मदरसों में पढ़ने वाले 1200 बच्चों ने NEET में लहराया परचम, मदरसों के खिलाफ दुष्प्रचार का करारा जवाब

Written by Navnish Kumar | Published on: September 17, 2022
"MBBS की डिग्री हासिल करने के लिए जिन लगभग 1200 मुस्लिम उम्मीदवारों ने मेडिकल की यह प्रतिष्ठित NEET परीक्षा पास की है, उनमें से 500 से अधिक अल अमीन मिशन की पश्चिम बंगाल में फैली 70 शाखाओं से हैं, 250 से अधिक उम्मीद अजमल फाउंडेशन के कोचिंग संस्थान से और करीब 450 शाहीन समूह के संस्थानों से हैं।"



मदरसों के वजूद को लेकर छिड़ी बहस का करारा जवाब

आज जब, भारत में पूर्वोत्तर से लेकर दक्षिण और उत्तर भारत तक, मदरसों के वजूद को लेकर बहस छिड़ी है। असम में कथित रूप से अवैध गतिविधियों में शामिल लोगों को संरक्षण देने के आरोप में मदरसों को तोड़ा जा रहा है। तो यूपी में निजी खर्चों पर संचालित मदरसों के सर्वे का आदेश जारी हो चुका है। जिसको लेकर हंगामा मचा है। जमीयत उमला-ए-हिंद ने मदरसा संचालकों के साथ मीटिंग की है और सर्वे प्रक्रिया की मंशा पर सवाल उठाए हैं। इसी बीच मेडिकल की प्रतिष्ठित परीक्षा, नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेस टेस्ट (NEET) में हाफ़िज़ और मौलानाओं की सफलता ने मदरसों की बहस का रुख मोड़ दिया है।



यह सफलता मदरसों के लिए काफ़ी राहत और गर्व की बात है कि उनके हाफ़िज़-ए-क़ुरान और आलिम छात्र-छात्राओं ने मेडिकल की इस प्रतिष्ठित परीक्षा में कामयाबी हासिल की है। दरअसल, इस्लामी शिक्षा के केंद्र बने मदरसों को लेकर देश भर में कई तरह की भ्रांतियां फैलाई जाती रही हैं। एक समय में इन्हें आतंकवाद की फैक्ट्री कहकर बदनाम किया जाता था तो दूसरी तरफ मध्ययुगीन मूल्यों मान्यताओं को बढ़ाने देने वाले इन मदरसों के आधुनिकीकरण पर भी जोर दिया जाता था। आधुनिक शिक्षा से कटे इन मदरसों के कायाकल्प के लिए विभिन्न योजनाएं लागू की गई हैं, लेकिन इसके बाद भी केंद्र व विभिन्न प्रदेशों की भारतीय जनता पार्टी की सरकारें देश भर में चलने वाले इस्लामी शिक्षा केन्द्रों (मदरसों) को संदेहास्पद दृष्टिकोण से प्रस्तुत करती रहतीं हैं। बीते सप्ताह आए राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) National Eligibility cum Entrance Test- NEET के परिणामों ने इन मदरसों को लेकर दूसरे दृष्टिकोण से सोचने के लिए विवश कर दिया है। जी हां, मदरसा संस्थानों की पृष्ठभूमि के करीब 1200 उम्मीदवारों ने 'नीट' की इस परीक्षा को पास करके मदरसों को एक बार फिर देश भर की बहस के केंद्र में ला दिया है। 

पिछले हफ्ते नीट (NEET) परीक्षा के बहुप्रतीक्षित घाषित परिणामों में मदरसा पृष्ठभूमि के मुस्लिम उम्मीदवारों की सफलता ने सभी को चकित कर दिया है। एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के लिए लगभग 1200 मुस्लिम उम्मीदवारों ने प्रतिष्ठित परीक्षा पास की है। उनमें से 500 से अधिक अल-अमीन मिशन की पश्चिम बंगाल में फैली 70 शाखाओं से हैं, जबकि 250 से अधिक उम्मीदवार अजमल फाउंडेशन के कोचिंग संस्थान से हैं और लगभग 450 शाहीन समूह के संस्थानों से हैं। इनमें से ज्यादातर छात्र आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि से हैं। उनमें से कई मदरसों में पढ़े हैं और कुछ हाफिज भी हैं।

पंजाब केसरी और अन्य मीडिया समूहों में आईं खबरों के अनुसार, पश्चिमी बंगाल के मालदा जिले के छात्र तौहीद मुर्शिद ने 690 अंक (ऑल इंडिया रैंकिंग 472) के साथ टॉप किया। इस साल करीब 1,800 छात्रों ने नीट की परीक्षा दी थी। अल-अमीन मिशन के अनुसार, कम से कम 500 से 550 छात्रों के पास दवा का अध्ययन करने का विकल्प होगा। इनमें से ज्यादातर राज्य के सबसे गरीब जिलों और परिवारों से हैं। इनमें मुर्शिदाबाद से 139, जबकि मालदा से 89 उम्मीदवार हैं। इनके अलावा दक्षिण 24 परगना से 50, बीरभूम से 50, उत्तर 24 परगना से 33, बुडवान से 25, नदिया से 24, उत्तर दिनाजपुर से 16, दक्षिण दिनाजपुर से 15, हावड़ा से 13, हुगली से 12 छात्र आते हैं। जबकि बांकुरा से 11, पूर्वी मिदनापुर से 10, कूचबिहार से 8, पश्चिम मिदनापुर से 7, कोलकाता से 3 और पुरुलिया के 3 छात्र हैं।

अल मिशन में है 3500 डॉक्टरों की फौज 

हावड़ा में स्थित अल-अमीन मिशन को लगभग 3500 डॉक्टरों (एमबीबीएस और बीडीएस) और 3000 इंजीनियरों के साथ-साथ बड़ी संख्या में शोधकर्ताओं, प्रशासनिक अधिकारियों, प्रशिक्षकों और प्रोफेसरों के स्नातक होने के साथ मान्यता प्राप्त हैं। इसके अलावा नुरुल इस्लाम ने संगठन बनाया जो अब पश्चिम बंगाल के 20 जिलों में 70 कोचिंग संस्थान संचालित करता है। संगठन में लगभग 3000 प्रोफेसर और गैर-शिक्षण कर्मचारी शामिल हैं जो 17,000 आवासीय छात्रों को पढ़ाते हैं। 

अल-अमीन मिशन का मुख्य परिसर पश्चिम बंगाल के हावड़ा जिले के खलतपुर उदयनारायणपुर में है। वर्तमान में, मिशन 6838 छात्रों (40 प्रतिशत) को अर्ध और 4257 छात्रों (25 प्रतिशत) को पूर्ण मुफ्त छात्रवृत्ति प्रदान करता है। अल अमीन मिशन एनईईटी के अधिकांश छात्र बहुत गरीब परिवारों से आते हैं और समाज के निचले हिस्से से आते हैं। नुरुल इस्लाम ने एक मुस्लिम-उन्मुख वेबसाइट को बताया कि हम उनकी प्रतिभा को बढ़ावा देते हैं, उनकी बुद्धि को बढ़ाते हैं, और उन्हें एक सभ्य वातावरण प्रदान करते हैं ताकि वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें।

शाहीन की सफलता की कहानी

मदरसों के जिन कई बच्चों ने नीट परीक्षा पास कर सफलता हासिल की है उसमें से एक गुलशन अहमद 646 अंकों के साथ NEET (राष्ट्रीय प्रवेश सह पात्रता परीक्षा) 2022 को क्रैक किया है। कर्नाटक स्थित शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के जिन 12 छात्रों को नीट 2022 में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश की उम्मीद है, गुलशन उसमें से एक हैं। शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष डॉ अब्दुल कदीर ने कहा कि इस साल शाहीन कॉलेज बीदर में लगभग 1,800 छात्रों को नीट के लिए प्रशिक्षित किया गया था, जिनमें से लगभग 450 छात्रों के मेडिकल सीट हासिल करने की उम्मीद है, जबकि 12 उम्मीदवारों के पास सरकारी मेडिकल कॉलेज में सीट हासिल करने की उच्च संभावना है। शाहीन ग्रुप के हाफिज ने नीट में 680 अंक हासिल किए हैं। 

डॉ कदिर ने कहा, "देश में मदरसा के छात्रों को लेकर काफी विवाद रहा है। हालांकि, हमारे संस्थान के माध्यम से उन्हें मुख्यधारा की शिक्षा में उजागर करके, पूर्व मदरसा छात्रों ने वास्तव में NEET में अच्छा प्रदर्शन किया है। कर्नाटक के स्कूल शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में माता-पिता की शिकायतों के बाद मदरसों के निरीक्षण का आदेश दिया था। नागेश ने यह भी घोषणा की कि शिक्षा विभाग धार्मिक शिक्षा के अलावा मदरसा पाठ्यक्रम में विज्ञान और गणित जैसे विषयों को शामिल करने की योजना बना रहा है। हम पहले से ही मदरसों के साथ मुख्यधारा की शिक्षा प्रदान करने के लिए काम कर रहे हैं। हम मदरसों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के उद्देश्य से सरकार की किसी भी कोशिश में मदद करने के लिए तैयार हैं। 

इस साल NEET में AIR 834 हासिल करने वाले जरदी ने कहा: "मैंने छठी कक्षा में निजी स्कूल छोड़ दिया और एक मदरसे में शामिल हो गया था। जब मैंने प्री-यूनिवर्सिटी की तैयारी शुरू की तो कम से कम छह महीने माहौल को समझना और नियमित छात्रों के साथ बराबरी से आगे बढ़ना बहुत मुश्किल था। दसवीं कक्षा में 96.4 प्रतिशत और बारहवी में 92 प्रतिशत अंक प्राप्त करने के बाद, मैंने नीट की तैयारी की। मोहम्मद अली इकबाल, जिन्होंने तीसरी बार NEETकी परीक्षा दी। उन्हें नीट में 680 अंक प्राप्त हुए। वह शाहीन संस्थान के छात्रों में टॉपर रहे हैं। उन्होंने कहा- "मदरसा शिक्षा छोड़ने के बाद संस्थान के गाइड और शिक्षकों ने मुझे अपने कौशल को सुधारने में मदद की। मैं पिछले छह महीनों से कठिन कोचिंग से गुजरा जिससे मुझे नीट क्रैक करने में मदद मिली।

कर्नाटक के बीदर में शाहीन कॉलेज के लगभग 10 से अधिक मदरसा पास-आउट हाफिज छात्रों के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीटें हासिल करने की उम्मीद है। अन्य छात्रों के विपरीत, हाफिज के छात्रों ने शाहीन समूह के संस्थानों में वास्तव में कुछ उल्लेखनीय हासिल किया है। इससे पहले कभी भी स्कूल नहीं गए या विज्ञान, गणित, या अरबी और उर्दू के अलावा अन्य भाषाओं जैसे विषयों का अध्ययन नहीं किया। 

शाहीन संस्थान की एकेडमिक इंटेंसिव केयर यूनिट ने उन्हें उत्कृष्टता हासिल करने और प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों में मुफ्त सरकारी सीटें हासिल करने में मदद की। संस्था हाफिज के छात्रों को एक अनोखे लेकिन सफल मॉडल में चिकित्सा और अन्य व्यवसायों में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करती है। शाहीन ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ अब्दुल कदीर ने कहा कि नीट में हर साल की तरह इस साल भी कॉलेज को सबसे अच्छा परिणाम मिला है, 450 से अधिक छात्रों को सरकारी एमबीबीएस सीटें हासिल करने की उम्मीद है।

यही नहीं, ये कोई पहला मौका नहीं है, जब दीनी तालीम हासिल करने वाले छात्राओं ने मॉर्डन एज़ुकेशन की किसी प्रतियोगी परीक्षा में सफ़लता हासिल की है. इसी साल देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा संघ लोक सेवा आयोग में हैदराबाद के डॉ. मुस्तफ़ा ने कामयाबी पाई थी। मुस्तफ़ा ने एमबीबीएस के बाद एमडी किया। वह हाईस्कूल में टॉपर रहे थे। लेकिन इससे पहले उन्होंने क़ुरान को हिफ़्ज किया था। दरअसल, मुस्तफ़ा की शुरुआती पढ़ाई खाड़ी में हुई इसलिए वहां उन्होंने दीन के साथ दुनियावी तालीम भी जारी रखी। और पिता के साथ वापस हैदराबाद आकर सफ़लता का शिख़र छुआ है। 

इसी तरह हर साल विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में मदरसा छात्रों की सफलता की दास्तानें सामने आती रहती हैं। मेडिकल हो, इंजीनियरिंग या फ़िर यूपीएससी, सिविल और टॉप टेन यूनिवर्सिटीज़ की प्रवेश परीक्षा, कुछ न कुछ छात्र हर परीक्षा में जगह बनाने में कामयाब होते रहे हैं। बेशक इनकी संख्या बेहद कम है। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसों को आधुनिक शिक्षा की तरफ़ मोड़ने की योजना बनाई है और यहां एनसीईआरटी का सिलेबस अनिवार्य किया है लेकिन ज़्यादातर मदरसों में उस स्तर की शिक्षा का ढांचा तैयार नहीं हो पा रहा है, करना होगा। ताकि इन परीक्षाओं में भी छात्रों की संख्या ज़्यादा नज़र आए जैसे कि इस बार नीट में दिखाई दी है।

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