आईएफजे के अनुसार, इस साल दुनियाभर में कम से कम 375 पत्रकारों को उनके काम के चलते गिरफ़्तार किया गया है।
यूक्रेन में रूस के युद्ध, हैती में अराजकता और मेक्सिको में आपराधिक समूहों की बढ़ती हिंसा के चलते वर्ष 2022 में रिपोर्टिंग के दौरान जान गंवाने वाले मीडियाकर्मियों की संख्या में काफ़ी वृद्धि हुई है। शुक्रवार को जारी एक नयी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
ब्रसेल्स स्थित अंतरराष्ट्रीय पत्रकार संघ (आईएफजे) द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल दुनियाभर में अब तक कम से कम 67 पत्रकार और मीडियाकर्मी मारे जा चुके हैं, जबकि पिछले साल यह संख्या 47 थी।
आईएफजे के अनुसार, इस साल दुनियाभर में कम से कम 375 पत्रकारों को उनके काम के चलते गिरफ़्तार किया गया है। हांगकांग, म्यांमा और तुर्किये में सबसे ज़्यादा संख्या में पत्रकारों को सलाखों के पीछे धकेला गया है। पिछले साल काम के चलते गिरफ़्तार किए जाने वाले पत्रकारों की 365 बताई गई थी।
काम के दौरान जान गंवाने वाले मीडियाकर्मियों की संख्या में वृद्धि के मद्देनज़र आईएफजे और अन्य मीडिया अधिकार समूहों ने सरकारों से पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्र पत्रकारिता सुनिश्चित करने के लिए अधिक ठोस क़दम उठाने का आह्वान किया है।
आईएफजे महासचिव एंथोनी बेलंगर ने एक बयान में कहा, ‘‘मीडियाकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफलता केवल उन लोगों को बढ़ावा देगी, जो सूचनाओं का मुक्त प्रवाह रोकने की कोशिश करते हैं और अपने नेताओं को जवाबदेह ठहराने की लोगों की क्षमता को कम करते हैं।’’
संगठन के अनुसार, इस वर्ष किसी भी अन्य देश की तुलना में यूक्रेन में युद्ध की रिपोर्टिंग करने वाले मीडियाकर्मियों की मौत के सबसे ज़्यादा 12 मामले दर्ज किए गए। मरने वाले मीडियाकर्मियों में अधिकतर यूक्रेनी थे, लेकिन इनमें अमेरिकी वृत्तचित्र फ़िल्म निर्माता ब्रेंट रेनॉड जैसे अन्य देशों के पत्रकार भी शामिल थे।
ज्ञात हो कि अफ़ग़ानिस्तान के कंधार प्रांत में पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की पिछले साल हत्या कर दी गई थी। अफगानिस्तान के राजदूत फरीद ममुंडजे ने इस घटना की जानकारी देते हुए कहा था कि दानिश सिद्दीकी अफ़ग़न सुरक्षा बलों के साथ एक रिपोर्टिंग असाइनमेंट कर रहे थे और उसी दौरान उनकी हत्या कर दी गई।
बता दें कि साल 2018 में दानिश सिद्दीकी को पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया था, ये अवॉर्ड उन्हें रोहिंग्या मामले में कवरेज के लिए मिला था। दानिश सिद्दीकी ने अपने करियर की शुरुआत एक टीवी जर्नलिस्ट के रूप में की थी, बाद में वह फोटो पत्रकार बन गए थे।
(न्यूज़ एजेंसी भाषा व एपी के इनपुट के साथ)
Courtesy: Newsclick
यूक्रेन में रूस के युद्ध, हैती में अराजकता और मेक्सिको में आपराधिक समूहों की बढ़ती हिंसा के चलते वर्ष 2022 में रिपोर्टिंग के दौरान जान गंवाने वाले मीडियाकर्मियों की संख्या में काफ़ी वृद्धि हुई है। शुक्रवार को जारी एक नयी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
ब्रसेल्स स्थित अंतरराष्ट्रीय पत्रकार संघ (आईएफजे) द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल दुनियाभर में अब तक कम से कम 67 पत्रकार और मीडियाकर्मी मारे जा चुके हैं, जबकि पिछले साल यह संख्या 47 थी।
आईएफजे के अनुसार, इस साल दुनियाभर में कम से कम 375 पत्रकारों को उनके काम के चलते गिरफ़्तार किया गया है। हांगकांग, म्यांमा और तुर्किये में सबसे ज़्यादा संख्या में पत्रकारों को सलाखों के पीछे धकेला गया है। पिछले साल काम के चलते गिरफ़्तार किए जाने वाले पत्रकारों की 365 बताई गई थी।
काम के दौरान जान गंवाने वाले मीडियाकर्मियों की संख्या में वृद्धि के मद्देनज़र आईएफजे और अन्य मीडिया अधिकार समूहों ने सरकारों से पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्र पत्रकारिता सुनिश्चित करने के लिए अधिक ठोस क़दम उठाने का आह्वान किया है।
आईएफजे महासचिव एंथोनी बेलंगर ने एक बयान में कहा, ‘‘मीडियाकर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफलता केवल उन लोगों को बढ़ावा देगी, जो सूचनाओं का मुक्त प्रवाह रोकने की कोशिश करते हैं और अपने नेताओं को जवाबदेह ठहराने की लोगों की क्षमता को कम करते हैं।’’
संगठन के अनुसार, इस वर्ष किसी भी अन्य देश की तुलना में यूक्रेन में युद्ध की रिपोर्टिंग करने वाले मीडियाकर्मियों की मौत के सबसे ज़्यादा 12 मामले दर्ज किए गए। मरने वाले मीडियाकर्मियों में अधिकतर यूक्रेनी थे, लेकिन इनमें अमेरिकी वृत्तचित्र फ़िल्म निर्माता ब्रेंट रेनॉड जैसे अन्य देशों के पत्रकार भी शामिल थे।
ज्ञात हो कि अफ़ग़ानिस्तान के कंधार प्रांत में पुलित्जर पुरस्कार विजेता भारतीय फोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी की पिछले साल हत्या कर दी गई थी। अफगानिस्तान के राजदूत फरीद ममुंडजे ने इस घटना की जानकारी देते हुए कहा था कि दानिश सिद्दीकी अफ़ग़न सुरक्षा बलों के साथ एक रिपोर्टिंग असाइनमेंट कर रहे थे और उसी दौरान उनकी हत्या कर दी गई।
बता दें कि साल 2018 में दानिश सिद्दीकी को पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया था, ये अवॉर्ड उन्हें रोहिंग्या मामले में कवरेज के लिए मिला था। दानिश सिद्दीकी ने अपने करियर की शुरुआत एक टीवी जर्नलिस्ट के रूप में की थी, बाद में वह फोटो पत्रकार बन गए थे।
(न्यूज़ एजेंसी भाषा व एपी के इनपुट के साथ)
Courtesy: Newsclick