मेक इन इंडिया के नाम पर दागी कंपनी को प्रमोट कर रही मोदी सरकार

Written by Girish Malviya | Published on: December 26, 2018
अडानी ग्रुप ने रक्षा उत्पादों से जुड़ी एक कंपनी अल्फा डिजाइन में 400 करोड़ का एक बड़ा स्टेक खरीदा है वैसे अडानी जैसे बड़े ग्रुप के लिए यह कोई खास बात नही है बताया जाता है कि अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज के पास डिफेंस से जुड़े काफी सारे ऑर्डर है और इसके भारत को हथियारों की सप्लाई करने वाली रूस और इजरायल की बड़ी कंपनियों के साथ टाई-अप हैं



वैसे अडानी ग्रुप का अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज के साथ संबंध 2016 से है उस समय अडानी ग्रुप ने डिफेंस बिजनेस में अपने प्रवेश की घोषणा करते हुए देश में अनमैन्ड एयरक्राफ्ट सिस्टम्स (UAS) बनाने के लिए एल्बिट-ISTAR और अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज के साथ एमओयू की जानकारी दी थी ..... उस समय मनु पबि ने इकनॉमिक टाईम्स में छपे अपने लेख में बताया था कि यह अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज उस इतालवी डिफेंस फर्म इलेटट्रॉनिका की मुख्य भारतीय साझेदार भी है, जिसका नाम भारत में कथित तौर पर कमीशन खिलाने के लिए 'पनामा पेपर्स' में सामने आया है । रिपोर्ट्स में कहा गया था कि इतालवी डिफेंस फर्म ने भारत में रक्षा क्षेत्र के ठेकों के लिए 5% से 17% तक कमीशन देने के एग्रीमेंट्स किए थे

इन सब तथ्यों को जानने के बाद मोदीजी के संकटमोचक माने जाने वाले अडानी का एक बड़ा इन्वेस्टमेंट इस दागी कम्पनी में किया जाना बड़े सवाल खड़े करता है ओर सबसे बड़ी बात तो यह है कि इस अल्फा डिजाइन की पेरेंट कंपनी ब्रिटेन की सी एंड सी अल्फा ग्रुप है जिसके मालिक है भानु चौधरी, ओर भानु चौधरी के पिता सुधीर चौधरी हथियारों का मशहूर सौदागर है ओर सीबीआई ने उसका नाम यूसीएम (अनडिजायरेबल कांटेक्ट मैन) यानि संपर्क के लिहाज से अवांछित व्यक्तियों की सूची में डाल रखा है 'सुधीर चौधरी ने विदेशों में बहुत सारे फर्जी फर्म्स खोल रखी हैं ओर ये सारी फर्म्स टैक्स हैवेन्स में रजिस्टर्ड करा रखी है

लंदन बेस्ड सुधीर चौधरी का नाम 2006-07 में बराक मिसाइल घोटाले में सामने आया था उसके बाद ब्रिटिश अखबार 'द गार्जियन' और बीबीसी ने सयुंक्त रूप से जारी अपनी रिपोर्ट में बताया कि ब्रिटिश रक्षा कंपनी रॉल्स रॉयस ने भारत में हॉक एयरक्राफ्ट के इंजन का सौदा पाने के लिए एक बिचौलिये सुधीर चौधरी को पैसे दिए गए. रॉल्स रॉयस ने 10 मिलियन पाउंड यानी आज के हिसाब से करीब आठ सौ करोड़ रुपये का सीक्रेट भुगतान आर्म्स डीलर सुधीर चौधरी को किया था

सुधीर चौधरी को भारत सरकार ब्लैकलिस्ट कर चुकी है. 2014 में सुधीर चौधरी को ब्रिटेन में गिरफ्तार भी किया गया था लेकिन सबूतों के अभाव में इन्हें छोड़ दिया गया दरअसल सुधीर चौधरी जैसे आर्म्स डीलरों के नेताओं एवं नौकरशाहों से बहुत बेहतर संबंध होते हैं क्रिश्चियन मिशेल जिसे अभी प्रत्यर्पण के जरिए भारत लाया गया है उसकी हैसियत सुधीर चौधरी के सामने कुछ भी नही है यदि चौधरी शार्क है तो मिशेल बहुत छोटी सी मछली है

ब्रिटेन में चौधरी की अल्फा ग्रुप की कम्पनियों ने 2004 से 2014 के बीच वहाँ के राजनीतिक दल को 13 करोड़ पाउंड से ज़्यादा दान दिया.इसमें साल 2010 में 4 लाख पाउंड से ज़्यादा दी गई डोनेशन भी शामिल है, जो उस साल लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी को मिले कुल पैसे में 8.5 फ़ीसदी था. उस साल ब्रिटेन में चुनाव हुए थे.ख़ुद सुधीर चौधरी और भानु चौधरी ने लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी को इन 10 साल में क़रीब 1.85 लाख पाउंड दिए.बहुत संभव है कि इन कम्पनियों के जरिए भारतीय राजनीतिक दलों को भी चन्दा दिया गया हो

वैसे कमाल की बात तो यह भी है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने भी अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज के नेतृत्व में कुछ निजी संस्थानो के साथ एक कंसोर्टियम बना कर तीन साल के समझौते पर हस्ताक्षर किया था जिसमें यह कंसोर्टियम 1.5-3 टन उपग्रहों का निर्माण करेगा …इसरो के शीर्ष वैज्ञानिकों का कहना था कि हमारी इन-हाउस क्षमता सीमित है। इसलिए हम निजी क्षेत्र में 30-40% काम को ऑफलोड करना चाहते हैं'

यानी मेक इन इंडिया के नाम पर एक ऐसी दागी कम्पनी को प्रमोट किये जा रहा है जिसकी पेरेंट्स कम्पनी का नाम भारतीय अधिकारियों को घूस खिलाने में पनामा पेपर्स में आता है, जिन कम्पनियों का संबंध एक ब्लैक लिस्टेड हथियार दलाल से रहा है ऐसी कम्पनी में प्रधानमंत्री मोदी के सबसे नजदीकी उद्योगपति का एक बड़ा हिस्सा खरीद रहे हैं उसे देश के गौरव कहे जाने वाले इसरो से सौदे दिलवाए जा रहे हैं

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