पीयूसीएल ने राज्य के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर घटना का संज्ञान लेने का आग्रह किया है और कहा है कि घर तोड़े जाने से पीड़ित परिवार सड़क पर आ गया है और वर्तमान वातावरण में उन्हें कोई शरण देने का तैयार नहीं है।
फोटो साभार : पीटीआई
राजस्थान के उदयपुर में कथित तौर पर चाकू के हमले में नगर निगम ने एक घर गिरा दिया जिसमें 15 वर्षीय आरोपी छात्र और उसका परिवार किराए पर रहता था। आरोप है कि जिस जमीन पर घर बना था वह वन विभाग की जमीन है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार वन विभाग ने शनिवार को परिवार को नोटिस जारी किया था। उदयपुर रेंज के इंस्पेक्टर जनरल अजय लांबा ने अखबार को बताया कि मकान मालिक ने किसी भी प्रकार का दस्तावेज़ नहीं दिया जिसके बाद उस घर को गिरा दिया गया। आगे कहा कि आरोपी लड़के और उसके पिता हिरासत में ले लिया गया है और बाल न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
मकान गिराए जाने का वीडियो वायरल होने के बाद एक व्यक्ति ने खुद को मकान मालिक बताते हुए कहा कि उस घर में चार परिवार रहते थे और सभी को खाली करने के लिए कहा गया। राशिद खान नाम के व्यक्ति को वीडियो में ये कहते सुना जा सकता है कि "प्रशासन मेरा घर क्यों गिरा रही है, मैं नगर निगम गया लेकिन वहां सभी छुट्टी पर थे। मैं थाना गया पर वहां सभी ने इसे रोकने से इंकार कर दिया। ये हमारे खिलाफ अन्याय है। मैंने अपना घर खोया है जिसमें हमारी कोई गलती नहीं है।
वहीं उदयपुर में हुई घटना के के बाद घर को नगर निगम द्वारा तोड़े जाने के गैर कानूनी कृत्य को लेकर पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने निंदा की है। संगठन का कहना है कि यह राजस्थान में संविधान और न्याय व्यवस्था के विपरीत बुलडोजर राज का आगमन है जो कि भविष्य के लिए खतरनाक संकेत है।
पीयूसीएल ने राज्य के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर घटना का संज्ञान लेने का आग्रह किया है और कहा है कि घर तोड़े जाने से पीड़ित परिवार सड़क पर आ गया है और वर्तमान वातावरण में उन्हें कोई शरण देने का तैयार नहीं है। यह आश्चर्यजनक है कि वन विभाग ने परिवार को आज ही नोटिस देते हुए 20 तारीख तक का समय दिया था लेकिन उन्हें कार्रवाई का मौका दिए बिना ही नगर निगम ने मकान ध्वस्त कर दिया।
पीयूसीएल ने इस बात पर चिंता व्यक्त कि की जिस क्षेत्र में आरोपी छात्र का घर था वहां पूरी बस्ती है और लगभग 200 घर हैं। लेकिन इसी व्यक्ति के घर को तोड़ने के लिए चुना गया। यह भी गौरतलब है आरोपी छात्र का परिवार खुद उस घर में किरायेदार के रूप में रहता है।
यह जानते हुए भी कि घटना दो छात्रों के बीच हुई पुलिस ने आरोपी छात्र के पिता को भी गिरफ्तार कर थाने में रखा है जबकि पिता का घटना से कोई संबंध नहीं है।
पीयूसीएल का कहना है आज उदयपुर में एक घर ही नहीं न्याय और कानून की मजबूत इमारत को गिराया गया है। घटना के आरोपी छात्र ने यदि कुछ गलत किया है तो उसके लिए न्याय प्रणाली है और हमें अपनी व्यवस्था पर विश्वास करना चाहिए कि वह दोषी को दंडित करेगी। किसी मामले के आरोपी को प्रताड़ित करने का हक पुलिस और प्रशासन के पास नहीं है। यह कृत्य कानून के राज को जंगल राज में बदल देने जैसा है।
दो बच्चों के बीच हुई घटना दुखद है किंतु बड़ों का दायित्व बनता है कि संयम से काम लें। उक्त घटना के आधार पर सांप्रदायिक विभाजन बहुत खतरनाक है। सभी धर्मों के प्रतिनिधियों, नेताओं तथा मीडिया को सांप्रदायिकता की आग को ठंडा करने का प्रयास करना चाहिए। यह दुर्भाग्य है कि कुछ संस्थाएं और लोग इस वातावरण में आग में घी डाल रहे हैं और पुलिस व प्रशासन उनके इशारों पर काम कर रहे है। यह राज्य की भजनलाल सरकार के लिए शर्म की बात है कि खुलेआम कानून और व्यवस्था बिगाड़ने वालों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
पीयूसीएल ने मुख्य न्यायाधीश से मांग की है कि गैरकानूनी रूप से बुलडोजर चलाने वाले अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए तथा घर तोड़े जाने का मुआवजा दिया जाए। संगठन ने उदयपुर के पुलिस और जिला प्रशासन की इस घटना में संदिग्ध भूमिका को देखते है मुख्य न्यायाधीश से अपने स्तर पर जांच करवाने का आग्रह भी किया है।
फोटो साभार : पीटीआई
राजस्थान के उदयपुर में कथित तौर पर चाकू के हमले में नगर निगम ने एक घर गिरा दिया जिसमें 15 वर्षीय आरोपी छात्र और उसका परिवार किराए पर रहता था। आरोप है कि जिस जमीन पर घर बना था वह वन विभाग की जमीन है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार वन विभाग ने शनिवार को परिवार को नोटिस जारी किया था। उदयपुर रेंज के इंस्पेक्टर जनरल अजय लांबा ने अखबार को बताया कि मकान मालिक ने किसी भी प्रकार का दस्तावेज़ नहीं दिया जिसके बाद उस घर को गिरा दिया गया। आगे कहा कि आरोपी लड़के और उसके पिता हिरासत में ले लिया गया है और बाल न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
मकान गिराए जाने का वीडियो वायरल होने के बाद एक व्यक्ति ने खुद को मकान मालिक बताते हुए कहा कि उस घर में चार परिवार रहते थे और सभी को खाली करने के लिए कहा गया। राशिद खान नाम के व्यक्ति को वीडियो में ये कहते सुना जा सकता है कि "प्रशासन मेरा घर क्यों गिरा रही है, मैं नगर निगम गया लेकिन वहां सभी छुट्टी पर थे। मैं थाना गया पर वहां सभी ने इसे रोकने से इंकार कर दिया। ये हमारे खिलाफ अन्याय है। मैंने अपना घर खोया है जिसमें हमारी कोई गलती नहीं है।
वहीं उदयपुर में हुई घटना के के बाद घर को नगर निगम द्वारा तोड़े जाने के गैर कानूनी कृत्य को लेकर पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने निंदा की है। संगठन का कहना है कि यह राजस्थान में संविधान और न्याय व्यवस्था के विपरीत बुलडोजर राज का आगमन है जो कि भविष्य के लिए खतरनाक संकेत है।
पीयूसीएल ने राज्य के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर घटना का संज्ञान लेने का आग्रह किया है और कहा है कि घर तोड़े जाने से पीड़ित परिवार सड़क पर आ गया है और वर्तमान वातावरण में उन्हें कोई शरण देने का तैयार नहीं है। यह आश्चर्यजनक है कि वन विभाग ने परिवार को आज ही नोटिस देते हुए 20 तारीख तक का समय दिया था लेकिन उन्हें कार्रवाई का मौका दिए बिना ही नगर निगम ने मकान ध्वस्त कर दिया।
पीयूसीएल ने इस बात पर चिंता व्यक्त कि की जिस क्षेत्र में आरोपी छात्र का घर था वहां पूरी बस्ती है और लगभग 200 घर हैं। लेकिन इसी व्यक्ति के घर को तोड़ने के लिए चुना गया। यह भी गौरतलब है आरोपी छात्र का परिवार खुद उस घर में किरायेदार के रूप में रहता है।
यह जानते हुए भी कि घटना दो छात्रों के बीच हुई पुलिस ने आरोपी छात्र के पिता को भी गिरफ्तार कर थाने में रखा है जबकि पिता का घटना से कोई संबंध नहीं है।
पीयूसीएल का कहना है आज उदयपुर में एक घर ही नहीं न्याय और कानून की मजबूत इमारत को गिराया गया है। घटना के आरोपी छात्र ने यदि कुछ गलत किया है तो उसके लिए न्याय प्रणाली है और हमें अपनी व्यवस्था पर विश्वास करना चाहिए कि वह दोषी को दंडित करेगी। किसी मामले के आरोपी को प्रताड़ित करने का हक पुलिस और प्रशासन के पास नहीं है। यह कृत्य कानून के राज को जंगल राज में बदल देने जैसा है।
दो बच्चों के बीच हुई घटना दुखद है किंतु बड़ों का दायित्व बनता है कि संयम से काम लें। उक्त घटना के आधार पर सांप्रदायिक विभाजन बहुत खतरनाक है। सभी धर्मों के प्रतिनिधियों, नेताओं तथा मीडिया को सांप्रदायिकता की आग को ठंडा करने का प्रयास करना चाहिए। यह दुर्भाग्य है कि कुछ संस्थाएं और लोग इस वातावरण में आग में घी डाल रहे हैं और पुलिस व प्रशासन उनके इशारों पर काम कर रहे है। यह राज्य की भजनलाल सरकार के लिए शर्म की बात है कि खुलेआम कानून और व्यवस्था बिगाड़ने वालों के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
पीयूसीएल ने मुख्य न्यायाधीश से मांग की है कि गैरकानूनी रूप से बुलडोजर चलाने वाले अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए तथा घर तोड़े जाने का मुआवजा दिया जाए। संगठन ने उदयपुर के पुलिस और जिला प्रशासन की इस घटना में संदिग्ध भूमिका को देखते है मुख्य न्यायाधीश से अपने स्तर पर जांच करवाने का आग्रह भी किया है।