लड़ाई है।



उन्होंने बताया कि संत समाज के प्रत्याशी 25 अप्रैल को अभिजीत मुहर्त में नामांकन करेंगे। इस नामंकन में पूरे भारत के साधू संत इकठ्ठा होंगे और इस नामांकन और चुनाव को सफल बनाएंगे। संत समाज की ओर से आजादी के बाद से बनी सभी सरकारों से नाराजगी थी। इसलिए उन्होंने अपना कैंडिडेट मैदान में उतारा। आपको बता दें कि अखिल भारतीय राम राज्य परिषद भारत की एक परम्परावादी हिन्दू पार्टी थी। इसकी स्थापना स्वामी करपात्री ने सन् 1948 में की थी। इस दल ने सन् 1952 के प्रथम लोकसभा चुनाव में 3 सीटें प्राप्त की थीं। सन् 1952, 1957 एवम् 1962 के विधानसभा चुनावों में हिन्दी क्षेत्रों (मुख्यत: राजस्थान) में इस दल ने दर्जनों सीटें हासिल की थी।

संत समाज के द्वारा वाराणसी में अपने प्रत्याशी उतारे जाने को लेकर बीजेपी में खलबली मची हुई है क्योंकि हिंदुत्व के नाम पर भारतीय जनता पार्टी के द्वारा वाराणसी के साथ-साथ पूर्वांचल में वोटों का ध्रुवीकरण किया जाता था। वर्ष 2019 के चुनाव में भी कई दफा यह देखा जा चुका है कि हिंदू मुस्लिम के नाम पर राजनैतिक दल ध्रुवीकरण कर एक समुदाय का वोट बैंक अपने पक्ष में कर लेते हैं ऐसे में भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका मिला है।

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