राजस्थान रामदेवरा मंदिर मामला : दलित युवक को तिलक लगाने से रोकने पर सामाजिक संगठनों में नाराजगी

Written by sabrang india | Published on: March 17, 2025
दलित युवक ने रामदेवरा समाधि स्थल पर तिलक लगाने की जब मांग की तो पुजारी ने उसे तिलक लगाने से रोक दिया।


साभार : द मूकनायक

देश भर में जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न की घटनाएं थमने का नाम ने ले रही हैं। राजस्थान में हाल ही में जैसलमेर जिले में स्थित रामदेवरा मंदिर में Sk दलित युवक को तिलक लगाने से रोकने का मामला सामने आया है जिससे समाज में बेहद नाराजगी है। इस घटना का वीडियो वायरल होने पर दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के संगठन नाराज हैं।

द मूकनायक की रिपोर्ट के अनुसार इस मामले को लेकर संवैधानिक विचार मंच के संस्थापक और दलित एक्टिविस्ट गीगराज जोड़ली ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने द मूकनायक से कहा, "राजस्थान सामंती सोच का गढ़ रहा है। यहां दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के साथ रोजाना भेदभाव और छुआछूत की घटनाएं होती रहती हैं। रामदेवरा मंदिर में हुई यह घटना भी इसी मानसिकता का परिणाम है।"

गीगराज जोड़ली ने कहा कि राजस्थान में जातिगत भेदभाव की घटनाएं सामने आती रही हैं। इन घटनाओं में शादी के दौरान दलित दूल्हों को घोड़ी चढ़ने से रोकना, गांवों में दलितों के बाल न काटना, कालबेलिया समुदाय के लोगों को अपने परिजनों का अंतिम संस्कार घर के अंदर करने के लिए मजबूर होना शामिल हैं। कुछ गांवों में दलितों को ऊंची जातियों के घरों के सामने से जूते-चप्पल हाथ में लेकर गुजरना, दलितों की जमीनों पर अवैध कब्जे के मामले सामने आए हैं।

उन्होंने आगे कहा कि देश में संविधान लागू होने के बाद दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग पढ़ लिख कर अपने अधिकारों की मांग कर रहा है लेकिन सामंती मानसिकता के लोग इस बदलाव को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए इस तरह की घटनाएं लगातार हो रही हैं।

इस घटना को गीगराज जोड़ली ने संविधान की मूल भावना पर हमला बताया है। उन्होंने कहा कि, "हमारी लड़ाई मंदिर जाने की नहीं बल्कि संवैधानिक समता के मूल्यों को स्थापित करने की है। बाबा साहेब ने भी 2 मार्च 1930 को नासिक के कालाराम मंदिर में प्रवेश के लिए सत्याग्रह किया था। उनका उद्देश्य केवल मंदिर में प्रवेश पाना नहीं, बल्कि हिंदू धर्म में समानता स्थापित करना था।"

उन्होंने कहा कि, "रामदेवरा मंदिर पर विशेष परिवार का कब्जा है, जो सामंती मानसिकता से ग्रसित है। ये परिवार श्रद्धालुओं के दान और चढ़ावे से ऐशो-आराम का जीवन जीता है, जबकि शोषित और पीड़ित वर्ग को मंदिर में समान अधिकार तक नहीं दिए जाते।"

गीगराज जोड़ली ने मांग की कि रामदेवरा समाधि स्थल को सरकार अपने अधीन ले और दान में मिलने वाली राशि का इस्तेमाल जनकल्याण के कार्यों में किया जाए। उन्होंने सुझाव दिया कि इस धनराशि का इस्तेमाल अस्पताल, छात्रावास, कोचिंग संस्थान, अंग प्रत्यारोपण, बालिका शिक्षा और भेदभाव उन्मूलन कार्यक्रमों में किया जाना चाहिए।

आंदोलन की चेतावनी

रामदेवरा मंदिर की घटना को लेकर गीगराज जोड़ली ने कहा कि सरकार को तत्काल मंदिर के पुजारी को गिरफ्तार करना चाहिए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, "हर साल भाद्रपद दूज से दशमी तक लगभग एक करोड़ श्रद्धालु रामदेवरा आते हैं, जिनमें 85-90% अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग होते हैं। अगर इनकी भावनाएं आहत हुईं, तो यह श्रद्धा का सैलाब आंदोलन का रूप ले सकता है। ऐसी स्थिति में सरकार के लिए व्यवस्थाएं संभालना मुश्किल हो जाएगा।"

उन्होंने आगे कहा, "अगर सरकार हमारी मांगों पर ध्यान नहीं देती है तो हम बड़ा आंदोलन करेंगे। हमारा संघर्ष जारी रहेगा और सरकार को घुटनों के बल आने पर मजबूर कर देंगे।"

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