‘विफलताओं के स्मारक’ के लिए 40 हजार करोड़!

Written by Sanjay Kumar Singh | Published on: May 18, 2020
मनरेगा योजना हिन्दी पट्टी में रोजगार की बड़ी और प्रभावी योजना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यूपीए सरकार की इस योजना को विफलताओं का जीता-जागता स्मारक कह चुके हैं और साथ ही यह भी कहा था कि वे इसे बंद नहीं करेंगे। 

अब विफलता के इस स्मारक में केंद्र सरकार ने पहले से आवंटित 60,000 करोड़ रुपए के अलावा 40,000 करोड़ रुपए और लगाने का वादा किया है। निश्चित रूप से यह बड़ी खबर है। हिन्दुस्तान ने इसे पहले पन्ने पर टॉप में छापा है। शीर्षक है, घर वापस लौटे मजदूरों को मनरेगा से मदद। 

हालांकि, पहले पन्ने पर जितनी खबर है उसमें यह नहीं बताया गया है कि विफलताओं के स्मारक के लिए 40,000 करोड़ रुपए देने की घोषणा की गई। नवोदय टाइम्स ने इस खबर को लीड बनाया है तथा शीर्षक है, 40 हजार करोड़ और मनरेगा को। नवभारत टाइम्स ने भी इसे पहले पन्ने पर टॉप में छापा है और वित्त मंत्री की कल की घोषणा की पूरी खबर का शीर्षक है, पब्लिक सेक्टर में मेगा प्राइवेट एंट्री। मनरेगा को मिलेंगे 40 हजार करोड़।



अमर उजाला में भी यह लीड है। शार्षक है, मनरेगा को अतिरिक्त 40 हजार करोड़। दैनिक जागरण, राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर में यह खबर पहले पन्ने पर नहीं है। वित्त मंत्री की प्रेस कांफ्रेंस की खबर का शीर्षक दैनिक जागरण ने, वित्तीय संकट में फंसे राज्यों को वित्तीय संकट का एलान लगाया है।

दैनिक भास्कर ने आज से हर सोमवार नो निगेटिव मंडे की जैकेट पहनने की घोषणा की है। इस लिहाज से अखबार में आज दो पहले पन्ने हैं। पर मनरेगा की खबर ना तो पहले वाले पहले पन्ने पर है ना दूसरे वाले पहले पन्ने पर। वित्त मंत्री की घोषणा पहले वाले पहले पन्ने पर है। शीर्षक है, राहत पार्ट -5 : सभी पीएसयू में विदेशी निवेश, 12वीं तक ऑनलाइन चैनल। 

मनरेगा की खबर दूसरे वाले पहले पन्ने पर भी नहीं है। इसी तरह मजदूरों के मामले में राजनीति पर इन अखबारों में से किसी ने पहले पन्ने पर कोई खबर नहीं छापी है। राजस्थान पत्रिका अपवाद है उसकी चर्चा अलग से करता हूं। पर मनरेगा की खबर का शीर्षक द टेलीग्राफ में पूरा है और इसलिए उल्लेखनीय भी। अखबार का शीर्षक हिन्दी में होता तो कुछ इस प्रकार होता, 'जीते जागते स्मारक' से मोदी के दोमुंहेपन तक।

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