चैंबर के महासचिव साजी नंथियाट्टू ने बताया कि केरल महिला आयोग की अध्यक्ष के नेतृत्व में एक निगरानी समिति है, जो यह सुनिश्चित करती है कि आईसीसी मानदंडों के अनुसार काम कर रही है।
कार्यस्थल पर उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों की रिपोर्ट करने को लेकर केरल फिल्म कर्मचारी संघ (एफईएफकेए) द्वारा महिलाओं की सहायता के लिए शुरू की गई हेल्पलाइन नंबर के विरोध में केरल फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स (केएफसीसी) ने सरकार और केरल महिला आयोग के सामने याचिका लगाई है।
अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, मलयालम फिल्म उद्योग की शीर्ष संस्था ने कहा कि संघ के पास ऐसा हेल्पलाइन नंबर जारी करने का कोई कानूनी आधार नहीं है, क्योंकि कार्यस्थल पर उत्पीड़न से संबंधित शिकायतें प्रत्येक फिल्म स्थान पर स्थापित आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के समक्ष दर्ज करानी होती हैं।
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, चैंबर के महासचिव साजी नंथियाट्टू ने बताया कि केरल महिला आयोग की अध्यक्ष के नेतृत्व में एक निगरानी समिति है, जो यह सुनिश्चित करती है कि आईसीसी मानदंडों के अनुसार काम कर रही है। उन्होंने बताया कि निगरानी समिति में मलयालम सिनेमा में विभिन्न फिल्म निकायों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जिसमें वीमेन इन सिनेमा कलेक्टिव भी शामिल है।
चैंबर के प्रतिनिधि ने कहा कि एफईएफकेए ने हेल्पलाइन नंबर के संबंध में महिलाओं की पांच सदस्यीय कोर कमेटी बनाई है। लेकिन इस समिति को शिकायतें प्राप्त करने और कार्रवाई करने का कानूनी समर्थन नहीं है, क्योंकि ये शक्तियां आईसीसी और निगरानी समिति के पास ही हैं।
एफईएफकेए के कार्यकारी सचिव सोहन सीनूलाल ने कहा कि हेल्पलाइन नंबर का मकसद उद्योग में काम करने वाली महिलाओं को उनकी शिकायतें दर्ज कराने में मदद करना है।
उन्होंने आगे कहा कि पांच सदस्यीय कोर कमेटी उन्हें बताएगी कि नियमों के अनुसार अपनी शिकायतों को कैसे आगे बढ़ाया जाए। वे पीड़ित व्यक्तियों को परामर्श या अन्य संबंधित सहायता प्राप्त करने में भी मदद करेंगे।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर के जरिए महिलाएं यौन उत्पीड़न, ड्रेसिंग रूम और बुनियादी सुविधाओं में गोपनीयता की कमी और सेट पर और पोस्ट-प्रोडक्शन के दौरान भोजन परोसने में भेदभाव सहित अन्य मुद्दों को लेकर शिकायत कर सकती हैं।
एफईएफकेए के महासचिव उन्नीकृष्णन बी. ने कहा कि फेडरेशन की महिलाओं की कोर कमेटी द्वारा यह हेल्पलाइन शुरू की गई है। अपनी शिकायतें एसएमएस या वॉट्सऐप मैसेज के जरिए दर्ज की जा सकती हैं।
उन्होंने आगे कहा, “अभिनेताओं और तकनीशियनों सहित महिलाओं द्वारा की गई शिकायतों को पूरी तरह से कोर कमेटी द्वारा संभाला जाएगा और उनकी गोपनीयता का ध्यान रखा जाएगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि हेल्पलाइन पारिश्रमिक से संबंधित शिकायतों से नहीं निपटेगी क्योंकि उन्हें ट्रेड यूनियन द्वारा संभाला जाएगा।
ज्ञात हो कि पिछले महीने जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट आने के बाद केरल के मलयालम फिल्म उद्योग में कई नामी हस्तियों और फिल्मकारों पर यौन अपराधों के आरोप लगे हैं।
फिल्म निर्देशक रंजीत पर यौन शोषण का आरोप लगने के बाद मामले दर्ज किया गया। इसके चलते उन्हें केरल चलचित्र अकादमी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कोट्टायम जिले के पोनकुन्नम में कोल्लम की एक महिला के बयान के आधार पर पुलिस ने यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया। पुलिस के अनुसार, एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा 506 (आपराधिक धमकी), 354 ए (शारीरिक संपर्क या अवांछित और स्पष्ट रूप से यौन संबंध, यौन संबंधों की मांग या अनुरोध) और 354 डी (पीछा करना) के तहत दर्ज की गई है।
एक अधिकारी के अनुसार, “यह घटना कथित तौर पर 2014 में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान पोनकुन्नम के एक लॉज में हुई थी। हेमा समिति की रिपोर्ट में घटना का उल्लेख किए जाने के बाद पुलिस ने पीड़िता से संपर्क किया, जो कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार थी। इसलिए, हमने उसका बयान दर्ज किया और मामले की जांच एसआईटी द्वारा की जाएगी।”
कार्यस्थल पर उत्पीड़न से संबंधित शिकायतों की रिपोर्ट करने को लेकर केरल फिल्म कर्मचारी संघ (एफईएफकेए) द्वारा महिलाओं की सहायता के लिए शुरू की गई हेल्पलाइन नंबर के विरोध में केरल फिल्म चैंबर ऑफ कॉमर्स (केएफसीसी) ने सरकार और केरल महिला आयोग के सामने याचिका लगाई है।
अंग्रेजी अखबार द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, मलयालम फिल्म उद्योग की शीर्ष संस्था ने कहा कि संघ के पास ऐसा हेल्पलाइन नंबर जारी करने का कोई कानूनी आधार नहीं है, क्योंकि कार्यस्थल पर उत्पीड़न से संबंधित शिकायतें प्रत्येक फिल्म स्थान पर स्थापित आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) के समक्ष दर्ज करानी होती हैं।
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार, चैंबर के महासचिव साजी नंथियाट्टू ने बताया कि केरल महिला आयोग की अध्यक्ष के नेतृत्व में एक निगरानी समिति है, जो यह सुनिश्चित करती है कि आईसीसी मानदंडों के अनुसार काम कर रही है। उन्होंने बताया कि निगरानी समिति में मलयालम सिनेमा में विभिन्न फिल्म निकायों के प्रतिनिधि शामिल हैं, जिसमें वीमेन इन सिनेमा कलेक्टिव भी शामिल है।
चैंबर के प्रतिनिधि ने कहा कि एफईएफकेए ने हेल्पलाइन नंबर के संबंध में महिलाओं की पांच सदस्यीय कोर कमेटी बनाई है। लेकिन इस समिति को शिकायतें प्राप्त करने और कार्रवाई करने का कानूनी समर्थन नहीं है, क्योंकि ये शक्तियां आईसीसी और निगरानी समिति के पास ही हैं।
एफईएफकेए के कार्यकारी सचिव सोहन सीनूलाल ने कहा कि हेल्पलाइन नंबर का मकसद उद्योग में काम करने वाली महिलाओं को उनकी शिकायतें दर्ज कराने में मदद करना है।
उन्होंने आगे कहा कि पांच सदस्यीय कोर कमेटी उन्हें बताएगी कि नियमों के अनुसार अपनी शिकायतों को कैसे आगे बढ़ाया जाए। वे पीड़ित व्यक्तियों को परामर्श या अन्य संबंधित सहायता प्राप्त करने में भी मदद करेंगे।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जारी किए गए हेल्पलाइन नंबर के जरिए महिलाएं यौन उत्पीड़न, ड्रेसिंग रूम और बुनियादी सुविधाओं में गोपनीयता की कमी और सेट पर और पोस्ट-प्रोडक्शन के दौरान भोजन परोसने में भेदभाव सहित अन्य मुद्दों को लेकर शिकायत कर सकती हैं।
एफईएफकेए के महासचिव उन्नीकृष्णन बी. ने कहा कि फेडरेशन की महिलाओं की कोर कमेटी द्वारा यह हेल्पलाइन शुरू की गई है। अपनी शिकायतें एसएमएस या वॉट्सऐप मैसेज के जरिए दर्ज की जा सकती हैं।
उन्होंने आगे कहा, “अभिनेताओं और तकनीशियनों सहित महिलाओं द्वारा की गई शिकायतों को पूरी तरह से कोर कमेटी द्वारा संभाला जाएगा और उनकी गोपनीयता का ध्यान रखा जाएगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि हेल्पलाइन पारिश्रमिक से संबंधित शिकायतों से नहीं निपटेगी क्योंकि उन्हें ट्रेड यूनियन द्वारा संभाला जाएगा।
ज्ञात हो कि पिछले महीने जस्टिस हेमा समिति की रिपोर्ट आने के बाद केरल के मलयालम फिल्म उद्योग में कई नामी हस्तियों और फिल्मकारों पर यौन अपराधों के आरोप लगे हैं।
फिल्म निर्देशक रंजीत पर यौन शोषण का आरोप लगने के बाद मामले दर्ज किया गया। इसके चलते उन्हें केरल चलचित्र अकादमी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, कोट्टायम जिले के पोनकुन्नम में कोल्लम की एक महिला के बयान के आधार पर पुलिस ने यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया। पुलिस के अनुसार, एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा 506 (आपराधिक धमकी), 354 ए (शारीरिक संपर्क या अवांछित और स्पष्ट रूप से यौन संबंध, यौन संबंधों की मांग या अनुरोध) और 354 डी (पीछा करना) के तहत दर्ज की गई है।
एक अधिकारी के अनुसार, “यह घटना कथित तौर पर 2014 में एक फिल्म की शूटिंग के दौरान पोनकुन्नम के एक लॉज में हुई थी। हेमा समिति की रिपोर्ट में घटना का उल्लेख किए जाने के बाद पुलिस ने पीड़िता से संपर्क किया, जो कानूनी कार्रवाई के लिए तैयार थी। इसलिए, हमने उसका बयान दर्ज किया और मामले की जांच एसआईटी द्वारा की जाएगी।”