ओडिशा में एक महिला ने बेहतर देखरेख के लिए अपने पोते को 200 रुपये में एक दंपति को बेच दिया

Written by sabrang india | Published on: March 21, 2025
गरीबी से जूझ रही एक बुजुर्ग महिला ने अपने 7 वर्षीय पोते को 200 रुपये में एक दंपति को बेच दिया, इस उम्मीद में कि वे उसकी देखभाल कर सकेंगे। पुलिस ने बच्चे को बचाया, जो अब बाल देखभाल गृह में है।


फोटो साभार : सोशल मीडिया एक्स

ओडिशा में एक बुजुर्ग महिला ने अपने सात साल के पोते को 200 रुपये में बेच दिया क्योंकि वह अब उसकी देखरेख नहीं कर सकती थी। एक बाल संरक्षण अधिकारी ने मीडिया को बताया। इस घटना ने बडलिया गांव के स्थानीय लोगों को झकझोर दिया और पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की, जिसके बाद बच्चे को रेस्क्यू किया गया और बाल देखभाल गृह भेज दिया।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, मंद सोरेन नाम की महिला ने कथित तौर पर बच्चे को एक अज्ञात दंपति को सौंप दिया, यह सोचते हुए कि वे उसे खानपान, रहने की जगह और शिक्षा देंगे।

पुलिस ने कहा कि 65 वर्षीय सोरेन बेघर थी। उसके पास कोई जमीन नहीं थी और उसे कोई सरकारी सहायता नहीं मिल रही थी। उसके पति की कई साल पहले मृत्यु हो गई थी, उसका बेटा लापता था, और उसकी बहू की कोविड-19 महामारी के दौरान मृत्यु हो गई थी।

कोई सहारा न मिलने पर सोरेन रायपाल गांव में अपनी बहन के घर चली गईं, जहां उन्होंने अपने पोते की देखभाल के लिए भीख मांगना शुरू कर दिया। जब उनकी तबीयत खराब होने लगी, तो उन्हें अपने बच्चे की देखभाल करने में परेशानी होने लगी, जिसके कारण उन्हें बच्चे को किसी और को देना पड़ा।

एक स्थानीय पंचायत सदस्य ने अधिकारियों को बताया और पुलिस ने इस पर कार्रवाई की। बच्चे को थाने लाया गया, जहां बाल संरक्षण विभाग और रसगोविंदपुर बाल विकास परियोजना कार्यालय के अधिकारियों ने परिवार से मुलाकात की।

जांच के बाद, एक बाल संरक्षण अधिकारी ने कहा, "हमें पता चला कि महिला ने बच्चे को पैसे के लिए नहीं बेचा था, बल्कि उसे बेहतर देखरेख के लिए एक जोड़े को दे दिया था, क्योंकि वह अब उसके पालन-पोषण का बोझ नहीं उठा सकती थी।"

बच्चे को बाल कल्याण समिति की देखरेख में रखा गया है और अब वह बारीपदा में एक बाल संरक्षण केंद्र में है।

अधिकारियों ने कहा कि स्थानीय लोगों ने सरकार से सोरेन को पेंशन लाभ और आवास सहायता देने का आग्रह किया है।

यह कोई अकेली घटना नहीं है जब महिला बेहतर देखभाल के लिए बच्चे को बेच रही हो। बीते साल मई महीने में इसी तरह की खबर सामने आई थी। त्रिपुरा में 37 वर्षीय आदिवासी महिला को भारी गरीबी के कारण अपनी नवजात बच्ची को बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा था।

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, गंडाचेरा उपखंड के ताराबन कॉलोनी की मोरमती (39) ने घर पर एक बेटी को जन्म दिया। अगले दिन उसने अपने पति की पांच महीने पहले हुई मौत के बाद भारी गरीबी का हवाला देते हुए बच्चे को 5,000 रुपये में हेजामारा के एक दंपति को बेच दिया। यह रिपोर्ट पीटीआई ने उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) अरिंदम दास के हवाले से दी थी।

बताया गया कि महिला के पति ने आत्महत्या कर ली थी। पति की मौत के समय वह गर्भवती थी।

टीओआई के अनुसार, उसने चार बच्चों के परिवार को चलाने के लिए अपने परिवार के राशन कार्ड को गिरवी रख दिया था।

वह अबॉर्शन कराना चाहती थी और एक डॉक्टर से इसके बारे में मशविरा किया, जिसने उसे ऐसा न करने की सलाह दी। डॉक्टर ने उसे जो भी दवाइयां चाहिए थीं, उन्हें देकर उसकी मदद की।

हालांकि, बच्चे को जन्म देने के बाद, मां ने गरीबी के कारण बच्चे को एक दंपति को बेचने का फैसला किया।

वहीं, साल 2023 में गरीबी से जूझ रही ओडिशा की एक आदिवासी महिला ने अपनी दूसरी बेटी के जन्म से दुखी होकर अपनी आठ महीने की बेटी को महज 800 रुपये में एक दंपति को बेच दिया था।

महिला की पहचान करमी मुर्मू के रूप में हुई, जो मयूरभंज जिले के खूंटा की रहने वाली थी।

पुलिस ने बताया था कि करमी के पति को इस घटना की जानकारी नहीं थी, क्योंकि वह तमिलनाडु में दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम कर रहा था।

पुलिस के अनुसार, करमी कथित तौर पर अपनी दूसरी बेटी के जन्म से नाखुश थी और उसने अपनी पड़ोसी माही मुर्मू से बेटी के पालन-पोषण को लेकर चिंता जताई थी, जिन्होंने सौदा करके बच्ची के लिए खरीदार का प्रबंध किया।

सौदा तय होने के बाद करमी ने आठ महीने के बच्चे को बिप्रचरणपुर गांव के फुलमनी और अखिल मरांडी नामक दंपति को 800 रुपये में बेच दिया।

जब बच्ची के पिता मुसु मुर्मू तमिलनाडु से घर लौटे और अपनी दूसरी बेटी के बारे में पूछा, तो उसकी पत्नी ने कहा कि उसकी मौत हो गई, जबकि उसके पड़ोसियों ने उन्हें बेचे जाने के बारे में बताया।

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