EXCLUSIVE: असम में 'नागरिकता के तनाव' से दो और मरे, अब तक 51 की मौत

Written by sabrang india | Published on: June 21, 2019
गुवाहाटी: चार, घातक 'डीएस' (डी वोटर्स, घोषित विदेशी (डीएफ), डिटेंशन शिविर और वर्तमान में चल रही एनआरसी प्रक्रिया का संदिग्ध आचरण) ने 19 जून को दो अलग-अलग घटनाओं में असम में दो और लोगों की जान ले ली। 19 जून को एक पति ने इसलिए आत्महत्या कर ली क्योंकि उसकी पत्नी को विदेशी घोषित कर दिया गया था। दूसरे मामले में एक बुजुर्ग व्यक्ति की मृत्यु इसलिए हो गई क्योंकि उसे विदेशी होने की सूचना मिली थी। असम में लगातार हो रही मौत और आत्महत्याओं पर 'नेशनल वाणिज्यिक मीडिया' आंखे मूंद लेता है। सबरंगइंडिया और सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (cjp.org.in) लोगों पर मंडरा रहे संकट पर लगातार रिपोर्ट दे रहे हैं। इसके साथ ही सीजेपी राज्य में एक टीम के साथ जमीनी स्तर पर हस्तक्षेप कर रहा है।

केंद्र और राज्य सरकार की तानाशाही और नौकरशाही की उपेक्षा के कारण लोगों पर नागरिकता संकट बरकरार है। दशकों से यहां रह रहे लोग अपनी पहचान को लेकर व्याकुल हैं। कब उन्हें विदेशी घुसपैठिया करार देकर डिटेंशन सेंटर भेज दिया जाए, हर वक्त यही डर रहता है। ऐसे में दुख और सदमे से अब तक 51 लोगों की मौत हो चुकी है।

इस '4 डी से संबंधित ’मौत की पहली खबर चिरांग जिले के एक बुजुर्ग व्यक्ति के रूप में आई। ग्राम धुपुरी के शराफत अली जो बिजनी पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आते हैं, अवसाद के कारण उनकी मृत्यु हो गई। बोंगाईगाँव के न्यायाधिकरण द्वारा उन्हें विदेशी होने का नोटिस दिया गया था। शराफत अली यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाए और उनकी जान चली गई। दूसरी घटना बारपेटा जिले के कायाकुची क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम कपाहरटारी में हुई जहाँ हिकमत अली (55) ने अपनी पत्नी कद बानो को बरनाला के ओडीगिनर ट्रिब्यूनल द्वारा 'विदेशी' घोषित किए जाने के बाद आत्महत्या कर ली। हिकमत अली त्रासदी के समय अपने घर में अकेले थे। उनकी पत्नी की हालत तभी से खराब है जब से उन्हें विदेशी घोषित किया गया है। उनके दोनों बेटे घर से बाहर थे। ऐसे में हिकमत अली ने आत्महत्या कर ली। 

दिहाड़ी मजदूर की पत्नी, कद बानू, संसुल हक उर्फ समसुल अली उर्फ संसुल मोंडल की बेटी थी। उसे दस्तावेजों पर अपने पिता का सरनेम लगाने के कारण 'विदेशी' घोषित किया गया था, जिसके पास वर्ष 1951 से सभी प्रासंगिक दस्तावेज हैं। हिकमत अली ने बारपेटा विदेशी ट्रिब्यूनल के समक्ष अपनी पत्नी को लेकर तमाम दलीलें रखीं। इसके साथ ही कानूनी सहारा लिया और गुवाहाटी हाई कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिली की थी। यहां से भी कोई उम्मीद न दिखी तो उन्होंने 19 जून, 2019 की शाम को खुद को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।



इस तरह की एक और दुखद घटना चिरांग जिले के बिजनी पुलिस स्टेशन के अंतर्गत ग्राम धुपुरी में हुई। यहां मजार अली के बेटे शराफत अली (74) को 31 मई, 2019 को बोंगाईगांव के विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा एक विदेशी नोटिस दिया गया था। शराफत अली को नोटिस के जरिए 20 जून, 2019 तक बोंगाईगाँव फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के सामने पेश होने के लिए कहा गया था। शराफत अली अचानक नोटिस मिलने के बाद बहुत व्यथित हो गए क्योंकि उनके पास 1951 से अपनी नागरिकता से संबंधित सभी प्रासंगिक दस्तावेज थे जो कि नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त थे। लेकिन जिस दिन से उन्हें नोटिस मिला, शराफत अली काफी तनाव में थे, उन्होंने खाना-पीना बंद कर दिया था। पांच दिनों तक भूखे रहने के बाद उन्होंने 19 जून, 2019 को दोपहर में अंतिम सांस ली।

CJP की टीम असम कार्रवाई में जुट गई है। यह टीम उपलब्ध सभी संसाधनों के साथ कदम बढ़ा रही है और यहां तक कि शराफत अली की नागरिकता साबित करने के लिए कानूनी लड़ाई में सहायता करने की जिम्मेदारी भी ले ली है। उनके मामले में जिस तरह से नियमों को तोड़ मरोड़कर विदेशी साबित किया गया है उससे उनके भाईयों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में सीजेपी की टीम निधन के बाद भी उन्हें उनका हक दिलाने के लिए जुट गई है ताकि परिवार के अन्य सदस्यों को परेशानी ना उठानी पड़े। 

CJP के कम्युनिटी वालंटियर प्रो. मिजनुर रहमान ने सबरंग इंडिया से बात करते हुए कहा, "बोंगाईगांव में CJP कानूनी समूह के सदस्य, अब्दुर रहीम 20 जून को शोक संतप्त परिवार की ओर से बोंगाईगाँव के ट्रिब्यूनल में पेश होंगे।"

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